गौतम बुद्ध की शिक्षाओं से भरपूर कहानियां Gautam Buddha Hindi Story

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Gautam Buddha Hindi Story: gautam buddha जिन्होंने एक सुंदर राजकुमार बनकर जन्म लिया जिनके बचपन का नाम “सिद्धार्थ” था जिन्होंने अपने महल प्रत्येक के सुख को त्याग कर आत्मज्ञान को प्राप्त किया और दुनियां को जीवन का सच्चा मार्ग दिखाया gautam buddha पर कुछ प्रचलित gautam buddha hindi story मशहूर हैं जिनमे उनसे मिलने वाले ज्ञान (gautam buddha teachings) के बारे में लिखा है।

gautam buddha teachings दुनिया में इतनी ज्यादा प्रचलित हैं की लोग महात्मा बुद्ध को दुनियां का सबसे महान ज्ञानी मानते हैं। gautam buddha hindi story जिनमे gautam buddha के जीवन के मुख्य कुछ लम्हे हैं जिनसे ज्ञान प्राप्त होता है इसलिए हम आपसे gautam buddha hindi story साझा करने वाले हैं जोकि आपके जीवन में बदलाव करने में सहायता करेगी क्योंकि इनमे gautam buddha teachings हैं।

अपमान की वजह gautam buddha hindi story

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Gautam Buddha Hindi Story: एक समय की बात है महात्मा बुद्ध अपने शिष्य के साथ एक दूर के नगर में प्रवचन देने के लिए जा रहे थे वह और शिष्य काफी दिनों से पैदल चल रहे थे और आखिरकार एक समय ऐसा आया जब वह उस नगर के मुख्य द्वार पर पहुंच गए।

परंतु महात्मा बुद्ध और शिष्य ने महसूस किया कि उस नगर के लोग महात्माओं को पसंद नहीं करते हैं एवं वह नहीं चाहते कि उन्हें कोई उपदेश दे और सीधी राह पर लेकर आए।

इसलिए उन्होंने महात्मा बुद्ध और शिष्य को अपमानित करना शुरू कर दिया उन्होंने कई घंटे तक महात्मा बुद्ध को नगर में नहीं घुसने दिया एवं उन्हें बहुत गालियां देकर उनका अपमान किया परंतु शिष्य और महात्मा बुद्ध शांत अवस्था में उसी स्थान पर खड़े रहे उन्होंने किसी प्रकार की कोई गतिविधि नहीं की।

यह देखकर गांव वाले हैरान हुए और उनमें से एक व्यक्ति ने महात्मा बुद्ध से पूछा कि क्या तुम इंसान नहीं हो हमने तुम्हें इतनी गालियां दी और अपमान भी किया परंतु तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता क्या तुम्हें आत्मसम्मान से प्यार नहीं है।

महात्मा बुद्ध ने कहा मुझे स्वागत से कोई फर्क नहीं पड़ता एवं मुझे अपमान से भी कोई फर्क नहीं पड़ता मैं एक संत हूं मुझे दुनिया के लोगों की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता।

क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को इस दुनिया से मिट जाना है एवं इस सृष्टि का भी एक दिन अंत होगा। यदि कोई मेरा अपमान करता है तो मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मैंने आत्मज्ञान को प्राप्त किया है मैं प्रत्येक मनुष्य में बचे हुए कोमल मन को ज्ञान बांटने का काम करता हूं।

जो कि व्यक्ति के मस्तिष्क में कहीं दवा है और उसकी नकारात्मकता उस पर नियंत्रण पाकर उसे बहकाती है। तब उस व्यक्ति ने कहा परंतु हमने तुम्हारा बहुत अपमान किया तुम कुछ नहीं करोगे महात्मा बुद्ध ने कहा ऐसा नहीं है कि मैं कुछ नहीं करूंगा।

मैं वही करूंगा जो मैंने पिछले नगर में किया था तब व्यक्ति ने पूछा कि आपने क्या किया था महात्मा बुद्ध ने कहा कि पिछले नगर में लोग मेरे लिए बहुत सारे पकवान एवं फल लेकर आए थे।

