Student Motivation Story In Hindi: यह कहनियां बना देंगी आपको कामयाब इंसान

student motivation story in hindi

दोस्तों जीवन सुख दुख का एक संगम है जिस कारण हमें हर पल निराशा जैसी अनोखी चीज को देखना पड़ता है जिससे हमारा मनोबल कम होता है परंतु हमें निराशा से घबराना नहीं चाहिए और सफलता के प्रति जागरूक बने रहना चाहिए जीवन में जब भी मन निराश हो एवं हिम्मत टूटने लगे तब हमें motivational Stories पढ़नी चाहिए जिससे हमें सफ़लता के राज पता चलते है।

इसलिए हम आपसे इस ब्लॉग पोस्ट में कई जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी साझा करेगें पर इस ब्लॉग पोस्ट में मोटिवेशनल कहानी छोटी सी हैं ताकी आपका समय बचाया जा सके। इस ब्लॉग में student motivation story in hindi भी बताई गई हैं जिनसे उन्हें प्रेरणा मिलेगी और यह सभी मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी बेस्ट Motivation Stories हैं जोकि किसी के भी जीवन को बदलने में सक्षम हैं। student ke liye motivational story in hindi काफी ज्यादा फायदेमंद होती हैं क्योंकि student motivation story in hindi से उनका मनोबल मज़बूत होता है और वह शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

मोटिवेशनल कहानी क्या होती है What Is Motivation Stories

Student Motivation Story In Hindi

Motivation Stories : एक प्रकार की प्रस्तुति है जोकि व्यक्ती को बुरे समय में हिम्मत और Motivation देने का कार्य करती है। मोटीवेशन के कई प्रकार हो सकते हैं यह किसी के बोले हुए शब्द एवं प्रेरणादायक कहानी भी हो सकती है।

जिनका मुख्य कार्य है व्यक्ति को निराशा भरे जीवन से निकालना एवं मन की शक्ति को जागरूक करना और आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए प्रेरित करना। motivational stories in hindi एक बेहतर विकल्प हैं मानव जीवन को सुधारने का क्योंकि इनमे मिला ज्ञान अपार है।

Motivation Stories के कई प्रकार हैं जैसे मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी, शार्ट मोटिवेशनल स्टोरी, रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी, जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी, मोटिवेशनल कहानी छोटी सी, मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स इत्यादि यह सभी Motivation Stories के प्रकार हैं।

लोगों को अलग अलग प्रकार की Motivation Stories पसंद हैं जैसे की कुछ लोग शार्ट मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी को ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकी यह जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी होती हैं और इनसे ज्ञान जल्दी मिलता है और समय की भी बचत होती है।

Student Motivation Story In Hindi

निम्नलिखित student motivation story in hindi प्रस्तुत की गई हैं जोक बाकयी किसी के भी जीवन में Motivation की कमी को पूरा कर सकती हैं इसलिए Motivation Stories को ध्यान से पढ़े और यह student motivation story in hindi जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी हैं यह आपके लिए बेहतर हैं।

बेशर्मी की चादर

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एक रोहित नाम का लड़का बहुत ही लापरवाह था वह स्कूल से आता दोस्तों के साथ खेलने चला जाता वह दिन भर दोस्तों के साथ खेलता रहता था, और गलियों में घूमता रहता और फ़ोन चलाता।

एक बार उसको खेलने के लिए बुलाने उसके घर पर एक दोस्त आ जाता है, वह रोहित के घर को देखकर हैरान था क्योंकी रोहित का घर टूटा फूटा था तभी रोहित सामने से आता दिखा और उसने अपने दोस्त का अपने घर में स्वागत किया।

रोहित का दोस्त घर के अंदर गया तो उस घर में रुक नहीं पाया क्योंकि घर की हालत बहुत ही ज्यादा खराब थी तभी उसे रोहित की मां दिखी जोकि बीमार थी और खाट पर लेटी थी मानो लगता था परेशान और जीवन से दुखी है।

रोहित बताता है कि मेरी मां का ऑपरेशन होने को है पर पैसे नहीं हो पा रहे हैं कि मेरे पिताजी मेरी मां का ऑपरेशन करवा सके। उसको बहुत ही ज्यादा आश्चर्य हुआ कि जिस लड़के के घर की हालत इतनी ज्यादा खराब है वह फिर भी अपने असली मकसद को भूल कर खेलता रहता है और मोबाइल चलाता रहता है।

रोहित के दोस्त को रोहित के घर की हालत देखकर बहुत बुरा लगा और उसने मन ही मन विचार बनाया कि वह अब रोहित को किसी भी प्रकार से सही राह पर लेकर आएगा इसलिए वह उसे अपने घर पर लेकर गया। रोहित के दोस्त का घर बहुत ही ज्यादा अच्छा था क्योंकी रोहित के दोस्त के पिता अच्छा कमाए थे

रोहित का दोस्त रोहित को समझाता है कि तेरी मां बीमार है उनका ऑपरेशन होने को है तेरी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है इसलिए तुझे खेल कूद छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए और अपने मां-बाप के भविष्य के लिए सोचना चाहिए।

रोहित कहता है भाई मेरे पढ़ने से भी क्या मैं किसी कंपनी का मालिक थोड़ी ना बन जाऊंगा रोहित का दोस्त समझाता है कि अगर तू सही से पड़ेगा लिखेगा इससे तेरे मां बाप को एक सहारा मिलेगा और उन्हें उम्मीद मिलेगी कि तू बड़ा होकर एक अच्छी नौकरी करेगा और उनकी गरीबी खत्म हो जाएगी।

रोहित ने कहा ठीक है पढ़ने का प्रयास करा करूंगा रोहित का दोस्त अच्छे तरीके से जानता था कि यह सारी बातें रोहित को फिजूल की लग रही है। इसलिए वह रोहित को अपनी साइकिल पर बैठ कर उस कारखाने में लेकर गया जहां रोहित के पिता काम किया करते थे जहां बहुत ही ज्यादा गर्मी थी और लोगों को पसीने निकल रहे थे।

इतनी गर्मी में भी रोहित के पिता काम कर रहे थे रोहित और उसका दोस्त रोहित के पिता को एक लड़की से देख रहे थे क्योंकि कारखाना एक बस्ती के अंदर ही था। तभी रोहित ने अपने पिता को किसी व्यक्ति से कहते हुए सुना की मेरा घर टूटा सा है और मैं उसे बनवा नहीं पा रहा हूं।

