Gautam Buddha Motivational Story In Hindi गौतम बुद्ध की अनोखी कहानियां

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi गौतम बुद्ध ने जीवन के प्रत्येक सुख को त्याग कर सांति का मार्ग अपनाया और आत्मज्ञान प्राप्त किया और दुनिया को अनोखे ज्ञान से रूबरू कराया महात्मा बुद्ध सबसे बड़े ज्ञानियों में से एक रहे हैं उनकी बताई बातों पर करोड़ों लोग विश्वास करते हैं क्योंकि वह एक महान ज्ञानी थे उनके जीवन में कई घटनाएं घटी जिनको वर्तमान समय में Gautam Buddha Motivational Story In Hindi के रुप में प्रस्तुत किया जाता है जिनमे अपार ज्ञान का भंडार है। निम्नलिखित भी कुछ Gautam Buddha Motivational Story In Hindi भाषा में प्रस्तुत की गई हैं जिसने आप जीवन में काफी कुछ सीख सकते हैं

राजकुमार सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध का सफ़र Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

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राजकुमार सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध का सफ़र

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi जब 563 ईसा पूर्व में गौतम बुद्ध का जन्म हुआ तभी उनकी मां माया देवी की मृत्यु हो गई थी फिर कुछ ऋषियों ने भविष्यवाणी की यह बालक बडा होकर या तो एक महान सम्राट बनेगा या तो यह एक महान बुद्ध बनेगा।

यह बात सुन गौतम बुद्ध के पिता शुद्धोदन हैरान हुए क्योंकि यदि राजा का बेटा राजा नही बनेगा तो प्रजा को कौन संभालेगा और अगर राजा का बेटा एक बुद्ध बना तो यह अपमान की बात होगी इसलिए उन्होंने अपने बेटे की परवरिश करने का अनोखा विचार बनाया।

उन्होंने राजकुमार सिद्धार्थ को एक ऐसे महल में रखा जहां राजकुमार सिद्धार्थ के जीवन के सारे सुख मौजुद थे उन्हे किसी भी चीज़ की कमी नही थी। शुद्धोदन डरते थे की वह प्रजा के दुख और कष्टों को देख के कहीं बुद्ध ने बन जाए इसलिए वह उन्हे महल से बाहर नही जाने देते थे।

समय बीता और वह बड़े हुए और 16 साल की उम्र में राजकुमार सिद्धार्थ की शादी राजकुमारी यशोधरा से हो गई और कुछ साल बाद उनका एक बेटा हुआ जिसका नाम राहुला रखा गया। अभी तक उन्होंने किसी भी प्रकार का दुख और दर्द महसूस नही किया था।

पर वह एक बार मौका मिलने पर अपने नौकर के साथ राज्य के बाजार चले गए जहां उन्होंने एक बूढ़े इंसान को देखा जिसे देख उन्हे अजीब लगा और उन्होंने अपने नौकर से पूछा की यह कैसा अनोखा व्यक्ति है नौकर ने कहा राजकुमार यह एक बुढा इंसान है और हर व्यक्ति समय के साथ ऐसा ही हो जाता है।

राजकुमार सिद्धार्थ यह सुनने के बाद हैरान थे तभी वहां एक बीमार इंसान दिखा राजकुमार सिद्धार्थ ने पूछा तो नौकर ने बताया यह बीमार है वह लाचार दिख रहा था राजकुमार सिद्धार्थ ने पूछा क्या मैं भी बीमार हो सकता हूं क्योंकि मै तो राजकुमार हूं नौकर ने कहा हां राजकुमार आप भी बीमार हो सकते हो।

यह सब देखने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ हैरान थे क्योंकि उन्होंने यह सब जीवन में पहली बार देखा था। थोड़ी देर बाद उन्होंने लोगों को एक व्यक्ति के मृत्य शरीर को ले जाते हुए देखा तब उन्होंने नौकर से पूछा कि यह सब क्या हो रहा है नौकर ने जवाब देते हुए कहा राजकुमार उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई है राजकुमार सिद्धार्थ ने पूछा यह क्या होता है।

नौकर ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को यह दुनिया छोड़कर जाना है जिसे मृत्यु कहते हैं राजकुमार सिद्धार्थ ने कहा क्या मेरी भी मृत्यु हो जाएगी नौकर ने कहा राजकुमार सभी जीवित चीजों को मृत्यु आएगी मैं भी एक समय पर मृत्यु को प्यारा हो जाऊंगा।

