गौतम बुद्ध जीवनी, और उपदेशों की कहानी Gautam Buddha Biography In Hindi

Gautam Buddha Biography In Hindi

गौतम बुद्ध जोकि बौद्ध धर्म के संस्थापक और एक महान ज्ञानी थे वह जन्म से ही एक राजकुमार थे और जीवन का हर एक सुख उनके पास था पर क्यों बन गए वह भिक्षु और क्यों अपनाया उन्होंने त्याग का मार्ग जानेंगे इस Gautam Buddha Biography in Hindi में जिसमें विस्तार रूप से गौतम बुद्ध के जीवन के बारे में बताया गया हैं उनके जीवन पर आधारित कई Gautam Buddha Story In Hindi भी इसी लेख में प्रस्तुत की गई है।

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गौतम बुद्ध का जन्म Gautam Buddha Biography in Hindi

Gautam Buddha Biography In Hindi

इस Gautam Buddha Biography in Hindi गौतम बुद्ध के बारे में विस्तार से जानकारी स्पष्ट की गई है गौतम बुद्ध एक अनोखे पुरुष बनेंगे इस बात का पता उनके जन्म से पहले ही हो गया था गौतम बुद्ध की मां महारानी महामाया देवी ने एक स्वप्न देखा था।

जिसमें एक सफेद हाथी उनके गर्भ में प्रवेश कर रहा है इस स्वप्न को ज्योतिषियों और पंडितों ने शुभ संकेत माना और भविष्यवाणी की कि महारानी महामाया देवी का पुत्र या तो एक महान राजा बनेगा या एक महान संत बनेगा।

जिस कारण गौतम बुद्ध के पिता राजा शुद्धोधन को फिक्र होने लगी कि एक राजा का बेटा अगर संत बना तो प्रजा को कौन संभालेगा। बढ़ते समय के साथ वह दिन भी करीब आने लगे जब गौतम बुद्ध का जन्म होने वाला था।

उस समय की मान्यता थी कि मां शिशु को जन्म अपने माइके में ही दिया करती थीं जिसके लिए वह अपने माइके चली जाया करती थी। वह माइके जा रहा थीं पर सफ़र के दौरान पीड़ा हुई और शिशु का जन्म शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी में हुआ।

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शिशु के जन्म के 7 दिनो बाद ही मां महारानी महामाया देवी का देहांत हो गया और नन्हें राजकुमार को राजा शुद्धोधन के पास लाया गया ऋषियों और मुनियों ने शिशु का नाम सिद्धार्थ रखा जोकि सभी को पसंद आया सिद्धार्थ की परवरिश उनकी मौसी गौतमी ने करनी शुरू कर दी।

गौतम बुद्ध का शुरुआती जीवन

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गौतम बुद्ध के पिता राजा शुद्धोधन को भविष्यवाणी के कारण राजकुमार सिद्धार्थ के भविष्य को लेकर फिक्र होने लगी थी इसलिए उन्होंने राजकुमार सिद्धार्थ के लिए प्रत्येक सुख महल में ही उपलब्ध करवाए और उन्हें कभी भी महल से बाहर नहीं जाने दिया।

राजकुमार सिद्धार्थ बचपन से ही नरम स्वभाव एवं दयालु भाव के थे उनसे किसी का भी दुख नहीं देखा जाता था। जब राजकुमार सिद्धार्थ की आयु 16 वर्ष हुई तब उनका विवाह राजकुमारी यशोधरा से करा दिया गया जोकी बहुत सुंदर थीं।

कुछ समय बाद राजकुमार सिद्धार्थ एवं राजकुमारी यशोधरा का एक पुत्र हुआ जिसका नाम राहुल रखा गया। गौतम बुद्ध से अक्सर पीड़ित एवं दुखी व्यक्तियों को दूर रखा जाता था ताकि वह दुनिया के कष्टों को देखकर संत ना बन जाए।

गौतम बुद्ध बनने की शुरुआत Gautam Buddha Biography in Hindi

Gautam Buddha Biography In Hindi

राजकुमार सिद्धार्थ बहुत ही ज्यादा नरम स्वभाव के थे और उनके मन में एक उत्सुकता थी कि वह अपने राज्य की गलियों में घूमना चाहते थे एवं अपनी प्रजा को देखना चाहते थे जिससे उन्हें वंचित रखा गया था।

21 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध अपने नगर कपिलवस्तु की गलियों में घूमने निकल पड़ें उनके साथ उनका दास भी था। राजकुमार सिद्धार्थ की नजर एक रेंग कर चलने वाले व्यक्ति पर गई जब उन्होंने अपने दास से इसका कारण पूछा।

तब दास ने बताया कि वह विकलांग है थोड़ी आगे जाने के बाद उन्होंने एक रोगी व्यक्ति को देखा जोकी गली के किनारे बैठा था और उससे कोई भी नहीं बोलना चाहता था उसी गली से उन्होंने एक शव यात्रा जाति देखी।

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जिसे देख गौतम बुद्ध ने दास से पूछा तब दास ने जवाब दिया कि वह व्यक्ति मर चुका है प्रत्येक व्यक्ति को इसी प्रकार एक दिन मरना है तब गौतम बुद्ध ने दास से पूछा कि क्या मुझे भी मौत आएगी तब दास ने कहा कि प्रत्येक प्राणी को मौत आनी है।