क्योंकि मुझ पर बहुत सारा कर्जा हो गया है अपनी बीवी का इलाज करवाते करवाते मैं अपनी बीवी का ऑपरेशन करवाना चाहता हूं जिससे वह हमेशा के लिए ठीक हो जाएगी। पर मेरी जिंदगी व्यर्थ है कि मैं उसके इलाज के लिए भी पैसे नहीं जोड़ पा रहा हूं थोड़ी सी सैलरी मिलती है उसमे घर खर्च ही पूरे नहीं हो पाते हैं।

मैं एक अच्छा पति और एक अच्छा पिता नहीं बन पाया इस जिंदगी से अच्छी तो मौत है काश ईश्वर मुझे मौत दे दे। रोहित की आंखों में आंसू आ गए कि वह अपने पिता के गमों को भूलकर और अपनी मां के दर्द को भूलकर मौज मस्ती लिया करता था।

हमेशा फोन चलाता रहता था कभी पढ़ाई करने नहीं बैठा था कि भविष्य में कुछ अच्छा कर सके रोहित के पिता अपने साथी है कहते हैं कि मगर मेरा बेटा है जो की स्कूल में पढ़ने जाता है।

मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरा बेटा अच्छी पढ़ाई करके एक नौकरी लेगा और हमारी गरीबी को मिटा देगा उस वक्त मुझे जीवन का सबसे बड़ा सुख मिलेगा।

रोहित के पिता के दोस्त कहते हैं कि क्या तुम्हें उम्मीद है कि तुम्हारा बेटा नौकरी लेने के लायक बन पाएगा रोहित के पिता कहते हैं हां मेरा बेटा बड़ा होकर जरूर एक बड़ा आदमी बनेगा और हमारा नाम रोशन करेगा।

अपने पिता की यह बात सुनने के बाद रोहित अपने आंसुओं को नहीं रोक पाया और अपने दोस्त को वहीं पर छोड़कर इतनी तेज घर की ओर भागा की उसके पैरों की चप्पल बीच रास्ते में ही उतर गई।

वह तेजी से अपने घर पहुंचा और खाट पर लेटी मां को देखकर रोने लगा और उनके पैरों में गिर गया और कहा मां मैं तुम्हारे दर्द और मेरे पिता के संघर्ष को भूल गया था पर अब मैं जीवन में इतनी मेहनत करूंगा कि आने वाले 5 सालों में एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन बनुगा।

यह बात कहने के बाद वह अपनी सारी किताबें ढूंढने लगा और उसने उसी दिन से 12 12 घंटे पढ़ना शुरू किया और जब स्कूल का रिजल्ट आया तो उसने पूरे शहर में टॉप किया।

यह देख सभी लोग हैरान थे की एक बच्चा जो कभी पढ़ा नहीं करता था और सिर्फ घूमा करता था उसने कैसे टॉप कर लिया। जब इस विषय पर रोहित का इंटरव्यू लिया गया कि तुम इतना कैसे बदले और तुमने किस प्रकार टॉप किया।

रोहित बताता है की वह हर बच्चा कामयाब हो सकता है जो हमेशा अपने दिल और दिमाग में अपने माता-पिता के दुख और दर्दों को संजोए रखेगा और उनके बलिदान को कभी भूलेगा नहीं।

यह बात सुनने के बाद सभी समझ गए कि रोहित ने अपने माता-पिता के दर्द को समझा है कुछ सालों बाद रोहित एक बहुत बडा बिजनेसमैन बना और लोगों को खुद के बदलाव से हैरान कर दिया।

सबसे बड़ा बलिदान

Student Motivation Story In Hindi

अमित जोकी एक बहुत ही गरीब परिवार से था उसके पिता दूसरे के खेतों में मजदूरी किया करते थे और घर का गुजारा करने के लिए सब्जी का ठेला भी लगाया करते थे।

जब अमित 5वीं कक्षा में था तब अमित की मां ने अमित को अपने पास बुलाया और कहां बेटा तुम्हे पता ही है तुम्हारे पापा घर का गुजारा करने के लिए कितनी ज्यादा मेहनत करते हैं।

तुम इस घर में सबसे बड़े हो तुम अपनी पढ़ाई को बहुत ज्यादा ध्यान से करना क्योंकि तुम ही हमारी गरीबी को मिटा सकते हो और हम सुकून का जीवन जी सकते हैं।

अमित अपनी मां के दुख को समझ सकता था क्योंकि उसने बचपन से गरीबी देखी थी। अमित का एक छोटा भाई भी था जिसे अमित बहुत ही ज्यादा प्यार किया करता।

अक्सर अमित का छोटा भाई अपने पिता से खिलौने लाने को कहता था परंतु गरीबी अमित के पिता खिलौने नही ला पाते थे। अमित यह बात अच्छी तरह जानता था।

इसलिए उसने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया जब अमित नवी क्लास में था और अमित का भाई आठवीं क्लास में था तब घर की हालत बहुत ही ज्यादा खराब होने लगी और अमित के पिता की तबीयत खराब हो गई।

अमित पैसे कमाना चाहता था और उसके लिए उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी अमित की मां ने उसे साफ मना कर दिया कि बेटा अगर इस बुरे वक्त को देखकर तुम अपनी मंजिल को भूल गए तो हमारा जीवन व्यर्थ चला जायेगा इसलिए जैसा चल रहा है चलने दो।

पर अमित के छोटे भाई से यह सब नहीं देखा गया उसने अपनी मां से कहा कि मां बड़ा भाई पढ़ लिखकर हम सब ठीक कर देगा पर अभी पैसे की जरूरत है इसलिए आप मुझे दिल्ली भेज दो जहां मैं पैसे कमाऊंगा और आपको भेजूंगा।

अमित के छोटे भाई की ऐसी बातें सुनकर अमित की मां रोने लगी और अमित अपने भाई के पास आया और उसे गले लगा कर रोने लगा क्योंकि वह अभी बच्चा था और छोटा बच्चा अपने घर की हालत देखकर ऐसी बातें कर रहा था जोकी बच्चे कभी सोच भी नहीं सकते हैं।

अमित की मां ने अमित के छोटे भाई को दिल्ली नही जाने दिया क्योंकि वह छोटा और नादान था। पर गरीबी इस कदर बढ़ने लगी कि अमित का परिवार तनाव में रहने लगा जिसका असर सबसे ज्यादा अमित के भाई पर देखने को मिला जोकी अब बीमार भी रहने लगा।

परंतु उसके मां-बाप के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उसका इलाज करवा सके वह यह बात अच्छी तरीके से जानता था कि अगर मैं अपने मां-बाप को अपनी बिगड़ती हालत के बारे में बताऊंगा तो उन्हें सिर्फ दुख होगा क्योंकि वह मेरा इलाज नहीं करा पाएंगे।