यह सब देखने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ को बहुत ज्यादा अजीब लगा कि इंसान का जन्म ही क्यों होता है जब उसे मरना ही है। वह सोचने लगे यह सब क्यों होता है और काफी चिंतित रहने लगे लगातार इसी विषय पर सोचने के बाद जीवन के सच को जानने के लिए बेताब राजकुमार सिद्धार्थ ने एक रात्रि को हिम्मत करी और अपने महल और परिवार को हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए।

एक पीपल के पेड़ के नीचे 49 दिनो तक ध्यान करने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ को आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ और वह बन गए गौतम बुद्ध जैसी भविष्यवाणी ऋषियों ने की थी। उन्होंने जीवन के सत्य को और अपने ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया जिन पर वर्तमान समय में हजारों किस्से मशहूर हैं और कई प्रचलित कहनियां भी हैं।

दिमाग का खेल क्या है Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

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दिमाग का खेल क्या है

गौतम बुद्ध का एक शिष्य जो की अपनी हीन भावनाओं और अपने अहंकार से बहुत ही ज्यादा परेशान था वह दूसरों के प्रति मन में ईर्षा रखता और इस कारण उसे खुद पर पछतावा होता क्योंकि वह आत्मज्ञान की शिक्षा ले रहा था।

अपनी इन बुरी आदतों को छुड़ाने के लिए वह महात्मा बुद्ध के पास गया और उनसे कहा भगवन आप तो महान है और आप हमारे गुरु हैं परंतु मैं एक बड़ी चुनौती से गुजर रहा हूं।

मुझ में अहंकार की उपस्थिति है और मुझ में नकारात्मक विचारों का उत्पत्ति होती है मैं चाहता हूं कि आप मेरी इस समस्या का समाधान करें ताकि मैं आत्मज्ञान की शिक्षा को प्राप्त कर सकूं और एक अच्छा शिष्य बनकर आपके ज्ञान को फैला सकूं।

महात्मा बुद्ध ने कहा तुम्हारे अंदर का अहंकार और तुम्हारे मन की हीन भावनाएं चमकते हुए आसमान में काले बादलों की तरह है जो की चमकते हुए आसमान को घेर लेते हैं जिससे हमें आसमान की सुंदरता दिखाई नहीं देती।

शिष्य को महात्मा बुद्ध की बात ज्यादा समझ में नहीं आई इसलिए उसने महात्मा बुद्ध से कहा कि कृपया आप मुझे विस्तार से समझाएं ताकि मैं अपने जीवन में परिवर्तन ला सकूं।

महात्मा बुद्ध ने कहा कि एक बार एक किसी जंगल से गुजर रहा था तभी उसने एक सांप को पेड़ की डाली पर देखा और वह तेजी से भागा वह इतनी तेज भागा कि वह उसी स्थान पर गिर गया और उसके पैर में चोट लग गई जब वह उठकर खड़ा हुआ तो उसने देखा कि जिसे वह साफ समझ रहा था वह पेड़ की डाली थी।

परंतु उसके अंदर के डर ने और उसके अंदर की नकारात्मक सोच ने ही उसे नुकसान पहुंचा दिया। वहां पर उसे नुकसान पहुंचाने वाला कोई भी नहीं था पर उसके गलत ख्यालों ने उसे चोट पहुंचा दी इसी प्रकार मानव जीवन भी है।

यदि हम खुद पर नियंत्रण नहीं करते हैं और अपनी हीन भावनाओं पर नियंत्रण नहीं पाते हैं तो इसी प्रकार हमें भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए नकारात्मक विचारों को छोड़ देना चाहिए और मन को शांत करें ताकि बड़ी से बड़ी समस्या को आसानी से सुलझाया जा सके।

गौतम बुद्ध की इस कहानी से शिष्य को अच्छी तरीके से समझ में आया कि मनुष्य का दिमाग ही वह चीज है जो उसे मुसीबत में डालती है परंतु यदि व्यक्ति इस पर नियंत्रण पा ले तो वह जीवन में सफल हो सकता है और एक अच्छा व्यक्ति बन सकता है।

कहानी से सीख

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि यदि मनुष्य मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले गलत ख्यालों और हीन भावनाओं पर नियंत्रण पा ले तो बड़ी मुसीबत से बच सकता है और एक सफल व्यक्ति बन सकता है परंतु यदि हम अपने दिमाग को नियंत्रित नहीं करते तो यही हमें कई बड़ी समस्या में डाल सकता है।