परंतु मैं भोजन कर चुका था एवं मेरा पेट भरा हुआ था इसलिए मैंने उन लोगों से कहा कि यह भोजन एवं फल अपने लोगों में जाकर बांट दो मेरा पेट भरा हुआ है और उन्होंने मेरी आज्ञा क्या पालन किया उन्होंने वह फल एवं भोजन को अपने लोगों में जाकर बांट दिया।

मैं तुमसे भी कहता हूं तुमने जो मुझे गालियां एवं अपमान जनक बातें कही है वह तुम अपने लोगों में जाकर बांट दो क्योंकि मुझे इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। सभी व्यक्तियों को एक महान ज्ञानी का अपमान करने का बहुत ज्यादा पछतावा हुआ।

एवं सभी ने महात्मा बुद्ध से क्षमा मांगी और उन्हें नगर में आने की अनुमति दी इस प्रकार महात्मा बुद्ध ने बिना हिंसा किया लोगों को वह पाठ पढ़ाया जिसे लोग जिन्दगी में नही समझ पाते हैं।

gautam buddha hindi story का निष्कर्ष 

Gautam Buddha Teachings: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें जीवन में उन्हीं चीजों को स्वीकार करना चाहिए जिनकी हमें आवश्यकता है यदि हमें उस चीज की आवश्यकता नहीं है तो हमें उसे नकार देना चाहिए चाहे वह अपमान हो या कोई वस्तु।

नकारात्मकता का द्वार gautam buddha hindi story

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महात्मा बुद्ध अक्सर कई प्रमुख नगरों में प्रवचन देने के लिए जाया करते थे और वह उस समय तेजी से मशहूर हो रहे थे वह जहां भी जाते लोग उनका स्वागत बहुत धूमधाम से किया करते थे उनके प्रवचन पर समाज चलने लगा था एवं उनकी बातों एवं उनके उद्देश्यों को महत्व दिया जाता था।

जिस कारण वह काफी ज्यादा प्रचलित होने लगे महात्मा बुद्ध एक नगर में गए जहां पर वह लोगों को कुछ दिनों से प्रवचन देने का काम कर रहे थे।

उस नगर की राजकुमारी जोकि बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थी राजकुमारी की शादी की उम्र हो चुकी थी परंतु वह शादी नहीं कर रही थी क्योंकि उसे किसी महान ज्ञानी से शादी करनी थी।

जब उसे पता चला कि महात्मा बुद्ध नाम का कोई महान व्यक्ति है तब वह राजकुमारी महात्मा बुद्ध से मिलने के लिए आई राजकुमारी ने बहुत ही सम्मान पूर्ण महात्मा बुद्ध को नमन किया एवं उन्हें महल में आने का निमंत्रण भी दिया।

राजकुमारी ने महात्मा बुद्ध से अपने जीवन की कई समस्याओं एवं उलझन के जवाब मांगे महात्मा बुद्ध ने सभी समस्याओं के सटीक एवं लाभदायक जवाब दिए।

इस बात से राजकुमारी काफी ज्यादा प्रभावित हुई एवं वह खुद को रोक न सकी और महात्मा बुद्ध जोकि उस समय के महान ज्ञानी थे परंतु राजकुमारी जानती थी कि महात्मा बुद्ध पहले एक राजकुमार थे जिनका नाम “सिद्धार्थ” था।

राजकुमारी ने सोचा कि उसे महात्मा बुद्ध से शादी का प्रस्ताव रखना चाहिए राजकुमारी ने बिल्कुल ऐसा ही किया राजकुमारी ने महात्मा बुद्ध से कहा कि कृपया आप मुझसे शादी कर लीजिए।

ताकि हमारा एक बेटा हो जोकि मेरा नाम दुनिया भर में मशहूर करें और लोग मेरा सम्मान करें महात्मा बुद्ध ने काफी देर तक कुछ सोचा फिर उन्होंने राजकुमारी से कहा कि परंतु ऐसा करने के लिए आपको शादी करने की जरूरत नहीं है।

यह तो बिना शादी के भी हो सकता है यह सुन राजकुमारी हैरान हुई और उसने पूछा कि आखिरकार यह कैसे मुमकिन है तब माता बुद्ध ने बताया आपको मुझसे शादी करने की जरूरत नहीं है।