इसलिए उस नादान बच्चे ने सुसाइड कर ली इसके बाद पूरा परिवार सदमे में चला गया यह सब होने का मुख्य कारण गरीबी थी अमित बहुत रोया पर वह लाचार था अब अमित की हिम्मत टूटने लगी थी क्योंकि वह अपने भाई से सबसे ज्यादा प्यार किया करता था।

अमित अपने भाई के बिना जी नहीं पा रहा था पर उसने अपने मां-बाप की बिगड़ती हालत को देखा और अपने मकसद को फिर से याद किया और कसम खाई कि मैं इस गरीबी को मिटाकर रहूंगा।

पूरा परिवार सदमे में था उस वक्त अमित रातों में जाग कर पढ़ाई कर रहा था अमित ने दसवीं कक्षा में बहुत अच्छे अंक प्राप्त किया और आईआईटी करने का विचार बनाया।

इसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने लगा उसके साथ के लोग उसे कहा करते थे कि तुम दिन में 18, 18 घंटे पढ़ाई करते हो थोड़ा आराम ले लिया करो।

उनकी यह बातें सुनकर अमित की आंख में आंसू आ गए और अमित ने कहा कि अगर मैं 1 मिनट भी सुकून से बैठ जाऊं तो मुझे मेरे भाई का साया दिखता है जिसने गरीबों के कारण आत्महत्या कर ली थी।

और वह चाहता था कि मैं मेरे मां-बाप की गरीबी मिटा दूं मुझे मेरे भाई की परछाई हमेशा दिखती है कि मैं अपने मां-बाप की गरीबी खत्म कर दूं।

जब तक मैं यह काम पूरा कर नहीं देता तब तक मुझे जीवन में सुकून नहीं मिलेगा मैंने गरीबी के कारण अपने सबसे प्यारे भाई को खोया है यह कहते अमित की आंखों से आंसू इतनी तेज निकल रहे थे कि वह रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।

उसके दर्द को समझते हुए अमित के दोस्त ने उसे उठाया और सीने से लगाकर हिम्मत दी कि तुम जिंदगी में बहुत बड़े इंसान बनोगे तुम्हारे जितना जज्बा मुझ में भी नहीं है।

अमित पढ़ाई करता गया और उसने कुछ सालों बाद आईआईटी करने के बाद एक बहुत बड़ी नौकरी ली और अपने मां-बाप को सुकून की जिंदगी दी।

अमित ने आसमान की तरफ हाथ करते हुए कहा मेरे प्यारे भाई मैं अपना मकसद पूरा किया पर मैंने तुम्हें खो दिया यह दुख मुझे जीवन भर चुभता रहेगा उसकी आंखों में आंसू थे।

तभी एक हल्की सी हवा का झोंका आया जिसने अमित को सारे गम भुला दिय। मानो अमित का भाई चाहता हो कि अमित जीवन में आगे बढ़ता रहे और अतीत को याद ना करें इस प्रकार अमित ने गरीबी को खत्म किया और एक बड़ा बलिदान दिया।

पिता के आंसू

Student Motivation Story In Hindi

एक दिनेश नाम का लड़का हमेशा खेलता रहता था उसको अपनी पढ़ाई लिखाई में किसी भी प्रकार की रुचि नहीं थी उसका परिवार बहुत ही ज्यादा गरीब था और वह अपने मां-बाप की इकलौती औलाद था।

जिस कारण वह बिगड़ा हुआ भी था उसके पिता अक्सर कहा करते थे कि बेटा तुम पढ़ाई ध्यान से करना तुम हमारा आखिरी सारा हो। तुम्हारे सिवा हमारा कोई भी नहीं है और बुढ़ापे में तुम्हें ही हमें संभालना है इसलिए तुम पढ़ लिखकर कोई अच्छी नौकरी करो।

दिनेश सारी बातें सुनता था और सोचता था कि भविष्य में जो होगा देखा जाएगा वह बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं करता था और वह परीक्षा में अक्सर नकल करके पास हो जाएगा करता था।

परंतु जब वार्षिक परीक्षा होनी शुरू हुई तब स्कूल में परीक्षा लेने वाले शिक्षकों का समूह बदल दिया गया जोकी बहुत ही ज्यादा सक्त थे कि कोई बच्चा नकल ना करें। दिनेश के कई प्रयास करने पर भी वह किसी भी पेपर में नकल नहीं कर पाया जिस कारण वह बुरी तरीके से फेल हो गया।

जब उसके पिता को यह बात पता चली की वह नकल नहीं कर पाया और फेल हो गया तो उसके पिता की आंखों में आंसू थे क्योंकि वह बूढ़े हो रहे थे और उनका बेटा भविष्य को लेकर चिंतित नहीं था।

अपने पिता की आंखों में आंसू देखकर दिनेश को एक झटका सा लगा मानो वह जीवन की सबसे बड़ी गलती कर रहा था उसने अब पढ़ने का विचार बनाया और उसने घंटा घंटा पढ़ने शुरू किया।

उसने खुद को घर में बंद कर दिया वह सिर्फ़ पढ़ता रहता वह किसी भी व्यक्ति से किसी भी प्रकार का संबंध नहीं रखता था। वह सिर्फ स्कूल जाता है और स्कूल से सीधा घर आता था उसने बहुत मेहनत करी। और जब वार्षिक परीक्षा हुई तो वह न सिर्फ पास हुआ बल्कि वह अपनी कक्षा में सबसे ज्यादा अंक भी लाया।

इस बार भी दिनेश के पिता की आंखों में आंसू थे पर वह आंसू खुशी के थे। उसने अपने पिता से कहा पिता जी मै अच्छी नौकरी लूंगा और आपका नाम रोशन करूंगा और आपका बेटा होने का फर्ज निभाउंगा यह सुन दिनेश के पिता ने दिनेश को गले से लगा लिया।

दिनेश ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बहुत मेहनत करता रहा अच्छा विद्यार्थी होने के कारण उसको उसको स्कॉलरशिप भी मिली जिससे वह एक अच्छी नौकरी के लिए पढ़ाई कर सकता था।

उसने वह पढ़ाई करी और पूरे गांव में सबसे अच्छे नौकरी ली उसके बाद पूरे गांव ने दिनेश का स्वागत किया और दिनेश ने अपने पिता के चरणों में गिरकर प्रणाम किया इस प्रकार दिनेश ने अच्छा बेटा होने का फर्ज निभाया।