यह है दुखों का निवारण Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

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यह है दुखों का निवारण

एक बार एक राजकुमार महात्मा बुद्ध के पास आया और उनसे कहा भगवन मैं बहुत ही ज्यादा चिंतित रहता हूं और तनाव में रहता हूं जबकि मेरे पास हर एक प्रकार का सुख है फिर भी पता नहीं क्यों मैं बहुत ही ज्यादा चिंतित रहता हूं और मैं अपनी दुविधा का कारण भी नहीं जानता हूं।

महात्मा बुद्ध ने राजकुमार का चेहरा देखा और उससे कहा ठीक है मैं तुम्हारी इस समस्या का तुम्हें निवारण बताऊं परंतु तुम्हें मेरी एक शर्त मानी पड़ेगी। राजकुमार ने कहा आपकी जो भी शर्त होगी मैं मानने को तैयार हूं परंतु मुझे इस बेचैनी से निवारण चाहिए।

महात्मा बुद्ध ने उस राजकुमार से कहा कि तुम्हें अपना राज पाठ त्याग कर 10 दिन के लिए मेरे आश्रम में रहना होगा और 11वें दिन तुम अपने महल में दोबारा जा सकते हो।

राजकुमार महात्मा बुद्ध की है यह शर्त मान गया महात्मा बुद्ध ने कहा कल से तुम ध्यान करना शुरू करोगे और 10 दिन लगातार ध्यान करोगे, उस राजकुमार ने अगले दिन से ध्यान करना शुरू किया।

वह ध्यान करने के लिए बैठ गया उसके मन में कई प्रकार के ख्याल उत्पन्न हो रहे थे और मन बेचैन हो रहा था उसे लगता था कि वह दूसरे व्यक्तियों से अलग है और वह इस प्रकार मौन रहने में असफल है वह ध्यान नहीं लगा सकता है।

ध्यान लगाने के 2 घंटे बाद राजकुमार ध्यान लगाने में सफल रहा और वह मन से फालतू के ख्याल निकालने लगा जिससे उसे अच्छी बातों का अनुभव हुआ एवं गलत चीजों का एहसास हुआ इससे राजकुमार को बहुत ही अच्छा लगा।

शाम हुई जब राजकुमार ध्यान लगाकर उठा तो उसे लग रहा था कि उसका नया जन्म हुआ है राजकुमार ने एक हफ्ते तक लगातार ध्यान किया अब वह समझ चुका था कि यदि कोई व्यक्ति शांत रहता है तो उसके जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है क्योंकि वह अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण कर लेता है।

राजकुमार को ध्यान लगाने से बहुत ही ज्यादा सुकून मिलता था क्योंकि उसे इससे अनोखे ज्ञान का अनुभव होता था और सुकून मिलता था जब 10वें की शाम हुई तब महात्मा बुद्ध ने राजकुमार को अपने पास बुलाया।

और उससे कहा कि कल तुम अपने राज्य चले जाओगे पर मुझे बताओ क्या तुम्हें तुम्हारी समस्या का समाधान मिल राजकुमार ने कहा भगवान मुझे मेरी समस्या का समाधान मिल चुका है।

महात्मा बुद्ध ने कहा बताओ तुमने क्या सीखा राजकुमार ने कहा कि मैंने सीखा की यदि हम जरुरत से ज्यादा कल्पना करते हैं एवं व्यर्थ की चीजों के बारे में सोचते हैं और अपनी भावनाओं को दूसरे व्यक्तियों से ज्यादा साझा करते हैं तो इससे सिर्फ हमारे जीवन में दुख उत्पन्न होता है।

यदि हम इन सभी चीजों को छोड़कर मन को शांत करने का प्रयास करें तो हम खुद ही अपने जीवन की सभी समस्याओं का निवारण कर सकते हैं और मौन रहने से जीवन के अनोखे सुख का अनुभव होता है इसलिए मैने खुद के दुखों को मौन की सक्ति से नियंत्रित किया है। 

कहानी से सीख

यह कहानी हमें दिखा दे है कि हमें जरूरत अनुसार ही बोलना चाहिए ज्यादा बोलने और ज्यादा सोचने के कारण जीवन में कई समस्या देखने को मिलती हैं जिससे मन बेचैन होता है और बेचैनी से बचने का मुख्य उपाय मौन अवस्था है यदि कोई व्यक्ति मौन रहता है तो जीवन के बड़े दुखों से निवारण पा सकता है क्योंकि उस अवस्था में व्यक्ति को कम बोलना होता है जिससे दुखों के आने का रास्ता बंद हो जाता है।

मन की बात जानने की कला Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

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मन की बात जानने की कला

एक राजकुमार एक बार गौतम बुद्ध के आश्रम में आया और वह आत्मज्ञान की शिक्षा को प्राप्त करना चाहता था गौतम बुद्ध ने उस राजकुमार को कहा कि यदि तुम्हें आत्मज्ञान प्राप्त करना है तो तुम्हें अपने राजपाठ और महल की चीजों को भूलना होगा।