बल्कि “आप मुझे अपना बेटा ही मान लीजिए” मैं आपका नाम दुनिया भर में मशहूर कर दूंगा एवं लोग आपका सम्मान भी करेंगे कि मैं आपका पुत्र हूं यह सुन राजकुमारी बहुत ज्यादा आश्चर्यचकित हुई।

वह अपनी गलती समझ गई कि वह एक महान ज्ञानी को अपने जीवन के लक्ष्य से भटकाना चाहती है राजकुमारी ने महात्मा बुद्ध से क्षमा प्रार्थना करी महात्मा बुद्ध दयालु प्राणी थे।

इसलिए उन्होंने राजकुमारी को “हे माते” कहकर बुलाया और उन्हें जाने की अनुमति दी इस प्रकार राजकुमारी ने महात्मा बुद्ध को आखिरी बार सर झुकाकर प्रणाम किया और वहां से चली गई।

gautam buddha hindi story का निष्कर्ष 

Gautam Buddha Teachings: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समुद्र जोकि विशालकाय होता है वह भी एक समुद्री जहाज को जब तक नहीं डूबा सकता है जब तक पानी उसके अंदर न घुस जाय इसी प्रकार मानव भी जब तक बर्बाद नहीं होता जब तक वह नकारात्मक विचारों को खुद में न उतरने दे एवं खुद में नकारात्मकता को उत्पन्न न होने दे।

मोहमाया से प्रेम gautam buddha hindi story

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Gautam Buddha Hindi Story: महात्मा बुद्ध एवं उनका शिष्य काफी समय से एक ही नगर में प्रवचन दे रहे थे उन्हें उस नगर में काफी ज्यादा समय हो चुका था इसलिए अब महात्मा बुद्ध चाहते थे कि उन्हें अब दूसरे नगर की ओर जाना चाहिए एवं यह नगर छोड़ देना चाहिए।

जब उन्होंने यह बात अपने शिष्य को बताई तो शिष्य ने कहा कि गुरुजी इस नगर में लोग हमारा बहुत सम्मान करते हैं एवं बहुत चढ़ावा भी चढ़ाते हैं और हमारी मदद भी करते हैं।

शायद हमें कुछ समय और इस नगर में रुकना चाहिए ताकि हमें और चढ़ावा मिल सके यह बात सुनकर महात्मा बुद्ध बहुत ज्यादा क्रोधित हुए उन्होंने अपने शिष्य को समझाया कि हम संत हैं हमें दुनिया की मोह माया से कोई मतलब नहीं होना चाहिए।

तुम आत्मज्ञान प्राप्त करने की राह पर चले हो तुम्हें चढ़ावे से कोई मतलब नहीं होना चाहिए तुम मोह माया की तरह बढ़ रहे हो इसलिए हम यह नगर कल ही छोड़ेंगे।

महात्मा बुद्ध ने बिल्कुल ऐसा ही किया उन्होंने सुबह होते ही उस जगह को छोड़ दिया और शिष्य उनके साथ चल पड़ा पर शिष्य के मन में मोह माया के प्रती लालच जग चुका था इसलिए उसने चुपके से कुछ सिक्के अपने पास रख लिया ताकि वह उसके आगे काम आ सके।

इस बात से महात्मा बुद्ध अनजान थे दूसरे नगर जाने के लिए एक विशाल नदी को पार करना था जो काफी बड़ी थी जिसे तैरकर पार करना नामुमकिन था।

परंतु वहां एक नाव चलाने वाला व्यक्ति था जिसका कार्य था कि वह लोगों को नदी के उस पार छोड़ता था वह बोला मैं आपको नदी के उस पार छोड़ने के दो सिक्के लूंगा।

परंतु महात्मा बुद्ध ने कहा मैं एक संत हूं मैं अपने पास धन नहीं रखता परंतु वह व्यक्ति उसने कहा मैं अपने परिवार को पालने के लिए काम करता हूं यदि मैं अपने धंधे से समझौता कर लूंगा तो अपने परिवार को क्या खिलाऊंगा इसलिए उसने महात्मा बुद्ध को फ्री में नदी पार नहीं कराई।