मुझे भी एक दिन मौत आएगी यह जानने के बाद गौतम बुद्ध को बहुत आश्चर्य हुआ थोड़ा आगे जाने के बाद सिद्धार्थ ने एक संत को देखा जिसे दुनिया से कोई मतलब नहीं था वह ध्यान लगाकर अपना उच्चारण कर रहा था।

तब गौतम बुद्ध ने दास से पूछा कि यह कौन है तब दास ने बताया कि है संत है यह दुनिया में हो रही कुछ चीजों के जवाब जानते हैं एवं जिनके जवाब नहीं जानते हैं उनके जवाब जानने के लिए घोर तपस्या करते रहते हैं।

इनका जीवन बहुत ही ज्यादा अच्छा होता है इन्हें किसी भी चीज की फिक्र नहीं होती है क्योंकि यह जीवन की मोह माया को त्याग देते हैं यह जानने के बाद गौतम बुद्ध संत से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए।

क्योंकि अब वह जीवन की उन चीजों को देख चुके थे जिनसे आज तक वह वंचित थे इसलिए उन्होंने मन में विचार बना लिया कि वह भी संत बनेंगे और दुनिया के कई सवाल जैसे कि प्रत्येक व्यक्ति को अगर मरना ही है तो उसका जन्म ही क्यों होता है।

एवं व्यक्ति को बीमारी क्यों होती है गौतम बुद्ध के मन में संत बनने के विचार उठने लगे थे वह महल वापस चले गए। गौतम बुद्ध जानते थे कि यदि मैं अपने विचार अपने पिता को बताइए तो वह कभी भी अनुमति नहीं देंगे कि उनका बेटा एक संत बन जाए।

इसलिए गौतम बुद्ध ने हिम्मत जुटाई और काफी समय बाद वह अपना महल, अपनी बीवी और बेटे को छोड़कर आत्मज्ञान प्राप्त करने की राह पे हमेशा के लिए चले गए।

ज्ञान की प्राप्ति Gautam Buddha Biography in Hindi

Gautam Buddha Biography In Hindi

राजकुमार ने अपने प्रश्नों के उत्तर ढूंढने शुरू किए पर उन्हें प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले उन्होंने बहुत ध्यान लगाया और कई दिनों तक लगातार तपस्या भी की परंतु कुछ भी परिणाम नहीं मिला वह हार नहीं मनाना चाहते थे।

इसलिए लगातार 6 वर्षों तक वह कठोर तपस्या करते रहे और आत्मज्ञान प्राप्त करने की आस लगाए रहे 6 वर्षों तक लगातार कठोर तपस्या करने के बाद भी राजकुमार सिद्धार्थ का मनोबल कम नहीं हुआ।

एक सांझ उन्होंने एक गांव में भिक्षा मांगी और भोजन किया जिसके बाद उन्होंने प्रण लिया कि वह जब तक पीपल के पेड़ के नीचे (जो अब बोधिवृक्ष के नाम से जाना जाता है) से नहीं उठेंगे जब तक उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त नहीं हो जाता है।

वह सारी रात कठोर प्रण लिए पीपल के नीचे बैठे रहे और माना जाता है यही वह समय था जब सुबह उन्हें आत्म ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उनकी इच्छाएं नष्ट हो गई और उन्हें आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ वे 35 वर्ष की आयु में बुद्ध बन गए।

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गौतम बुद्ध ने सात हफ्तों तक मुक्ति की स्वतंत्रता और शांति का आनंद लिया। प्रारंभ में वह दूसरों को ज्ञान नहीं देना चाहते थे गौतम बुद्ध का मानना था कि लोगों को त्याग का मार्ग समझाना बहुत मुश्किल होगा।

मान्यता है कि गौतम बुद्ध को स्वयं ब्रह्माजी ने अपने ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने का आदेश दिया था इसलिए उन्होंने अपना पहला धर्मोपदेश वाराणसी के पास सारनाथ में पुराने मित्रों को दिया था।

स प्रकार गौतम बुद्ध के अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई और एक समय ऐसा आया जब लोगों ने उन्हें भगवान् का खिताब भी दिया जबकि गौतम बुद्ध ऐसे लोगों को पसंद नहीं किया करते थे।

उनका मानना था कि श्रृष्टि का रचयिता सिर्फ एक है और हमें भटकना नहीं चाहिए इसलिए बढ़ते पाखंड को देखते हुए गौतम बुद्ध ने ईश्वर के कई रूपों को पूरी तरह से नकार दिया था। और कहा मै तो एक सामान्य इन्सान हूं।

ज्ञानोदय के बाद का काल

समय के साथ गौतम बुद्ध की प्रसिद्धि फैलने लगी जब गौतम बुद्ध के पिता को पता चला कि उनका बेटा एक महान संत बन गया है और लाखों लोग उसके अनुयाई है तब उन्होंने अपने पुत्र को अपने पास बुलाने के लिए 9 बार आमंत्रण पत्र भेजा।