तभी तुम अपने मन को शांत कर सकते हो और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हो राजकुमार ने कहा ठीक है भगवान मैं आपका एक अच्छा शिष्य बनना चाहता हूं जिसके लिए मैं हर एक चीज का त्याग कर सकता हूं।

महात्मा बुद्ध ने उस राजकुमार को अगले दिन एक अमीर महिला के घर भेजा ताकी वह विक्षा ला सके। जब वह राजकुमार उस महिला के घर पहुंचा तो उसने दरवाजा खटखटाया और महिला बाहर आई उसने देखा कि एक भिक्षु है।

वह घर के अंदर गई और कुछ अनाज लेकर उस राजकुमार की झोली में डाल दिए। इस दौरान राजकुमार को महिला के घर से खाने की खुशबू आ रही थी राजकुमार कुछ समय पहले ही महल में रहता था इसलिए उसको अच्छे भोजन की याद आ रही थी।

तभी उस महिला ने राजकुमार को घर के अंदर आकर भोजन करने का आमंत्रण दिया राजकुमार को थोड़ा सा आश्चर्य हुआ उसको लगा शायद यह इत्तेफाक है इसलिए वह घर के अंदर भोजन करने के लिए चला गया।

राजकुमार को भोजन बहुत ही अच्छा लगा जब वह भोजन कर चुका था तो वह सोचने लगा की वह भोजन करने के बाद वह अक्सर एक गड्ढे पर टेक लगा कर आराम किया करता था।

थोड़ी देर बाद उस महिला ने एक गड्ढा बिछा दिया और राजकुमार से कहा कि आप इस पर बैठकर आराम कर लीजिए राजकुमार थोड़ा हैरान हुआ कि इस महिला को मेरे मन की बात कैसे पता चली और इसने मेरे लिए गद्दा भी लगा दिया।

राजकुमार सोचने लगा यह कोई इत्तेफाक हो सकता है राजकुमार गद्दे पर लेटने के बाद सोचने लगा कि जब मैं महल में था तब तो मेरे मां-बाप मेरा ध्यान रखा करते थे पर अब तो मेरी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है और मैं एक लावारिस की तरह हूं।

तभी उस महिला की आवाज आई और वह बोली कि आप ऐसा क्यों सोचते हैं महात्मा बुद्ध से ज्यादा परवाह करने वाला कौन हो सकता है। यह सुनने के बाद राजकुमार अचंभित हुआ कि कोई महिला मेरे मन के ख्यालों को कैसे पढ़ सकती है।

राजकुमार उसी वक्त उठा और उसने महिलाओं को प्रणाम किया फिर आश्रम चला गया और जाकर महात्मा बुद्ध के चरणो में गिर गया और बोला भगवन मुझे आप अगली बार उस महिला के घर विक्षा लेने मत भेजना।

महात्मा बुद्ध ने कहा क्यों क्या तुम कोई गलत काम करके आए हो राजकुमार ने कहा नहीं भगवान वह महिला अच्छी थी उसने मुझे भोजन दिया आराम करने के लिए गद्दा लगाया पर भगवान ऐसी महिला से विक्षा लेना मुझे असुरक्षित लगता है जो की मन के ख्यालों को पढ़ सकती है।

भगवान बुद्ध ने कहा मैं जानता हूं कि वह महिला मन के विचार पढ़ सकती है पर इसमें तुन्हे क्या समस्या हुई है।राजकुमार ने कहा कि भगवन मेरे मन में कई प्रकार की भावनाएं उठ रही थी मैंने कई बार उसकी सुंदरता के विषय में भी सोचा था।

मतलब कि वह महिला यह भी जानती है कि मैं मस्तिष्क में उसके बारे मैने क्या कल्पना करी है। इसलिए भगवन अब मुझ में हिम्मत नहीं कि मैं उसे महिला के सामने जा सकूं और उससे नजरे मिला सकूं।

भगवान बुद्ध ने कहा यदि तुम आत्म ज्ञान प्राप्त करना चाहते हो तो यही तुम्हारी चुनौती है कि तुम उस महिला से भिक्षा लेने रोज जाओगे। अपने ख्यालों पर इतना जाना नियंत्रण करो कि वह तुम्हारे एक भी ख्याल को ना पढ़ सके।