पूरे दिन महात्मा बुद्ध इंतजार करते रहे की नाव वाले व्यक्ति का दिल पिघल जाय या तो कोई शिष्य आ जाय।

परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ पूरा दिन बीत गया एवं शाम हो गई तब नाव वाले ने कहा कि अब आपको उसी नगर वापस लौट जाना चाहिए जहां से आप आए हैं नहीं तो जंगली जानवर आपका शिकार भी कर सकते हैं।

क्योंकि इस इलाके में बहुत ज्यादा जंगली जानवर हैं महात्मा बुद्ध ने कहा कहा कि मैं जिस नागर को छोड़कर चला आता हूं मैं उसमें वापस नहीं जाता।

शिष्य बहुत पहले ही सिक्के देकर नदी पार करना चाहता था परंतु महात्मा बुद्ध को पता चल जाता कि उसके पास सिक्के हैं इसलिए उसने ऐसा नहीं किया
परंतु जब उसे पता चला कि महात्मा बुद्ध नगर वापस नहीं जाएंगे रात को जान का खतरा है।

तो उसने बिना कुछ सोचे समझे दो सिक्के निकाले और नाव वाले को दे दिए। नाव वाले ने महात्मा बुद्ध एवं शिष्य को नदी पार करा दी नदी पार करने के बाद महात्मा बुद्ध ने शिष्य की तरफ मुस्कुराते हुए देखा और उससे कहा।

कि देखा जब तक तुम्हारे पास यह सिक्के थे तब तक हम पर मुसीबत थी जैसे ही तुम्हारे सिक्के चले गए वैसे ही हमें सुकून मिल गया।

परंतु शिष्य ने कहा कि गुरुजी यदि मैं वह सिक्के ना लाता तो शायद हम नदी पार भी ना कर पाते महात्मा बुद्ध ने कहा तुम्हारे पास सिक्के थे इसलिए इश्वर हमारी परीक्षा ले रहा था वह तुम्हारी हरकत को मेरे सामने लाना चाहता था।

इसलिए उसने इस खेल को रचा महात्मा बुद्ध ने उसे समझाया कि त्याग ही मानव विकास का रास्ता है यदि तुम चीजों का त्याग नहीं करोगे तो कभी भी सफल नहीं बन पाओगे यदि वह सिक्के तुम्हारे पास न होते तो इश्वर बहुत पहले ही हमे नदी पार करा देता।

परंतु तुम्हारे पास सिक्के थे इसलिए वह हमें आखिरी समय तक आजमाता रहा शिष्य को भी यह बात भली-भांति समझ में आ गई की लालच ही वह मुसीबत है जो व्यक्ति को जिंदगी में सफल होने से रोकता हैं एवं उसे आगे नहीं बढ़ने देता त्याग ही सफ़लता का रास्ता है।

gautam buddha hindi story का निष्कर्ष 

Gautam Buddha Teachings: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें लालच नहीं करना चाहिए दुनिया में इतनी दौलत है ही नहीं जो किसी भी मानव की हवस को पूरा कर सके इसलिए हमें कभी भी मोह माया के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए त्याग ही वह एक मात्र उपस्थित है जिसके द्वारा हम जीवन को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

एवं अपने जीवन में सुकून पा सकते हैं यदि यकीन ना हो तो सिर्फ एक दिन के लिए आप अपने मोबाइल को खुद से दूर कर दें एवं उस दिन आप किताबें और अखबार पढ़ें ध्यान करें आपको रात्रि के समय वह महसूस होगा जो आपको आज तक कभी नहीं हुआ था यह है त्याग की शक्ति।

लालची राजा gautam buddha hindi story

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Gautam Buddha Hindi Story: एक बार महात्मा बुद्ध सभी शिष्यों को आश्रम में प्रवचन दे रहे थे की हमे मोहमाया में नही पढ़ना चाहिए और सांति का जीवन जीना चाहिए क्योंकि कुछ भी हमारे साथ नहीं जायेगा कोई कितना भी प्रयास कर ले प्रत्येक व्यक्ति को ख़ाली हाथ जाना है।