परंतु गौतम बुद्ध ज्ञान को फैलाने से ज्यादा जरूरी कुछ भी नहीं समझते थे परंतु जब गौतम बुद्ध के पिता ने 10 विभाग आमंत्रण पर भेजो तब गौतम बुद्ध अपने पिता से मिलने कपिलवस्तु चले गए बुद्ध अपने पिता के महल में जाने के बजाय घर-घर जाकर भिक्षा मांग रहे थे।

इससे उनके पिता को बहुत दुःख हुआ परंतु गौतम बुद्ध ने अपने पिता से मिलने के बाद उन्हें समझाया कि वह एक साधु हैं और साधु हमेशा भिक्षा मांग कर ही खाता है यही उसका जीवन है।

जब गौतम बुद्ध महल में वापस लौटे तो यशोधरा बुद्ध का स्वागत करने नहीं आई यशोधरा ने कहा कि अब वह एक भिक्षु हैं उन्हें उसी प्रकार मेरे सामने आना चाहिए तब गौतम बुद्ध यशोधरा के सामने आए और उन्होंने यशोधरा से भिक्षा मांगी।

यह देख यशोधरा की आंखों से आंसू निकल आए और उन्होंने गौतम बुद्ध को दीक्षा दी उन्होंने अपने पुत्र राहुल को भी हमेशा के लिए गौतम बुद्ध को सौंप दिया और कहा कि बेटे को भी अपने पिता की तरह महान बनना चाहिए गौतम बुद्ध की अच्छाइयां देखकर उनके पिता एवं यशोधरा उनके अनुयाई बन गए।

गौतम बुद्ध के पिता ने उनसे कहा है कि जब तुमने त्याग का मार्ग अपनाया तब मुझे बहुत ज्यादा दुख हुआ उन्होंने गौतम बुद्ध से कहा कि भविष्य में किसी पुत्र को उसके माता-पिता की अनुमति से ही दीक्षा दी जाए। गौतम बुद्ध को यह विचार बहुत अच्छा लगा और उन्होंने इसे मठवासी व्यवस्था के नियमों में से एक बना दिया।

गौतम बुद्ध की मृत्यु कैसे हुई?

बौद्ध धर्म के ग्रंथों से पता चलता है कि एक लोहार कुंडा कम्मारापुत्त ने गौतम बुद्ध को जहरीला भोजन खिला दिया था जिस कारण कुछ समय बाद उनकी मृत्यु हो गई थी कई विद्वानों का मानना है कि यह सूअर का मांस था परंतु यह पूर्ण रूप से सत्य नहीं है अधिकतर स्रोतों से मालूम होता है कि महात्मा बुद्ध की आयु 80 वर्ष हो चुकी थी एवं उनकी मृत्यु प्राकृतिक रूप से हुई थी।

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 

बुर्जुर्ग महिला के बेटे की मृत्यु

Gautam Buddha story in hindi

एक महिला जिसके बेटे की मृत्यु हो गई थी महिला का बेटे के सिवा कोई भी नहीं था जब उसे पता चला कि नगर में गौतम बुद्ध आए हैं तब वह उनके पास गई और कहा आप तो महान पुरुष हैं।

आप मेरे बेटे को जिंदा कर दीजिए महिला ने अपने जीवन का दुःख बताया कि उसके बेटे के सिवा उसका कोई भी नहीं है महिला के दुःख जानने के बाद आत्मा बुद्ध को महिला पर बहुत ज्यादा तरस आया।

परंतु किसी को जिंदा करना यह नामुमकिन कार्य था इसलिए महात्मा बुद्ध ने महिला को समझाने के लिए एक तरकीब आजमाई उन्होंने महिला से कहा कि तुम एक ऐसे घर से एक मुट्ठी अनाज लेकर आओ जिस घर में आज तक किसी की मृत्यु न हुई हो।

महिला कई घरों पर गई पर उसे कोई भी ऐसे घर नही मिला जिस घर में आज तक किसी की मृत्यु न हुई हो आखिर में महिला को समझ में आया की मृत्यु प्रत्येक व्यक्तिय को आनी है,

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इससे कोई भी बचा नहीं है Gautam Buddha ने समझाया की मृत्यु जीवन की वह उपस्थित है जो प्रत्येक प्राणी को आनी है।

Gautam Buddha Biography In Hindi का निष्कर्ष 

मृत्यु सत्य है और जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है इसे स्वीकार करना ही समझदारी है, क्योंकि इससे कोई भी बच नहीं सकता है इसलिए जीवन का प्रत्येक कार्य इस प्रकार करें की लोग आपको अच्छे कामों के लिऐ याद रखें।

चक्षुपाल अंधे क्यों हैं ?