राजकुमार ने कहा भगवान यह बहुत ही ज्यादा मुश्किल कार्य है कृपया आप मुझे ऐसा कार्य न सौंपे भगवन बुद्ध ने कहा जब तुम आत्मज्ञान की शिक्षा लेने के लिए आए थे तब तुमने कहा था कि मुझे आपकी सारी शर्तें मंजूर है पर अब तुम कह रहे हो कि तुम मेरी बात नहीं मानोगे।

राजकुमार ने भगवान बुद्ध के चरणों में गिर कर कहा की मैं कल फिर उस महिला के घर विक्षा लेने जाऊंगा भगवान बुद्ध ने कहा ठीक है परंतु वह तुम्हारे मन के ख्यालों को न पढ़ पाए इतना ज्यादा नियंत्रण करना खुद पर।

अगले दिन राजकुमार उस महिला के घर विक्षा लेने के लिए जा रहा था रास्ते में डर रहा था कि महिला सुंदर है यदि उसके सामने मेरे मन में कोई नकारात्मक विचार आया तो वह मेरे मन को पढ़ लेगी और मुझे अपनी नजरों में गिरा देगी।

इस विषय से वह घबरा रहा था हिम्मत करते हुए राजकुमार उस महिला के घर पहुंचा और महिला ने दरवाजा खोला वह अनाज लेकर आई परंतु राजकुमार यह बात अच्छी तरीके से जानता था कि महिला उसके ख्यालों को पढ़ सकती है इसलिए उसने पूरा ध्यान विक्षा लेने पर लगा दिया।

और उस महिला के बारे में एक बार भी नहीं सोचा क्योंकि वह अच्छी तरीके है जानता था कि महिला उसके हर प्रकार के ख्याल को पढ़ सकती है। राजकुमार विक्षा ली और आश्रम की तरफ दौड़ चला राजकुमार को बहुत ही ज्यादा खुशी हो रही थी क्योंकि उसने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पाल लिया था।

वह आश्रम पहुंचा और भगवन बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा कि भगवान मैने खुद की भावनाओं पर नियंत्रण पाना सीख लिया है मैंने उस महिला के बारे में एक भी बात नहीं सोची जिससे मुझे किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हुई।

भगवन बुद्ध ने कहा कल से तुम उस महिला के घर मत जाना अब तुम जिससे भी मिलोगे यह समझना कि वह तुम्हारी भावनाओं को पढ़ सकता है इस प्रकार तुम्हारा जीवन बेहतर होगा और तुम नकारात्मकता से दूर रहोगे।

इस कहानी से सीख

इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि यदि किसी व्यक्ति को अपने मस्तिष्क के गलत विचारों पर नियंत्रण पाना है तो वह कल्पना करे की सामने खड़ा व्यक्ती उसके ख्यालों को पढ़ सकता है और उसकी कल्पना को जानता है इस प्रकार व्यक्ति खुद ही नकारात्मकता को खत्म कर सकता है और अपने जीवन को बेहतर बना सकता है।

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Gautam Buddha Motivational Story In Hindi FAQ

Q.बुद्ध ने क्यों कहा कि ईश्वर नहीं है?

Ans. बुद्ध समझ गए थे की लोग आत्मा का परमात्मा से मेल करवाने के लिऐ पाखंड करने लगें है और इस प्रकार लोग अंधविश्वास में पड़ते जा रहे थे इसलिए गौतम बुद्ध ने कहा की इश्वर नही है।

Q.गौतम बुद्ध का मुख्य संदेश क्या है?

Ans. गौतम बुद्ध का सबसे मुख्य संदेश था की गुस्से से इंसान को सजा नही मिलती बल्की गुस्से के कारण सजा मिलती है।

Q.भगवान बुद्ध किसका ध्यान करते थे?

Ans. गौतम बुद्ध इश्वर का ध्यान किया करते थे और वह लोगों को कहते थे की इश्वर का मतलब है सभी प्रेम भाव से रहें और हिंसा न करें यही इश्वर की इच्छा है इसलिए उनके साथ के लोग भी ईश्वर का ध्यान किया करते थे।

Q.बुद्ध ने हिंदू धर्म को क्यों खारिज किया?

Ans.गौतम बुद्ध बहुदेव, मूर्तिपूजन, स्वर्ग नर्क को नही मानते थे हिंदू धर्म को खारिज करने का एक मुख्य कारण यह भी था की वह इस बात के खिलाफ थे कि वेद ईश्वरीय हैं।

Q.गौतम बुद्ध किसका अवतार है?

Ans. गौतम बुद्ध को हिंदू धर्म के मुताबिक भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है परंतु गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में कभी भी नही कहा की वह ईश्वर का अवतार हैं।

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