उन्होंने शिष्यों को यह प्रवचन सही से समझाने के लिए के लिए एक कहानी का सहारा लिया और उन्होंने कहानी सुनानी शुरू करी एक नगर काफी ज्यादा गरीबी से गुजर रहा था क्योंकि उस नगर का राजा स्वयं की खुशी के लिए शाही खजाने को बढ़ाता जा रहा था।

जिसके लिए वह लोगों पर अनेक प्रकार के कर लगता रहता था जिससे जनता के बुरे हाल थे परंतु राजा को प्रजा से कोई मतलब नहीं था वह बस किसी प्रकार से अपने शाही खजाने को डबल करना चाहता था जनता के बुरे हाल थे और नगर में प्रशासन बुरी तरह बिगड़ चुका था।

नगर में बहुत ज्यादा चोरियां होने लगी थी क्योंकि लोगों के पास रोजगार नहीं था और उन्हें पेट भरने के लिए चोरी करनी पड़ती थी इस प्रकार नगर में रहना भी एक कठिन कार्य हो गया था।

उस नगर के बाहर एक महान ज्ञानी तपस्या किया करता था जिसका लोग बहुत ही ज्यादा आदर किया करते थे वह लोगों को उनके दुखों से निवारण दिलाता था

क्योंकि उसके शब्दों में वह जादू था जो किसी भी व्यक्ति के दुखों को समाप्त कर सकता है। राजा जोकी बहुत ही ज्यादा लालची था उसे जब उस ज्ञानी के बारे में पता चला तो राजा ने मन बनाया कि मैं ज्ञानी से पूछ लेता हूं कि जल्दी शाही खजाने को डबल करने का क्या उपाय है।

उसने शाही मंत्री को ज्ञानी के पास भेजा और महल में ज्ञानी को आने का आमंत्रण दिया। ज्ञानी ने राजा का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया ज्ञानी जानता था कि राजा लालची है एवं वह प्रजा पर अत्याचार कर रहा है इसलिए उसने राजा को सही राह पर लाने का विचार बनाया।

ज्ञानी ने महल में जाते वक्त अपने वस्त्रों में कुछ छोटे पत्थरों को लपेट लिया और वह महल में पहुंच गया जब ज्ञानी ने राजा को प्रणाम करने के लिए हाथ जोड़े। तब उसके वस्त्रों से वह छोटे पत्थर गिर गए जिसे देखकर महल में सभी हैरान हो गए।

क्योंकि इतने सारे पत्थर कोई भूल से नहीं आ सकते हैं मतलब की ज्ञानी उन्हें जानबूझकर बुलाया है। राजा ने इसकी वजह पूछने की उत्साह दिखाई और उस ज्ञानी से पूछा कि आप इन पत्थरों को क्यों लेकर आए हैं क्या यह कोई मूल्यवान पत्थर है।

ज्ञानी ने कहा कि मैं एक संत हूं मेरे लिए मोह माया जैसी कोई भी चीज अस्तित्व में नहीं है। परंतु यह पत्थर मेरा धन है जिन्हें मैंने जिंदगी भर संभाल के रखा है अब जब मैं मर जाऊंगा तो मैं यह जाकर ईश्वर को भेंट करूंगा।

यह सुनकर महल में सभी हंसने लगे परंतु राजा नहीं हंसा क्योंकि राजा जानता था की ज्ञानी महान व्यक्ति है वह ऐसी बातें नहीं कर सकता है इसके पीछे कोई मुख्य वजह होगी राजा ने कहा आप बड़े ज्ञानी है परंतु आप इस प्रकार की बातें करेंगे मुझे उम्मीद नहीं थी।

राजा ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सकता है प्रत्येक व्यक्ति दुनिया में खाली हाथ आता है एवं वह खाली हाथ ही जाएगा यह आपकी गलत सोच है कि आप यह पत्थर ईश्वर को भेंट करेंगे।

भी ज्ञानी ने कहा कि यह बात सत्य है कि प्रत्येक व्यक्ति को खाली हाथ जाना है परंतु तुम मुझे ज्ञान दे रहे हो पर फिर भी दुनिया की इस मोह माया में पड़े हो तुम जानते हो कि हमें खाली हाथी जाना है फिर भी अपनी प्रजा पर जुल्म कर रहे हो और उन पर कर लगाकर उन्हें मरने के लिए छोड़ रहे हो।

