स्वर्गवासी श्री अटल बिहारी वाजपेई जी जोकि भारत देश के पूर्व प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं वह एक अच्छे नेता होने के साथ-साथ एक अच्छे कवि भी थे उन्होंने कई कविताएं लिखीं जिन्हें वह अक्सर मंच पर खड़े होकर बोला करते थे लोगों को उनका यह अंदाज बहुत जाना पसंद आया करता था।
उनकी एक मशहूर कविता ‘हार नहीं मानूंगा’ (Haar Nahi Manunga Poem ) हमेशा प्रशंसा का विषय बनी रहती है क्योंकि इस Haar Nahi Manunga Poem को पढ़ते ही व्यक्ति में साहस और जुनून का आगमन होता है और यह कई बड़े मंचों पर भी बोली जाती है इसलिए इस लेख में हमने यह Haar Nahi Manunga Poem प्रस्तुत की है।
Haar Nahi Manunga Poem हिंदी में
1. हार नहीं मानूंगा
जूझने का मेरा कोई इरादा न था,
मोड पर मिलेंगे इसका कोई इरादा न था
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
ये लगा जिंदगी से बड़ी हो गई,
जूझने का मेरा कोई इरादा न था
मोड पर मिलेंगे इसका कोई इरादा न था
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई,
मौत की उम्र क्या है? दो पल भी नहीं
जिदंगी सिलसिला, आज कल का नहीं.
मैं जी भर जिया, मै मन से मरूं।
मैं जी भर जिया, मै मन से मरूं।।
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?
तू दबे पांव, चोरी छिपे से न आ,
सामने वार कर, फिर मुझे आजमा.
मौत से बेखरब, जिन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर,
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाकी है कोई गिला,
हर चुनौतियों से दो हाथ मैने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए,
टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?
अंतर को चीर व्यथा पर ठिठकी।
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं।
गीत नया गाता…
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कदम मिलाकर चलना होगा: नेता अटल जी ने सभी को एक साथ रहने के लिए मंच पर प्रेरित करते हुए यह अनोखी कविता “कदम मिलाकर चलना होगा” मंच पर बोली थी यह अटल जी की प्रचलित कविताओं में से एक है।
2.कदम मिलाकर चलना होगा
बाधाएं आती हैं आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.
हास्य-रूदन में, तूफानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,पीड़ाओं में पलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा,
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा.
कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तनमन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा.
क़दम मिलाकर चलना होगा.
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3.दूध में दरार पड़ गई
खून क्यों सफेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया.
बंट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई.
दूध में दरार पड़ गई।
खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी,
व्यथित सी बितस्ता है
वसंत से बहार झड़ गई,
दूध में दरार पड़ गई.
अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता,
तुम्हें वतन का वास्ता.
बात बनाएं, बिगड़ गई.
दूध में दरार पड़ गई.
4.मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो, गोरी राजा के राज में.
जइयो तो जइयो, उड़िके मत जइयो,
अधर में लटकीहौ,वायुदूत के जहाज़ में.
जइयो तो जइयो,सन्देसा न पइयो,
टेलिफोन बिगड़े हैं,मिर्धा महाराज में.
जइयो तो जइयो,मशाल ले के जइयो,
बिजुरी भइ बैरिन, अंधेरिया रात में.
जइयो तो जइयो,त्रिशूल बांध जइयो,
मिलेंगे ख़ालिस्तानी,राजीव के राज में.
मनाली तो जइहो, सुरग सुख पइहों.
दुख नीको लागे, मोहे राजा के राज में.
5.मस्तक नहीं झुकने दूंगा
एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।
अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतंत्रता
त्याग, तेज, तप, बल से रक्षित यह स्वतंत्रता
प्राणों से भी प्रियतर यह स्वतंत्रता।
इसे मिटाने की साजिश करने वालों से
कह दो चिनगारी का खेल बुरा होता है
औरों के घर आग लगाने का जो सपना
वह अपने ही घर में सदा खरा होता है।
अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र न खोदो
अपने पैरों आप कुल्हाड़ी नहीं चलाओ
ओ नादान पड़ोसी अपनी आंखें खोलो
आजादी अनमोल न इसका मोल लगाओ।
पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है
तुम्हें मुफ्त में मिली न कीमत गई चुकाई
अंगरेजों के बल पर दो टुकड़े पाए हैं
मां को खंडित करते तुमको लाज न आई।
अमेरिकी शस्त्रों से अपनी आजादी को
दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो
दस-बीस अरब डॉलर लेकर आने वाली
बरबादी से तुम बच लोगे, यह मत समझो।
धमकी, जेहाद के नारों से, हथियारों से
कश्मीर कभी हथिया लोगे, यह मत समझो
हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से
भारत का भाल झुका लोगे, यह मत समझो।
जब तक गंगा की धार, सिंधु में ज्वार
अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष
स्वातंत्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे
अगणित जीवन, यौवन अशेष।
अमेरिका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध
कश्मीर पर भारत का ध्वज नहीं झुकेगा,
एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।
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6.जानता सत्य है
जानता सत्य है एक तत्व,
सत्य ही है तो एक अस्तित्व,
चलता ज्ञान के दिव्य पथ पर,
क्यों फँसता इन्द्रियों के रथ पर,
माना मुक्त पर बाँधी डोर,
अद्वैत में क्यों तृष्णा का शोर,
जीवन क्या है बस मोहजाल,
माया ईश्वर का बिम्ब विशाल,
मुनि मौन हो गया जो निज में
समता जागी अंतर्मन में
आत्मा में विश्व का कर दर्शन
जीवन को जान लिया जीवन
फिर ममता का क्यों बंधन है
संसार की फिर क्यों उलझन है
मन में क्यों भाव आशक्ति है
मुक्ति में कैसी युक्ति है।
आपको हमारे द्वारा प्रस्तुत की गई Haar Nahi Manunga Poem कैसी लगी अपनी राय कॉमेंट में जरूर बताएं यह Haar Nahi Manunga Poem अटल बिहारी वाजपाई जी के जीवन की एक अनोखी कविता रही है जिसे वाह अक्सर भाषण देने के दौरान उपयोग किया करते थे।