Gautam Buddha Story In Hindi

एक बार गौतम बुद्ध बिहार के एक आश्रम में काफी समय के लिए रुके थे वहीं उनका एक शिष्य चक्षुपाल था वह जन्म से ही दृष्टिहीन था इसलिए चक्षुपाल का अन्य शिष्य बहुत ज्यादा सम्मान करते थे।

परंतु एक बार सुबह के समय चक्षुपाल के कमरे के गेट पर कुछ चीटियां मरी हुई मिली जो की पाप था क्योंकि एक सिद्ध पुरुष कभी किसी प्राणी की जान नहीं लेता है।

इस बात की शिकायत शिष्यों ने गौतम बुद्ध से करी बुद्ध गौतम बुद्ध ने कहा की चक्षुपाल बचपन से दृष्टिहीन है उससे यह गलती से हुआ होगा इसलिए यह कोई पाप नही है।

तभी शिष्यों ने पूछा कि महात्मा चक्षुपाल दृष्टिहीन क्यों है उन्होंने पिछले जन्म में क्या पाप किया था की उन्होंने दृष्टिहीन जन्म लिया।

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तब गौतम बुद्ध ने बताया कि पिछले जन्म में चक्षुपाल एक चिकित्सक थे उन्होंने एक स्त्री का इलाज किया जो की जन्म से दृष्टिहीन थी उसने वादा किया कि यदि वह ठीक हो जाएगी तो वह चक्षुपाल की सदा गुलामी करेगी।

परंतु लड़की ठीक हो गई फिर भी वह गुलामी के डर से चक्षुपाल से झूठ बोलती रही कि वह ठीक नहीं हुई है जिस कारण चक्षुपाल को गुस्सा आ गया और उसने उस स्त्री को ऐसी दवाई दी जिससे वह दोबारा दृष्टिहीन हो गई।

स्त्री ने चक्षुपाल से बहुत माफी मांगी विनती करी पर चक्षुपाल जरा भी नहीं पिघले और वह लड़की दृष्टिहीन ही रही, और वह जीवनभर चक्षुपाल को कोस्ती रही इसलिए इस जन्म में चक्षुपाल जीवन से ही दृष्टिहीन है यह जानकर शिष्य हैरान हुऐ। यह कहानी Gautam Buddha Biography In Hindi लेख का एक अनोखा भाग है क्योंकि यह गौतम बुद्ध के जीवन की सच्ची कहानी है। 

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष

इस Gautam Buddha Story In Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि अच्छे या बुरे कर्मों का फल हमे अवश्य मिलता है किसी पर अन्याय करने से हमे भविष्य में उसका परिणाम भुगतना पड़ता हैं इसलिए हमें दया और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए।

अज्ञानी राजा Gautam Buddha Story In Hindi

Gautam Buddha Story In Hindi

Gautam Buddha Story In Hindi: एक बार एक राजा महात्मा बुद्ध की चर्चा सुनकर उनसे आश्रम में उनसे मिलने के लिए आया वह महात्मा बुद्ध एवं उनके अनुयायियों के लिए कई प्रकार के तोहफे लाया महात्मा बुद्ध एक सिद्ध पुरुष थे।

उन्हें तोहफों से कोई भी फर्क नही पड़ता था परंतु राजा का मन दुखी ना हो इसलिए उन्होंने वह तोहफे स्वीकार कर लिय जब महात्मा बुद्ध ने राजा से कहा कि बैठ जाओ तब राजा को कोई कुर्सी नजर नहीं आई जिस पर वह बैठे।

तब महात्मा बुद्ध को महसूस हुआ कि राजा जमीन पर बैठना अपमान समझ रहा है तब उन्होंने कहा कि हमारे आश्रम में कोई भी कुर्सी नहीं है क्योंकि हम सभी एक समान एक दूसरे को समझते हैं।

यह जानने के बाद राजा गौतम बुद्ध के पास जमीन पर बैठ गया परंतु वह गौतम बुद्ध के उपदेशों को समझ नहीं पा रहा था क्योंकि उसका ध्यान इस बात पर था कि मैं एक नगर का राजा हूं और मैं जमीन पर बैठा हूं।

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यह बात गौतम बुद्ध अच्छी तरीके से समझ गए थे राजा को आए ज्यादा समय नहीं हुआ था उसने महात्मा बुद्ध से कहा कि अब आप मुझे जाने की आज्ञा दीजिए।

महात्मा बुद्ध समझ गए कि राजा जमीन पर बैठना अपमान समझा रहा है इसलिए वह जा रहा है तब महात्मा बुद्ध ने कहा तुम अपने साथ जो भी लाए हो वह यहां पर छोड़ कर जाओ।

यह सुन राजा हैरान हुआ और उसने कहा कि “हे महान पुरुष” मैं जो कुछ भी लाया था मैंने सब कुछ आपको दे दिया है तब महात्मा बुद्ध ने कहा हम सभी मोह माया को त्याग चुके हैं हमें आपके तोहफा से कोई फर्क नहीं पड़ता।

मैं आपके घमंड की बात कर रहा हूं जिसे आप अपने साथ लेकर आए थे आपके जीवन में सुधार के लिए बेहतर होगा कि आप उसे इस आश्रम में हमेशा के लिए छोड़ जाएं यह बात सुन राजा को बहुत अपमानित महसूस हुआ।

महात्मा बुद्ध ने उसे समझाया कि अहंकार एवं घमंड मनुष्य जीवन की वह उपस्थित हैं जो अग्नि की तरह कार्य करती हैं वह हमारे जीवन को बर्बाद कर देते हैं और हमारे खुशियों को हमेशा के लिए छीन लेते हैं।

तब राजा ने अपने अहंकार को त्याग दिया और वह महात्मा बुद्ध एवं अनुयायियों के साथ जमीन पर कई घंटे तक बैठा रहा और आखिर में अपने नगर हमेशा के लिए अहंकार को त्याग कर चला गया।