ऐसा करना सबसे बड़ा गुनाह है तुम अपने स्वार्थ के लिए गरीब लाचार लोगों पर जुल्म कर रहे हो राजा को भी समझ में आ गया कि वह लालच के कारण अहंकारी हो गया था और वह सभी के दुखों को भूल गया।

जबकि उसे दुनिया से खाली हाथ ही जाना है ज्ञानी ने राजा को अपने तरीके से समझाया और इस प्रकार राजा को समझ में भी आया और वह राज्य धीरे-धीरे खुशी की ओर बढ़ने लगा।

तभी गौतम बुद्ध ने कहानी खत्म करते हुए कहा कि लालच व्यक्ति को जीवन के ज्ञान और सुख से वंचित करती है और उसे आगे नहीं बढ़ने देती है इसलिए हमें सदा लालच से बचने का प्रयास करना चाहिए।

gautam buddha hindi story का निष्कर्ष 

Gautam Buddha Teachings: इस कहानी से हमें ऐसी मिलती है की लालच है वह उपस्थित है जो मनुष्य को जीवन के असली सुख से दूर ले जाती है एवं उसे दुखों की ओर धकेल देती है लालच कभी ना खत्म होने वाली बीमारी है इसका कोई अंत नहीं है परंतु इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है लालच को त्याग देना ही मानव की वृद्धि का मूल उपाय है।

खुश रहने का उपाय Gautam Buddha Hindi Story

Gautam Buddha अक्सर शिष्यों को बेहतर तरीके से प्रवचन समझाने के लिए कई प्रकार की कहानियों का सहारा लिया करते थे एक बार वह प्रवचन दे रहे थे कि हमें लोगों को माफ करना सीखना चाहिए।

एवं उनके सिर्फ अच्छे कामों को याद रखना चाहिए और बुरे कर्मों को भूल जाना चाहिए। तभी हम जीवन को बेहतर तरीके से जी सकते हैं Gautam Buddha ने यह बात समझाने के लिऐ एक कहानी सुनाई की दो सच्चे मित्र एक लंबा सफर तय करके दूर नगर जा रहे थे।

दोनों रास्ते में काफी ज्यादा हंसी मजाक कर रहे थे जिससे सफर काफी ज्यादा आसान हो गया था परंतु हंसी मजाक के दौरान उन दोनों में मजाक के कारण बहेश हो गई और स्थिति इतनी ज्यादा बिगड़ गई थी एक दोस्त ने दूसरे दोस्त को थप्पड़ मार दिया।

जिससे उस दोस्त को बहुत बुरा लगा जिसे थप्पड़ लगा था दोनों को सफर एक साथ तय करना था इसलिए वह चुपचाप सफ़र पर चलते रहे परंतु उनकी दोस्ती बिगड़ चुकी थी वह एक दूसरे से बात नहीं करना चाहते थे।

वह एक जगह पर पानी पीने के लिए रुके तब उस मित्र जिसे थप्पड़ लगा था उसने रेत पर लिखा कि आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा जिसे देख दूसरे दोस्त को बहुत बुरा लगा कि उसने अपने बचपन के दोस्त को थप्पड़ मारा।

जिसके लिए उसे पश्चाताप भी हो रहा था पर थोड़ी दूरी पर एक नहर थी जिसमे उन्होंने नहाने का विचार बनाया वह दोनों उस नहर में नहाने के लिए गए परंतु जिस दोस्त को थप्पड़ लगा था वह गलती से नहर का उसे हिस्से में नहाने चला गया जहां पर दलदल थी।

जिस कारण वह डूबने लगा और हाथ पैर फड़फड़ाने लगा लगा यह देख दूसरे दोस्त ने अपनी पूरी जान लगा कर उसे बचाने का प्रयास किया और बहुत मेहनत करने के बाद उसने अपने बचपन के दोस्त को बचा लिया।

यह देखने के बाद जिस दोस्त को थप्पड़ लगा था और जोकि अभी दलदल से निकला था उसने एक बड़े से पत्थर पर जाके लिखा कि आज मेरे बचपन के दोस्त ने मेरी जान को बचाई।