A.P.J अब्दुल कलाम

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डॉ अब्दुल कलाम जिन्हे मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है जिन्होंने बचपन में अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिऐ न्यूजपेपर बेचे थे, क्योंकि उनके पिता एक मछुआरे थे जिससे मुश्किल से घर का खर्चा पूरा होता था।

उनकी पढ़ाई न रुके उसके लिए वह हर एक कोशिश किया करते थे और घंटों घंटों पड़ा करते थे और उनकी इस रुचि का कारण था वह इंडियन आर्म फोर्स में जाना चाहते थे।

पर सिर्फ 8 वेकैंसिस थी और डॉ अब्दुल कलाम का पद नौवां आया था जिस कारण वह इंडियन आर्म फोर्स ज्वाइन नही कर पाए पर वह जिंदगी में हार नही मानना चाहते थे इसलिए उन्होंने Difence Research and Defence Organisation ज्वाइन कर ली जहां वह bahut मेहनत से पानी की बोट्स की डिजाइन बनाया करते थे।

पर उनकी मुलाकात विक्रम सारा भाई जी से हुई जोकि ISRO के फाउंडर थे वह डॉ अब्दुल कलाम के काम से बहुत खुश हुए क्योंकि डॉ अब्दुल कलाम हर काम पूरी ईमानदारी से करते थे। जिसके बाद विक्रम सारा भाई जी ने डॉ अब्दुल कलाम इसरो में शमिल होने को कहा और कलाम जी मान गए।

जिसके बाद डॉ अब्दुल कलाम के नेतृत्व में अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों का निर्माण हुआ जिनकी पहुंच चाइना और पाकिस्तान तक थी जिस कारण भारत दुनियां के सामने एक मज़बूत सैन्य सक्ति वाला देश बना।

और अब्दुल कलाम जी मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने लगे डॉ अब्दुल कलाम जी ने 2002-2007 के दौरान राष्ट्रपति के पद पर कार्य किया और 27 July 2015 को डॉ अब्दुल कलाम जी सभी को अलविदा कह गए।

अब्दुल कलाम जी दुनियां के महान लोगों में से एक थे क्योंकि वह हमेशा कुछ नया सीखने में विश्वास रखते थे। अब्दुल कलाम जी कहते थे : “Education is the key to unlocking the world, a passport to freedom.” अर्थात “शिक्षा दुनिया को खोलने की कुंजी है, स्वतंत्रता का पासपोर्ट शिक्षा ही है।”

:- एपीजे अब्दुल कलाम जी ने क्या किया था जिससे चाइना और पाकिस्तान हैरान हुआ जाने।

रामानुजन

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18 दिसंबर 1887 को जन्मे रामानुजन बचपन से ही गरीब थे क्योंकि उनके पिता साड़ी की दुकान पर काम किया करते थे। रामानुजन को बचपन से गणित बहुत पसन्द थी जिसे वह घंटो घटों पढ़ा करते थे वह एक बेहतर विद्यार्थी थे उनके सवालों के जवाब ख़ुद शिक्षक भी नही दे पाते थे।

वह पढ़ाई में बहुत ज्यादा अच्छे थे इसलिए उन्होंने 10 वीं कक्षा में अपने टॉप किया जिसके लिऐ उन्हे स्कॉलरशिप दी गई जिससे उन्हे काफ़ी मदद मिली। पर वह मैथ्स में कुछ ज्यादा ही इंटरेस्ट लेते थे इसलिए वह ग्यारहवीं कक्षा में बाकी विषय में फेल हो गय जिसके बाद उन्हे स्कॉलरशिप नही मिली।

अब गरीबी में काफी ज्यादा बुरा हाल होने लगा था इसलिए रामानुजन ने बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया और कुछ समाय बाद 12th कक्षा में भी फेल हों गए जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। माता पिता के कहने पर रामानुजन ने 1908 में रामानुजन ने सादी कर ली। अब उन पर बडी जिम्मेदारी थी।

इसलिए वह मद्रास नौकरी के लिऐ चले गए और उनकी मुलाकात डिप्टी कॉमिस्नर वीर रामा स्वामी अय्यियर से हुई जोकि गणित के बहुत बड़े ज्ञानी थे इसलिए उन्होंने रामानुजन को जिला अधिकार से कहकर उन्हे स्कॉलरशिप दिलवाई।

जिसके बाद अब रामानुजन गणित में अपना भविष्य बना सकते थे इस प्रकार उन्होंने अपना पहला गणित का रीसर्च फॉर्मूला पब्लिश किया जिसका नाम Property Of Bernoulli Numbers रखा।

जिसके बाद रामानुजन ने कई रीसर्च पब्लिश करी जिससे गणित को सही से समझा जा सकता था तभी रामानुजन पर प्रोफ़ेसर हार्डी का ध्यान गया जोकि उस समय के सबसे बड़े गणितज्ञ थे।

उन्होंने रामानुजन को साथ में काम करने के लिऐ कहा वह मान गए इस प्रकार प्रोफ़ेसर हार्डी के साथ मिलके रामानुजन ने गणित को दुनियां के सामने अपने नए तरीके से प्रस्तुत किया जहा उसे आसानी से समझा जा सकता था और उनका नाम पूरी दुनियां में याद किया गया।

और आज भी दुनियां उनका सम्मान करती है क्योंकि उन्होंने अपनी मेहनत और पढ़ाई के लिऐ अपनी चाह को खत्म नही होने दिया। जिस समय भारत देश गुलाम था उस वक्त रामानुजन गोरे लोगों के दिमाग में ये बात बैठा चुके थे की भारतीय लोग कभी हार नही मानते और वह हर कार्य करने में सक्षम हैं।

26 अप्रैल 1920 को रामानुजन दुनियां को 33 साल की उम्र ने अलविदा कह गए। विद्यार्थियों के लिऐ यह Student Motivation Story In Hindi के रुप में एक बेहतर सीखने लायक जीवनी है जोकि हमे बहुत कुछ सिखाती है।

भारत की बेटी इंदिरा नूई

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28 अक्टूबर 1955 को भारत में जन्मी इंदिरा नूई मद्रास से अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका गई जहां उन्होंने Yale School Of Management में एडमिशन लिया और उन्होंने अलनी public and private managemet में हासिल की।

1880 में इंदिरा नूई ने Boston Consulting Group को कंसल्टेंट के तौर पर ज्वॉइन किया जिसके बाद वह Motorola से जुड़ी और फिर वह 

कई कंपनियों में जुड़ी पर अंत में वह पेप्सिको के साथ जुड़ी सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर जहा उन्होंने 2001 में Pepsico का प्रॉफिट 2.7 बिलियन डॉलर से सीधा 6.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचा दिया था। क्योंकि वह मेहनती थी और अपनें कार्य से प्रेम करती थी हमे भी इसी प्रकार ईमानदारी से कार्य करना चाहिए।