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष

इस Gautam Buddha Story In Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि अहंकार मनुष्य के जीवन में बाधा उत्पन्न करता है हमें विनम्रता से जीवन जीना चाहिए, क्योंकि अहंकार हमारे सुख और शांति को नष्ट कर देता है।

जीवन कैसे सुधारे Gautam Buddha Story In Hindi

Gautam Buddha Story In Hindi

एक नारायण नाम का लड़का रोजाना महात्मा बुद्ध का प्रवचन सुनने के लिए आश्रम में आया करता था उसे आश्रम में आते आते बहुत समय हो चुका था परंतु उसके जीवन में किसी भी प्रकार का कोई सुधार नहीं हो रहा था।

इसी समस्या को लेकर वह महात्मा बुद्ध के पास गया और उनसे कहा कि आपकी बताई गई प्रत्येक बात सत्य होती है और मैं आपका प्रवचन भी बहुत ध्यान से सुनता हूं।

परंतु फिर भी मेरे जीवन में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं हो रहा है तब बुद्ध ने उस लड़के से पूछा कि तुम्हारा घर यहां से कितनी दूर है तब लड़के ने बताया कि पहाड़ी के उस पार मेरा घर है।

तब महात्मा बुद्ध ने उससे कहा कि तुम यहां से वहां कैसे जाते हो उसने कहा कि कभी पैदल जाता हूं एवं कवि किसी की बैलगाड़ी पर बैठकर जाता हूं।

तब महात्मा बुद्ध ने कहा कि क्या तुम यहां पर बैठे-बैठे अपने गांव जा सकते हो तब लड़के ने कहा महात्मा ऐसा करना असंभव है क्योंकि गांव पहुंचने के लिए मेरा चलना जरूरी है।

महात्मा बुद्ध ने कहा इसी प्रकार सिर्फ प्रवचन सुनने से जीवन बेहतर नहीं होता है बल्कि उन प्रवचनों को जीवन का हिस्सा बनाना पड़ता है एवं बताई हुई बातों को मानना पड़ता है।

सिर्फ अच्छी बातें सुनने से हमारा जीवन बेहतर नही होगा हमें प्रवचन को समझना होगा और उन्हें अपने जीवन में स्वीकार करना होगा।

लड़के को गौतम बुद्ध की बातें अच्छी तरह समझ में आ गई और उसने गौतम बुद्ध के उपदेशों पर चलना शुरू कर दिया जिससे उसका जीवन कुछ दिनों में बेहतर हो गया और इस प्रकार उसने अपने जीवन को सुधार लिया। 

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष

इस Gautam Buddha Story In Hindi से हमें सीख मिलती है कि केवल अच्छी बातें सुनने से जीवन में बदलाव नहीं आता है उन बातों को समझकर अपने जीवन में उतारने और अमल करने से ही जीवन में बदलाव देखने को मिलता है।

सफ़लता की बूटी क्या है Gautam Buddha Story In Hindi

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एक लड़का जोकि बहुत ज्यादा गरीब था वह बहुत मेहनत करने के बाद भी इतना धन इकट्ठा नहीं कर पा रहा था कि खुद का व्यापार शुरू कर सके इसलिए उसने महात्मा बुद्ध से पूछा की कामयाबी का राज क्या है।

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महात्मा बुद्ध ने कहा ठीक है मैं तुम्हें इस बात का जवाब कल सुबह नदी के किनारे बताऊंगा लड़का दूसरे दिन नदी किनारे बताए गय समय पर पहुंच गया।

महात्मा बुद्ध नदी किनारे पहले से मौजूद थे महात्मा बुद्ध में कहां तुम्हें नदी में तब तक चलते जाना है जब तक पानी का स्तर तुम्हारे कंधों तक ना आ जाए मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा मैं तुम्हें वही तुम्हारे सवाल का जवाब दूंगा।

लड़के ने कहा ठीक है और वह नदी के पानी में उतर गया वह नदी में चला गया और पानी ने उसके कंधों को ढक लिया तब महात्मा बुद्ध भी लड़के को पीछे से पानी में डुबोना शुरू कर दिया और उसके सर को पानी में डुबो दिया।

लड़का बहुत कोशिश करने के बाद भी पानी से बाहर नहीं निकल पा रहा था क्योंकि गौतम ज्यादा शक्तिशाली है थोड़ी देर बाद गौतम बुद्ध ने लड़के को छोड़ दिया और लड़का पानी से बाहर निकलते ही तेजी से सांस लेने लगा।

थोड़ी देर बाद लडका महात्मा बुद्ध से बोला क्या आप मेरे प्राण लेना चाहते हैं तब महात्मा बुद्ध ने कहा मैं तुम्हारे सवाल का अब जवाब दूंगा जब तुम पानी में थे तब तुम्हारा दिमाग क्या सोच रहा था।

लड़के ने बताया कि मेरा दिमाग कुछ नहीं सोच रहा था मुझे बाहर निकल कर किसी भी प्रकार से बस सांस लेनी थी।

तब महात्मा बुद्ध ने बताया कि यदि तुम सफलता पाने का प्रयास इसी तीव्र इच्छा से करोगे जिस प्रकार तुम सांस लेने की कोशिश कर रहे थे तभी तुम्हें सफलता मिलेगी।