यह देख दूसरे दोस्त ने पूछा ही अभी तो तुम लिख रहे थे कि मैने तुम्हें थप्पड़ मारा पर अब तुम यह लिख रहे हो इसका क्या कारण है उसने बताया कि जब हमारे अपने लोग हमें दुख पहुंचाते हैं तो हमें उनकी बातों को अपने मन के रेतीले हिस्से में लिख लेना चाहिए।

ताकि एक समय पर वह अपने आप मिट जाय परंतु जब कोई हम पर उपकार करता है और एहसान करता है तब हमे उनके उस अहसान को अपने दिल पर इस प्रकार लिख लेना चाहिए जिसे हम कभी ना भूल पाए जिससे कभी हमारे संबंध खराब ना हो मानो की जैसे हमने किसी पत्थर पर लिख दिया हो इसलिए मैंने इस पत्थर पर लिखा।

Gautam Buddha Hindi Story का निष्कर्ष

Gautam Buddha Teachings: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें दूसरों के एहसान को नहीं भूलना चाहिए दूसरों की गलतियों को हमें भूलने का प्रयास करना चाहिए एवं उन्हें दिल से नहीं लगाना चाहिए दूसरे व्यक्ति की अच्छाइयों पर हमें ज्यादा ध्यान देना चाहिए जिस कारण हमारे संबंध कभी भी नहीं बिगड़ेंगे।

हल आपके पास है Gautam Buddha Hindi Story

एक बार Gautam Buddha ने अपने शिष्यों को एक कहानी सुनाई एक नगर में काफी बूढ़ा ज्ञानी व्यक्ति रहा करता था लोगों उसे सबसे ज्यादा ज्ञानी व्यक्ति मानते थे इसलिए वह अक्सर उससे अपनी समस्याओं के उपाय पूछने के लिए आते थे।

वह ज्ञानी व्यक्ति सभी को उनके दुखों का कारण बताता एवं उन्हें समस्या छुटकारा दिलाता ज्यादातर लोगों की समस्याएं एक समान ही होती थी एवं कई लोग तो ऐसे भी होते थे जो कि पहले भी उस समस्या का हल जान चुके हैं फिर भी वह उस समस्या के बारे में फिर से पूछने आए हैं।

यह बात उस ज्ञानी को अच्छी नहीं लगती थी क्योंकि गांव के लोग जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास नहीं करते थे बल्कि अपने दुखों में ही घिरे रहते थे एक समय जब उस नगर में एक बड़ा तोहार आने वाला था तभी गांव के सभी लोग अपनी अपनी समस्या लेकर उस ज्ञानी के पास गए।

और उन्होंने उस ज्ञानी के के घर के बाहर एक बड़ा घेरा बना लिया ज्ञानी ने किसी की बिना समस्या सुने उनसे कहा कि आज मैं तुम्हें एक चुटकुला सुनाता हूं तुम सबको हंसी आएगी उस ज्ञानी व्यक्ति ने एक चुटकुला सुनाया जिससे सबको बहुत हंसी आई।

और वह लोटपोट होने लगे परंतु उस ज्ञानी व्यक्ति ने दोबारा वही चुटकुला सुनाया इस बार सिर्फ दो-तीन लोग ही हसे परंतु जब ज्ञानी व्यक्ति ने वही चुटकुला तीसरी बार सुनाया तब कोई भी नहीं हंसा।

और आश्चर्य चकित होकर एक व्यक्ति ने पूछा कि बाबा आप एक ही चुटकुला कितनी बार सुनाएंगे एक चुटकुले पर बार-बार हंसा नहीं जा सकता है यह नामुमकिन है तब ज्ञानी व्यक्ति ने कहा जब तुम एक चुटकुले पर बार-बार हंस नहीं सकते हो तो तुम एक ही दुख पर बार-बार रोते क्यों हो।

तब सभी लोगों को समझ में आया कि वह अपने जीवन के दुखों पर रोते रहते हैं परंतु उनसे निकलने का प्रयास नहीं करते हैं ज्ञानी व्यक्ति ने कहा हमे अपने दुखों से निकलने का प्रयास करना चाहिए ना कि उन दुखों पर रोना चाहिए।