2006 में इंदिरा नूई भारत की पहली वासी pepsico की CEO बन गई जिससे pepsico ने बहुत कामयाबी हासिल करी। यह उनके सम्मान की बात थी 2007 में इंदिरा नूई को डॉ अब्दुल कलाम के द्वारा पद्म भूषण पुरुष्कर से नवाजा गया था।

2008 में छपी Forbes पत्रिका में इंदिरा नूई को दुनिया की तीसरी सबसे मजबूत महिला बताया गया। 2009 में छपी Fortune पत्रिका में Most Powerfull women in business में नंबर 1 बताया गया क्योंकि वह अपनी मेहनत और शिक्षा के दम पर विदेशी कंपनी की Ceo बनी और उस कंपनी को कामयाब भी कराया। कामयाब होने के लिऐ Student Motivation Story In Hindi की विषय में इंदिरा नूई की यह अनोखी कहानी बहुत ही ज्यादा प्रचलित है जिससे हमे जीवन में सफल होने का ज्ञान लेना चाहिए। 

अभिनव बिंद्रा

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अभिनव बिंद्रा की साथी स्वेता चौधरी बताती हैं की अभिनव ने बैंगकॉक वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप को जीतने के लिए लगातार 4 साल प्रैक्टिस की थी पर वह भारत के लिए गोल्ड नही ला पाए इस बात ने अभिनव बिंद्रा को तोड़ कर रख दिया था।

जिस कारण वह अकेले रहने लगे और सभी से बोलना बंद कर दिया क्योंकि वह बी जिंग ओलंपिक में किसी भी प्रकार से भारत के लिए गोल्ड मेडल लाना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने घंटो एक्सरसाइज और प्रैक्टिस करनी शुरू करी उन्हे बचपन से ही शूटिंग का शौक था।

इसलिए उनके माता पिता ने घर में ही शूटिंगरेंज बनवा दी थी पर अगर वह बी जिंग ओलंपिक नही जीत पाते तो यह उनके जीवन का सबसे बडा अपमान होता इसलिए उन्होंने कई जगहों पर जाके अलग अलग प्रकार की प्रैक्टिस करी।

जब उनके टीम मेट्स एंजॉय कर रहे होते थे तब वह प्रैक्टिस किया करते थे उनके हार न मानने वाले जुनून के कारण वह 2008 के बी जिंग ओलंपिक में भारत के लिए पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीत के आए जिसके बाद पूरे देश ने उनकी मेहनत का सम्मान किया और उन्हे सम्मान दिया।

जेके रोलिंग

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जेके रोलिंग जोकि विश्व प्रसिद्ध नोबेल हैरी पॉटर की लेखिका है आज के समय वह दुनियां की सबसे महंगी राइटर हैं। जेके रोलिंग को बचपन से ही कल्पना करके कहानियां लिखना पसंद था जब वह बड़ी हुइ तो उनकी जो उनके सबसे ज्यादा करीब थी उनकी मृत्यु हो गई।

जिससे जेके रोलिंग उदास रहने लगी पर उन्होंने उस दर्द से भी निकलने के लिऐ कहानियां लिखना शुरू करी और कुछ समय बाद उन्होंने सादी करली एक बच्ची होने के बाद जेके रोलिंग के पति ने उन्हे डायवोर्स दे दिया और वह एक बच्ची की जिम्मेदारी के साथ अकेली रह गई।

वह अपनी बच्ची को मुश्किल से पाल पाती थी क्योंकि वह बेरोजगार थी पर उन्हे पता था की यदी उनकी लिखी हुई नोबेल पब्लिश हो जाय तो उनका जीवन बदल सकता है इसलिए उन्होंने नोबेल पर ज्यादा ध्यान दिया और उसे इस प्रकार इमेजिन करके लिखा की वह पसंद करी जाय ।

जब वह कई पब्लिशिंग हाउस के पास गई तो सभी ने हैरी पॉटर को पब्लिश करने से मना कर दिया उन्हे लगता था इसे कोई पसंद नही करेगा पर बहुत मेहनत के 1 साल बाद लंदन के एक पब्लिशिंग हाउस Bloomsbury ने इसे पब्लिश करना ठीक समझा और हैरी पॉटर की पहली नोबेल 26 जून 1997 को पब्लिश हुई।

जिसको लोगों ने बहुत ज्यादा पसंद किया और कुछ समय बाद इस नोबल को Nestle Smarties Book Award, British Book Award, Children’s Book Of the Year से नवाजा गया। जिसके बाद जेके रोलिंग ने हैरी पॉटर के कई नोबेल पब्लिश करे।

और उन नोबेल पर ही बाद में Harry Potter Franchise बनी जोकि लोगों को बहुत ही ज्यादा पसंद आई इस प्रकार जेके रोलिंग ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर दुनियां का वो मकाम हासिल किया जहां की लोग सोच भी नही सकते हैं।

नेल्सन मंडेला

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नेल्सन मंडेला का जन्म साउथ अफ्रीका में 18 जुलाई 1918 को मवेजो गांव में हुआ था। दुनियां भर में काले और गोरे लोगों का भेदभाव था पर साउथ अफ्रीका इसका असर सबसे ज्यादा देखने को मिलता था।

क्योंकि देश में 75% ब्लैक अफ्रीकन थे फिर भी सत्ता में हमेशा गोरे लोग ही बैठते थे और सारी सुख सुविधाएं उनके लिए ही हुआ करती थीं।

नेल्सन मंडेला ने कॉलेज टाइम से ही रंग भेदभाव के खिलाफ कैंपेन चलानी शुरू कर दी थी जिस कारण उन्हे कॉलेज से निकाल दिया गया समय बीतता गया और नेलसन मंडेला 1944 में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए।

जोकि पहले से ही भेदभाव को खत्म करने के प्रयास में रहती थी 1947 में नेलसन मंडेला को पार्टी का सचिव चुना गया और लाखों लोग उनके साथ इस आंदोलन में थे पर 1961 में मंडेला और उनके कुछ साथियों पर देशद्रोही का केस लगा के जेल में बन्द कर दिया गया।

पर वह निर्दोष साबित हुए और उन्हे छोड़ दिया गया पर 5 अगस्त 1962 को अब फिर से केस चला की वह लोगों को भड़काते हैं।

2 साल केस चलने के बाद नेलसन मंडेला को 12 जुलाई 1962 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। पर 1989 को साऊथ अफ्रीका की सरकार बदली।