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष 

इस Gautam Buddha Story In Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि सफलता पाने के लिए हमें उतनी ही तीव्र इच्छा और प्रयास की जरूरत होती है, जितनी सांस लेने के लिए होती है जब हम पूरी लगन से कोशिश करेंगे तभी हमें सफलता मिलेगी इश्वर ने सभी को हीरा ही बनाया है बस शर्त ये है की जो खुद को घिसेगा वही चमकेगा।

अतीत की आग Gautam Buddha Story In Hindi

Gautam Buddha Story In Hindi

यह अनोखी Gautam Buddha Story In Hindi काफी ज्यादा प्रचलित है यह इस प्रकार है कि एक बार महात्मा बुद्ध आश्रम में सभी व्यक्तियों को प्रवचन दे रहे थे आश्रम में बैठे अनुयायियों के बीच में एक व्यक्ति बैठा थ।

जिसे उनकी बातें फिजूल लग रही थी वह खड़ा हुआ और महात्मा बुद्ध के विरुद्ध उसने कई प्रकार की बातें कहीं उसने कहा तुम क्या जानो कि गरीबों की जिंदगी कैसी होती है।

तुम सबको सीख दे रहे हो कि अच्छाई के साथ चलो जबकि वर्तमान समय में धन सिर्फ बुराई के साथ ही कमाया जा सकता है।

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उसने महात्मा बुद्ध को कई प्रकार की अपमानजनक बातें कहीं एवं गालियां भी दी जिस पर महात्मा बुद्ध ने कुछ नहीं कहा।

बहुत देर तक अपमान करने के बाद भी बुद्ध को कोई फर्क नहीं पड़ा तब उस व्यक्ति ने क्रोधित होकर महात्मा बुद्ध के मुंह पर थूक दिया यह देख सभी लोग खड़े हो गए और उस व्यक्ति को आश्रम से भागना पड़ा।

परंतु जब वह घर पहुंचा तब उसे एहसास हुआ कि वह क्रोधित हो गया था और उससे बहुत बड़ी गलती हो गई है।

उसे पूरी रात नींद नहीं आई इसलिए वह दूसरे दिन महात्मा बुद्ध से माफी मांगने के लिए आश्रम गया परंतु वह आश्रम छोड़कर दूसरे नगर प्रवचन देने के लिए निकल चुके थे।

वह भागता हुआ उसे रास्ते की तरफ गया जहां महात्मा बुद्ध थे उसे बुद्ध का काफिला दिखाई दिया वह महात्मा बुद्ध के चरणों में जाकर गिर गया तब महात्मा बुद्ध ने कहा कि तुम कौन हो।

तब उस व्यक्ति ने बताया कि मैं वही अभागा व्यक्ती हूं जिसने आपका अपमान किया था महात्मा बुद्ध ने कहा पर मैं तो अपने अतीत को वहीं पर छोड़ आया और मैं उस बात को भूल गया बेहतर होगा तुम भी भूल जाओ वरना दुख की भावना तुम्हें जीवन भर दुख देगी।

अतीत को भूल जाना ही सबसे बेहतर उपाय है यह देख वह व्यक्ति महात्मा बुद्ध से इतना ज्यादा प्रभावित हुआ कि उसने जीवन की प्रत्येक मोह माया को त्याग कर महात्मा बुद्ध का शिष्य बनना कबूल कर लिया और वह उनका अनुयाई बन गया।

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष 

इस Gautam Buddha Motivational Story In Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अतीत की गलतियों को माफ कर के आगे बढ़ना चाहिए। क्रोध और बुराई में फंसे रहना दुख का कारण बनता है, जबकि क्षमा और शांति से जीवन सुखी होता है।

अछूत व्यक्ती Gautam Buddha Story In Hindi

Gautam Buddha Story In Hindi

यह Gautam Buddha Motivational Story In Hindi बहुत ज्यादा प्रचलित है यह कुछ इस प्रकार है एक बार गौतम बुद्ध आश्रम में काफी समय बाद पहुंचे शिष्य पहले से ही उनका इंतजार कर रहे थे।

वह आकर बरगद की छाया के नीचे बैठ गय तभी एक व्यक्ति आश्रम के दरवाजे से बोला क्या मुझे अंदर आने की अनुमति है।

जिस पर गौतम बुद्ध ने कुछ जवाब नहीं दिया वह मोन अवस्था में जाकर ध्यान करने लगे यह देख सभी शिष्य हैरान हुए बाहर खड़े व्यक्ति ने फिर से अंदर आने की अनुमति मांगी परंतु महात्मा बुद्ध कुछ नहीं बोले।

उस व्यक्ति ने फिर से आश्रम में आने की अनुमति मांगी परंतु महात्मा बुद्ध फिर भी कुछ नहीं बोले यह देख आश्रम में सभी अनुयाई हैरान थे तभी महात्मा बुद्ध का एक होनहार विद्यार्थी आनंद खड़ा हुआ और उसने महात्मा बुद्ध से कहा।

तथागत कृपया उसे अंदर आने की अनुमति दे दें आप काफी देर से उसे अनदेखा कर रहे हैं तब गौतम बुद्ध ने कहा कि वह अछूत है क्योंकि वह अपने घर में झगड़ा करके आया है और उसने अपने माता-पिता का भी बहुत अपमान किया है।