तब Gautam Buddha ने कहानी को खत्म करते हुए सभी से कहा कि दुख हमारे जीवन में काले बादलों की तरह है यदि दुखों को खत्म कर दिया जाए तो हमारा जीवन चमकते नीले आसमान की तरह हो जाएगा।

इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा दुखों से बचने का प्रयास करना चाहिए एवं एक ही दुख पर बार-बार अफसोस नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे सिर्फ हमारा वर्तमान नष्ट होता है और आने वाला भविष्य भी खराब होता जाता है।

Gautam Buddha Hindi Story का निष्कर्ष

Gautam Buddha Teachings: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो कार्य हमारे बस में नहीं है हमें उसके बारे में नहीं सोचना चाहिए उस विषय में सोचने से सिर्फ कष्ट ही होगा क्योंकि वह कार्य हमारे बस में नहीं है हमें अपने दुखों से निकलने का प्रयास करना चाहिए यदि हम दुख में रहने की आदत बना लेते हैं तो इससे दुख और भी ज्यादा बढ़ते जाते हैं ना कि कम होते हैं।

गौतम बुद्ध प्रवचन: Gautam Buddha Teachings

खुद निर्णय लें gautam buddha teachings

गौतम बुद्ध जोकि एक सुंदर एवं कुशल राजकुमार थे जिन्हे दुनिया के दुख समझ में आने लगे इसलिए उन्होंने मोह माया का जीवन त्याग कर सच्चे मार्ग पर चलने का विचार बनाया और वह इस प्रकार एक महान ज्ञानी बन गए। गौतम बुद्ध का जीवन हमे सिखाता है कि हम किस परिस्थिति में पैदा हुए यह जरूरी नहीं है बल्कि हमने जीवन को किस प्रकार जिया।

यह जरूरी है प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन को अपने तरीके से जी सकता है एवं उसे सही राह पर ला सकता है मनुष्य जैसा चाहे खुद को वैसा बना सकता है परंतु यह उस पर निर्भर है कि वह खुद को किस राह पर लेकर जाएगा जैसे गौतम बुद्ध ने मनुष्य की भलाई के लिए जीवन भर सफर किया और लोगों को ज्ञान बांटा। 

दुःख का कारण इच्छा gautam buddha teachings

गौतम बुद्ध ने कहा था कि मनुष्य ही वह उपस्थित है जो खुद के दुखों का कारण है यदि मनुष्य किसी से उम्मीद रखता है और वह उम्मीद टूट जाती है तो वह दुखी हो जाता है एवं वह किसी चीज की इच्छा प्राप्ति करता है तब भी उसे दुख होता है परंतु यदि मनुष्य इन चीजों की परवाह किए बिना अपनी इच्छा कम करने लगता है तब वह सुख की तरफ बढ़ने लगता है।

खुद पे नियंत्रण gautam buddha teachings

गौतम बुद्ध की प्रमुख शिक्षाओं में से एक है कि यदि मनुष्य खुद की इच्छाओं पर नियंत्रण न करे तो उसका जीवन बर्बादी की ओर बढ़ता जाता है परंतु यदि कोई अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करना सीख लेता है तो वह जीवन में सुखी रहने लगता है क्योंकि इच्छा कभी खत्म नहीं होती हैं और मनुष्य इच्छाओं के चलते अपने जीवन को बर्बाद कर लेता है।

जीवन वर्तमान में है gautam buddha teachings

गौतम बुद्ध ने कहा था कि हमें वर्तमान में जीना चाहिए एवं वर्तमान में जीने के लिए हमेशा सचेत रहना चाहिए अतीत में बीती घटनाओं को ज्यादा सोचने एवं भविष्य में होने वाली घटनाओं को ज्यादा सोचने से वर्तमान नष्ट होता है जीवन सदा वर्तमान में चलता है यदि आज वर्तमान को बेहतर नहीं किया तो वह आने वाले समय में अतीत बन जाएगा फिर हमे सिर्फ पछतावा होगा क्योंकि हमने उस समय को बर्बाद कर दिया होगा।

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