और FW क्लार्क देश के प्रधानमंत्री बनें उन्होंने नेलसन मंडेला की पार्टी का संघर्ष देख सभी कैदियों को छुड़वा दिया और काले लोगों पर लगी सारी पाबंदियां हटवा दी।

इस प्रकार नेलसन मंडेला की जिन्दगी का 1 फरबरी 1990 को सूर्योदय हुआ और 1994 में काले लोगों को इलेक्शन लड़ने का अधिकार दिया गया।

जिसमे नेलसन मंडेला की पार्टी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस बहुमत से जीती और इस प्रकार नेलसन मंडेला साउथ अफ्रीका के पहले ब्लैक प्रेसिडेंट बने।

और यह दुनियां भर के ब्लैक लोगों के लिऐ गर्भ की बात थी इस प्रकार एक व्यक्ती ने दुनियां भर के एक अनोखे समुदाय को बराबर का सम्मान दिलाया। 

एलन मस्क

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20 जून 1971 को जन्मे एलन मस्क जोकि दुनियां के सबसे अमीर इंसान हैं क्योंकि उनकी नेट वर्थ $218 billion dollars है। पर एलन मस्क के माता पिता का बचपन में ही डायवोर्स हो गया था और वह अपने देश साउथ अफ्रीका को छोड़ के अमेरिका आ गए थे।

सिर्फ 17 साल की उम्र में जबकि वह जब 12 साल के थे तभी उन्होंने कोडिंग करना सीख लिया था और Blaster नामक गेम बना के बेच भी दी थी।

पर अमेरिका में पढ़ाई करने के दौरान उनके उपर काफी ज्यादा स्टूडेंट लोन था जिसे उतारने के लिऐ वह प्रति घंटा 18 डॉलर की नौकरी भी लिया करते थे जिसमे उन्हे एक कारखाने की सफाई करनी होती थी।

कई बार वह सिर्फ पास्ता कहा के पूरा दिन बीता देते थे क्योंकि उनके पास ज्यादा पैसे नही होते थे। पर उन्होंने कभी अपनी हालत के कारण हिम्मत नही हारी और बस मंजिल को पाने के लिए प्रयास करते रहे।

एलन मस्क ने 1995 में 25 साल की उम्र में Zip 2 नाम को कंपनी बना दी थी जिसे 1999 में Campaq कंपनी ने 30 करोड़ 70 लाख डॉलर नगद देकर और 3 करोड़ 40 लाख स्टॉक ऑप्शन देके खरीद लिया।

जिसके बाद एलन मस्क 28 साल की उम्र में Millioner बन गए थे। जिसके बाद उन्होंने उसी पैसे से 2002 में Space x बनाई जोकि Space agency है और एलन मस्क ने 2004 में टेस्ला में भागीदारी ली।

और वर्तमान समय में एलन मस्क की कुल 11 कंपनियां हैं और वह दुनियां के सबसे अमीर इंसान है उन्होंने कभी अपनी नाकामयाबी को देख के हार नही मानी बल्की अपने हौसलों को और ज्यादा मजबूत किया।

एक गरीब लड़का एलन मस्क कैसे बना दुनिया का सबसे अमीर इंसान जाने पूरी बात

चार्ली चैपलिन

Student Motivation Story In Hindi

चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन का जन्म 17 अप्रैल 1889 को इंग्लैंड के शहर लंदन में हुआ था। चैपलिन के पिता चार्ल्स चैपलिन सीनियर और मां हन्ना चैपलिन स्टेज शो करके लोगों को हसाया करते थे।

पर चैपलिन के जन्म के कुछ समय बाद ही चैपलिन की के पिता की मृत्यु हो गई। अब मां ही चैपलिन को पालती थी वह डेप्रेशन में रहने लगीं थीं क्योंकि दो समय का भोजन जुटाना भी मुश्किल हो रहा था।

जब चैपलिन 6 साल के थे तब उनकी मां की एक स्टेजशो के दौरान आवाज़ चली गई तब लोग उनकी मां पर चीज़ें फेक के मारने लगे तभी नादान चैपलिन को जाके आपनी मां की आवाज़ की नकल करते हुऐ शो खत्म करना पडा।

यह पहली बार था जब उन्होंने किसी शो में लोगों को हसाया हो। चैपलिन की मां की आवाज़ कभी वापस नहीं आई और दो साल बाद वह पागल हो गई उन्हे पागलखाने भेजना पड़ा अब चैपलिन सिर्फ 8 साल की उम्र में ही अनाथ हो चुके थे।

इसलिए उन्होंने ने भी स्टेज शो करना शुरू किया और वह अपनी मेहनत के दम पे लोगों का दिल जीतते गए और वह हॉलीवुड तक मशहूर होने लगे तभी 1913 में New York Motion Pictures ने चैपलिन के साथ एक फिल्म बनाई।

जिसका नाम था “Making A Living” था,जिसके बाद उन्हे कई फिल्में मिली पर “Mabels Strange Predicament” नाम के मूवी मिली जिसमे उन्होंने The Tram का किरदार निभाया और वह पूरी दुनियां में अपनी मेहनत और एक्टिंग के दम पर मशहूर हो गए।

जिसके बाद उन्होंने कई फिल्में करी वह इतने ज्यादा टैलेंटेड थे की बीना बोले ही सभी हो हसा देते थे क्योंकि उस समय मूवीज में आवाज़ नही होती थी।

और दुनियां को हंसाने वाले चार्ली चैपलिन ने 25 दिसंबर 1977 को इस दुनियां को अलविदा कह दिया और वह साबित कर गए की यदी कोई कामयाब होना चाहे तो उसे कोई नही रोक सकता।

कर्नल सेंडर्स

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कर्नल सेंडर्स जब 5 साल के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई और इस वजह से उन पर छोटी सी उम्र में छोटे भाई बहन को संभालने की जिम्मेदारी आ गई क्योंकि उनकी मां एक फैक्ट्री मे काम करने लगीं थीं। कुछ समय बाद कर्नल सेंडर्स की मां ने दूसरी सादी कर ली पर उनके सौतेले पिता उनसे बहुत ज्यादा नफरत करते थे।

इसलिए कर्नल सेंडर्स 13 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया और घोड़ों की गाड़ी पे कलर करने का काम करने लगे। वह सिर्फ़ इतना कमा पाते थे की अपना पेट पाल सकें पर उनकी नौकरी रेलवे में फायर मैन के तौर पर लग गई। इसलिए उन्होंने 19 साल की उम्र में सादी कर ली और उनके 3 बच्चे हुए 2 लड़कियां 1 लड़का।