व्यक्ति जात एवं धर्म से अछूत नहीं होता है बल्कि वह अपने कर्मों से अछूत होता है यह व्यक्ति दूसरों का दिल दुखा कर आया है एवं उनसे अपमानजनक बातें करके आया है इसलिए यह अछूत है।

जब तक यह अपनी गलती नहीं मानता और क्षमा प्राप्ति के लिए अपने माता-पिता से अनुरोध नहीं करता तब तक यह अछूत ही रहेगा और इसे तब तक आश्रम में आने की अनुमति नहीं है।

महात्मा बुद्ध की यह सारी बातें बाहर खड़ा व्यक्ति सुन रहा था उसे खुद पर बहुत पछतावा हुआ क्योंकि वह महात्मा बुद्ध की नजरों में गिर चुका था इसलिए उसे बहुत अपमानित महसूस हुआ।

उसने उसी वक्त कसम खाई कि अब वह कभी भी क्रोध नहीं करेगा और वह उसी समय भाग कर अपने घर पर गया और अपने माता-पिता के चरणों में गिरकर उनसे माफी मांगी।

फिर वह आश्रम में आ गया तब महात्मा बुद्ध ने उसे आश्रम में आने की अनुमति दे दी फिर महात्मा बुद्ध ने उसे बताया कि हमें क्रोध नहीं करना चाहिए यह हमारे अच्छे रिश्तों को खराब करता है,

क्रोध करना एक अच्छे व्यक्ति की पहचान नहीं है बल्कि दूसरों से प्रेम भाव से बात करना अच्छे व्यक्ति की पहचान है।

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष 

इस Gautam Buddha Story In Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि व्यक्ति अपने कर्मों से अछूत बनता है, न कि जाति या धर्म से। हमें क्रोध से बचना चाहिए और प्रेम व सम्मान से रिश्ते निभाने चाहिए मानव तरक्की के लिऐ अपनी गलतियों को स्वीकार करके उन्हें सुधारना जरूरी है।

जागो समय हाथ से निकल रहा है Gautam Buddha Story In Hindi

Gautam Buddha Story In Hindi

एक बार गौतम बुद्ध एक नगर में प्रवचन दे रहे थे प्रवचन खत्म करते समय उन्होंने कहा “जागो समय हाथ से निकलता जा रहा है” प्रवचन खत्म होने के बाद सभी लोग अपने-अपने घर जाने लगे।

तभी एक सुंदर नारी गौतम बुद्ध के पास आई और गौतम बुद्ध को बताया कि वह एक नर्तकी है और आज उसे इस नगर के सबसे धनी व्यक्ति के घर नृत्य करना है।

परंतु वह यह बात में भूल चुकी थी यदि आज बुद्ध न कहते की “जागो समय हाथ से निकल रहा है” तो उसे बहुत बड़ी समस्या हो जाती है क्योंकि धनी व्यक्ति के घर पर नृत्य न करने के कारण वह उस पर गुस्सा हो जाता।

वह स्त्री बुद्ध को प्रणाम करके चली गई तभी एक व्यक्ति आया और उसने बताया कि मैं झूठ नहीं बोलूंगा मैं एक डकैत हूं और मैं यह बात भूल गया था कि आज की रात्रि मुझे एक घर में डाका डालना है।

आपने जब कहा गया जागो “समय यहां से निकल रहा है” तब मुझे मेरी योजना याद आ गई मैं आपका धन्यवाद करता हूं जिस पर गौतम वृद्ध थोडा हंसे और वह डकैत चला गया।

फिर एक वृद्ध व्यक्ति आया और उसने कहा कि जब आपने कहा कि “जागो समय हाथ से निकल रहा है” तब मुझे ऐसा हुआ कि मेरा जीवन मोह माया के कारण बर्बाद हो गया।

मैं जीवन भर धन इकट्ठा करता रहा जबकि वह मेरे कुछ भी काम नहीं आया उसने मेरी जिंदगी को बर्बाद कर दिया परंतु आज आपके उपदेश ने मेरी आंखें खोल दी हैं।

अब मैं जीवन भर की मोह माया को त्याग कर शांति की राह पर चलूंगा और आपका अनुयाई बन जाऊंगा कृपया आप मुझे अपना अनुयाई बना ले।

महात्मा बुद्ध ने उस वृद्ध व्यक्ति को अपना अनुयाई स्वीकार कर लिया महात्मा बुद्ध के साथ उनका प्रिय शिष्य आनंद यह सब देख रहा था महात्मा बुद्ध ने आनंद से कहा कि देखो मैंने सिर्फ एक ही उपदेश दिया।

परंतु सभी ने उसके अलग-अलग मतलब निकाले इससे यह पता चलता है कि जिसकी जितनी झोली बड़ी है वह उतना ही ज्ञान संग्रहित कर पाता है।

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष

इस Gautam Buddha Story In Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि एक ही संदेश का हर व्यक्ति पर अलग-अलग असर होता है, जो उनकी जीवन स्थितियों और समझ पर निर्भर करता है। ज्ञान को कौन किस प्रकार से उपयोग में लाता है यह उसकी सोचने की क्षमता पर निर्भर करता है।

गौतम बुद्ध की कठीन शर्त Gautam Buddha Story In Hindi

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एक बार एक राजा महात्मा बुद्ध के पास आया और उसने कहा कि मैं संन्यास लेना चाहता हूं और आप मुझे अपना शिष्य बना लीजिए जिस पर महात्मा बुद्ध थोड़े से चिंतित हो गए क्योंकि एक राजा के लिऐ सन्यास का जीवन मुश्किल होता है।

महात्मा बुद्ध ने कहा ठीक है मैं तुम्हे अपना शिष्य बना लूंगा पर तुम्हे उसके लिऐ मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी राजा ने कहा जब मुझे सन्यास लेना ही है तो मुझे आपकी सभी शर्ते मंजूर हैं।

गौतम बुद्ध ने राजा से कहा की तुम अपने नगर में कपड़े उतार कर खुद को जूते मारते हुए एक दिन गुजारो राजा ने पक्का इरादा कर लिया था कि वह संन्यास लेकर ही रहेगा।

इसलिए वह शर्त पूरी करने चला गया जब शिष्यों को महात्मा बुद्ध के द्वारा रखी गई शर्त के बारे में पता चला तो उन्हें बहुत हैरानी हुई तब महात्मा बुद्ध के एक शिष्य आनंद ने उनसे पूछा।

कि जब हम संन्यास लेने आए थे तब आपने हमसे ऐसी कोई शर्त नहीं रखी थी तो राजा को इतनी कठिन शर्त क्यों रखी गई तब गौतम बुद्ध ने बताया कि जब तुम सभी संन्यास लेने आए थे तब तुम्हारे अंदर इतना अहंकार नहीं था।

और जब तुम भिक्षा मांगने लगे तब तुम्हारा बचा हुआ अहंकार भी पूरी तरीके से खत्म हो गया था परंतु यह एक नगर का राजा है और इसमें अहंकार है।

बड़ी बीमारी खत्म करने के लिए बड़ा इलाज करना पड़ता है इसलिए राजा के अहंकार को खत्म करने के लिए बड़ा शर्त रखनी पड़ी राजा ने अपनी शर्ट को पूरा कर दिया और वह शाम को महात्मा बुद्ध के आश्रम में आ गया।

राजा की दशा देख महात्मा बुद्ध को विश्वास हो गया था की राजा का पूरी तरीके से अहंकार खत्म हो चुका है।

तब गौतम बुद्ध ने राजा को कहा कि अब तुम संन्यासी बन चुके हो और मैंने तुम्हें अपना शिष्य भी मान लिया है तुम अपना राज पाठ चलाओ तुम्हारी जगह आश्रम में नहीं बल्कि महल में ही है परंतु तुम स्वामी भाव से कार्य मत करना बल्कि प्रजा की सेवा सेवक भाव से करना।

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष

इस Gautam Buddha Story In Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि अहंकार को त्यागकर ही सच्ची सेवा और संन्यास का मार्ग अपनाया जा सकता है तभी हमे जीवन में सुकून महसूस होगा कपटी मन का व्यक्ती सदा बेचैन रहता है जबकि साधू संत जीवन को सुकून से जीते हैं क्योंकि वह दुनियां की मोहमाया और घमंड को त्याग देते हैं।

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FAQ About Gautam Buddha Biography in Hindi

Q. बुद्ध ने मांस क्यों खाया था?

Ans. गौतम बुद्ध के अनुसार एक भिक्षु जब भिक्षा मांगने जाता है तो वह अपनी पसंद का भोजन नहीं मांग सकता है उसे भिक्षा में जो भी दिया जाए उसे स्वीकार करना होगा अधिकतर लोग मांस ही खाया करते थे इसलिए उन्हें वह स्वीकार करना पड़ता था।

Q. बुद्ध की मृत्यु की घटना को क्या कहते हैं?

Ans. बौद्ध धर्म में इस घटना को महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है।

Q. गौतम बुद्ध को मारने कौन आया था?

Ans. श्रावस्ती का अंगुलिमाल डाकू बहुत ज्यादा खूंखार था वह लोगों की उंगलियां काटकर उनकी माला बनाकर पहन लेता था जिससे वह और भी ज्यादा भयानक लगा करता था उसे महात्माओं से चीड़ थी उसने गौतम बुद्ध को मारने का प्रयास किया था परंतु गौतम बुद्ध की अच्छाइयां एवं उपदेशों को जानकार वह भी बुद्ध का अनुयाई बन गया था।

Q.बुद्ध किसकी पूजा करते थे?

Ans. गौतम बुद्ध किसी भी भगवान की पूजा नहीं किया करते थे उन्होंने मानव को मध्यम मार्ग अपनाने की सलाह दी थी जिसमें व्यक्ति ना ज्यादा मोह माया के करीब जाता है एवं ना ज्यादा त्याग करता है बढ़ते पाखंड को देखते हुए गौतम बुद्ध ने ईश्वर की मौजूदगी को पूरी तरह से नकार दिया था। वह किसी भी ईश्वर की पूजा नहीं किया करते थे और उन्होंने कभी भी अपने अनुयायियों से नहीं कहा कि मैं भगवान हूं गौतम बुद्ध ने हमेशा यही कहा कि वह भी एक इंसान है।

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