रेलवे में कर्मचारी से विवाद होने के कारण उन्हे नौकरी से निकाल दिया गया जिस कारण वह बेरोजगार हो चुके थे इसलिए उनकी पत्नी बच्चो को लेके उन्हे छोड़ के चली गई। जिससे वह बहुत टूट गए पर उन्होंने हिम्मत नही हारी और नौकरी की तलाश करने लगें उन्होंने कई नौकरियां करके अपना पेट पाला।

उन्होंने एक हाईवे के पास एक गैस स्टेशन खोला जहां वह एक्स्ट्रा कमाई के लिए फ्राइड चिकन और अन्य भोजन बेचने लगे। उनका वह कार्य चलने लगा पर कुछ सरकारी विवाद के चलते उनका स्टेशन हटा दिया गया।

वह पर चिकन बेच के एक्सपर्ट हों चुके थे इसलिए उन्होंने अपनी खुद की रेसिपी भी बना ली थी। जिसके बाद कर्नल सेंडर्स अपनी रेसिपी को लेके कई रेस्टोरेंट में गए ताकी उनकी रेसिपी को लोगो तक पहुंचाया पर करीबन हजार रेस्टोरेंट से रिजेक्ट होने के बाद कर्नल सेंडर्स को अपना पहला साथी मिला।

जिसने कर्नल सेंडर्स की चिकन रेसिपी को लोगों के सामने प्रस्तुत किया और इसके बाद KFC पूरी दुनियां में तेजी से फैला। 16 दिसंबर 1980 को कर्नल सेंडर्स दुनियां को अलविदा कह गए पर वह अपने पीछे KFC जैसा अनोखा ब्रांड छोड़ गय जिसके 118 देशों में 18, 875 से ज्यादा आउटलेट हैं।

जोकि विश्व प्रसिद्ध है अपने चिकन रेसिपी के लिऐ जीवन में सफलता पाई जा सक्ति है पर शर्त है की कामयाबी जब तक न मिले हार मत मानो।

हेनरी फोर्ड

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हेनरी फोर्ड का जन्म 30 जुलाई 1863 को अमेरिका के ग्रीनफील्ड नामक जगह पर हुआ था। उन्होंने बचपन से ही गरीबी देखी थी क्योंकि हेनरी फोर्ड के पिता विलियम फोर्ड एक गरीब किसान थे।

हेनरी फोर्ड बचपन से ही लोहे के अक्विपमेट से खेलना पसंद किया करते थे वह कभी भी सामान्य बच्चो के खिलौनों से नही खेला करते थे।

हेनरी फोर्ड का एडमिशन पास के एक स्कूल में कराया गया था पर पैसे की कमी के कारण उन्हे बचपन में ही स्कूल हमेशा के लिए छोड़ना पड़ा और उनके पिता चाहते थे की वह एक कामयाब किसान बने।

हेनरी फोर्ड के ज़माने में कारें बननी शुरू हो चुकी थीं पर वह बहुत ज्यादा महंगी होती थीं जिसे अमीर इन्सान भी खरीदने से पहले कई बार सोचता था हेनरी फोर्ड इस प्रकार की कार बनाना चाहते थे।

जिसे एक सामान्य इंसान भी खरीद सके अगर वह यह काम करने में सफल रहे तो उनकी गरीबी मिट जायेगी हेनरी फोर्ड इस बात को अच्छी तरह समझ गए। इसलिए वह 16 साल की उम्र में घर छोड़ के चले गए और स्टीम इंजन ट्रेन की रिपेयरिंग का काम करने लगे।

जहा उन्हे कई चीज़ें सीखने को मिली उन्हे यह काम करने में मजा भी आता था क्योंकी वह अपने काम में रूची लिया करते थे। कुछ समय बाद वह वहां के सीनियर इंजीनियर बन गए और उन्हे अच्छा वेतन मिलने लगा वह अपने सारे पैसे कार एक्सपेरिमेंट करने में ही खर्च कर देते थे इसलिए वह कुछ और भी पार्ट टाइम नौकरियां करते थे।

आखिरकार उनको एक्सपेरिमेंट सफल रहा और 1896 को उनकी पहली कार बनके तैयार हुई रात के 3 बज रहे थे और बारिश हो रही थी पर वह इतने ज्यादा उत्सुक थे की उन्होंने उसी वक्त कार को शुरू किया और चालान शुरू किया शोर सुन लोग घर से बाहर आए aut वह अचंभित थे क्योंकि एक सामान्य लडके ने कार बना दी थी।

सभी लोगों ने हेनरी फोर्ड की तारीफ करी और उन्हे जीवन में आगे बढने के लिऐ प्रेरित किया। कुछ समय बाद उन्होंने वह कार बेच दी और उस पैसे से एक कम्पनी डेट्रॉयट ऑटोमोबाइल 1899 में शुरू करी। जोकि 15 कारें बनाने के बाद बंद हो गई पैसे की कमी के कारण।

30 नवंबर 1901 को हेनरी फोर्ड ने हिम्मत न हारते हुए एक और कम्पनी शुरू करी अपने कुछ दोस्तों के साथ जिसका नाम The Henry Ford Company था।

क्योंकी वह लोग कार के प्राइस को बढ़ाना चाहते थे और अमीरों को वह कारें बेच के ज्यादा पैसा कमाना चाहते थे पर हेनरी फोर्ड कारों को इस प्रकार प्रस्तुत करना चाहते थे।

ताकी एक सामान्य इन्सान भी खरीद सके इसलिए इस कंपनी को बंद करना पडा। फिर हेनरी फोर्ड ने 16 जून 1903 को एक और कंपनी की स्थापना करी जिसका नाम उन्होंने Ford रखा।

जिसको पहचान दिलाने के लिऐ उन्होंने अपनी एक कार जिसका मॉडल था Ford 999 को रेस टमें उतारा जिसमे वह फर्स्ट आई।

जिसने Ford कंपनी की काबिलियत को दुनियां के सामने प्रस्तुत किया और इस प्रकार फोर्ड कम्पनी को दुनिया जानने लगी जिसके बाद फोर्ड ने 1914 में T Model नामक कार बनाई।

जोकि बहुत सफल रही और फोर्ड कंपनी पर पैसों की बारिश सी होने लगी। कारो को गरीबों के बजट के लायक बनाने के बाद 7 अप्रैल 1947 को हेनरी फोर्ड दुनियां को अलविदा कह गए।

उन्होंने जीवन में कुछ बदलने का विचार बनाया था जिसके लिय उन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी मेहनत करी और वह इसमें सफल भी रहे। 

धीरू भाई अंबानी

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धीरू भाई अंबानी जिनका पूरा नाम धीरजलाल गोवर्धन दास अंबानी है उनका जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाड गांव में हुआ था। वह बचपन से ही ज्यादा पैसा कमाना चाहते थे क्योंकि परिवार की हालत भी ज्यादा ठीक नही थी।

इसलिए उन्होंने 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और पकौड़े बेचने लगे और काफी समय तक पकौड़े बेचने के बाद वह 1948 में 16 साल की उम्र में अपने भाई रमणिकलाल अंबानी और अपने एक दोस्त के साथ यमन की सिटी Aden चले गए ताकी ज्यादा पैसा कमा सकें।

उन्होंने यमन में पेट्रोल पंप पर काम करना शुरू किया और उनकी ईमानदारी और काम के प्रति लगन देखते हुऐ उन्हे मैनेजर की पोस्ट दे दी गई। काफी समय तक नौकरी करने के बाद वह अपने वतन भारत चले आए।

क्योंकि बचपन से ही वह बिजनेसमैन बनना चाहते थे और बिजनेस के लिए पैसा चाहिए था जोकि वह कमा रहे थे और थोडा पैसा वह इकट्ठा कर चुके थे इसलिए वह भारत आ गए।

1955 में धीरू भाई अंबानी ने अपने चचेरे भाई चंपक लाल दवाणी के साथ मिलके मसालों के निर्यात का और पॉलिस्टर धागे के आयात का कार्य 15 हजार रूपए लगा के शुरू किया जिससे दोनों को काफी फ़ायदा हुआ।

पर कुछ समय बाद दोनो व्यापारी अलग अलग हो गए क्योंकि दोनो का काम करने का तरीका अलग था। धीरू भाई अंबानी अब अकेले रह गए थे और वह अपने बिजनेस को खोने से डरते थे पर उन्हे अपनी काबिलियत पर भरोसा था।

इसलिए उन्होंने अपने काम को और ज्यादा फैलाना शुरू किया और उन्होंने Telecom, Electricity, Petroleum, Energy जैसी फील्ड में कदम रखा। जिसके बाद उनकी यह कंपनियां चलने लगीं और वह भारत की अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी बने।

और वर्तमान समय में भी उनकी कंपनी भारत की सबसे बडी कंपनी है जिसने 90 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं और अपना घर चलाते है और अच्छी जिन्दगी भी जीते है।

कड़ी मेहनत से सफ़लता प्राप्त करने का उदहारण देने के बाद धीरू भाई अंबानी ने 6 जुलाई 2002 को इस दुनियां को अलविदा कह दिया।

कैसे बनाई धीरू भाई अंबानी ने भारत की सबसे बडी कंपनी और कैसे हुआ देहांत यहां जाने 

स्टीफन हॉकिंग

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स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड शहर में हुआ था। उनके पिता एक डॉक्टर थे और उनकी मां हाउस वाइफ थीं वह बचपन से तेज दिमाग के बच्चे थे।

वह इतने ज्यादा समझदार थे की उन्होंने खराब उपकरणों से कंप्यूटर बना दिया था। जब वह 17 साल के हुए तो उन्होंने Oxford University में एडमिशन लिया इस दौरान उन्हे अपने शरीर में बदलाव देखने को मिल रहे थे और वह कुछ कार्यों को करने में असक्षम होने लगे थे।

एक बार वह अपने घर छुट्टियों में आए और वह जीने से गिर गए पर उनके मां पिता को लगा की कमज़ोरी है। पर ऐसा कई बार होने पर चेकअप कराया तो पता चला की स्टीफन हॉकिंग को Neuron Motor Disease है।

डॉक्टर ने कहा की वह सिर्फ़ 2 साल और जिएंगे क्योंकि इस बीमारी के दौरान शरीर की नसे धीरे धीरे काम करना बंद कर देती है इससे शरीर कार्य करने में असक्षम हो जाता है।

इससे स्टीफन हॉकिंग और उनके माता पिता को झटका लगा पर स्टीफन हॉकिंग ने खुद को दिलासा दिया की मौत तो सबको आनी है इसमें निराश होने वाली क्या बात है इसलिए उन्होंने अपनी बीमारी को भूलते हुए विज्ञान को गहराई से समझने का प्रयास किया।

जोकि उन्हे बचपन से ही पसंद था और इस जुनून के कारण स्टीफन हॉकिंग ने Black Hole और Hawking Radiation जैसी अनोखी थियरी दी। जिससे दुनियां हैरान हो गई और वह एक बड़े विज्ञानिक कहलाए।

अंतरिक्ष का ज्ञान दुनियां को देने के लिए स्टीफन हॉकिंग ने ” A Brief History of Time ” नामक पुस्तक प्रस्तुत करी जिसने दुनियां को अनंत अंतरिक्ष के कई सवालों का जवाब दिया।

और उन्होंने दुनियां को यह सबक सिखाया की इंसान का शरीर हार मानता है दिमाग कभी हार नही मानता अगर कोइ व्यक्ती दिमाग से भी हार मान ले तो वह किसी काम का नही।

दुनियां में अपनी अद्भुत खोज के बाद स्टीफन हॉकिंग ने 18 मार्च 2014 को इस दुनियां को अलविदा कह दिया वह सिखा के गए जीवन में कभी अपनी मुश्किलों के चलते अपना मकसद मत भूलो और सदा कार्यरत रहो तभी सफ़लता मिलेगी। 

थॉमस एडीसन

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सफलता का राज़ है की की बार और प्रयास करना चाहिए यह कहना है थॉमस एडीसन जिन्होंने दुनियां को अंधेरे से निकालने के लिऐ बल्ब का आविष्कार किया पर उन्हे बचपन में सरफिरा कहा जाता था क्योंकि वह शिक्षकों से बहुत ज़्यादा सवाल किया करते थे जिसके जवाब शिक्षकों के पास भी नही होते थे।

उनके सवालों से परेशान होके उन्हे स्कूल से निकाल दिया गया पर उनकी मां Nancy Matthews Elliott ने उन्हे घर पर पढ़ाना शुरू किया। उनकी मां जानती थी की थॉमस एडीसन दूसरे व्यक्तियों से ज्यादा सोचने समझने में सक्षम हैं।

थॉमस एडीसन को एक्सपेरिमेंट करना बहुत पसंद था इसलिए उन्होंने बचपन में ही अपने घर में लेबोरेटरी बना ली थी जिसके बाद तो लोग उन्हे और भी ज्यादा मूर्ख समझने लगे पर।

करीवन हजार बार बल्ब का आविष्कार करनें में विफल होने के बाद उन्हे बल्ब बनाने में सफ़लता मिली और उन्होंने दुनियां को बल्ब जैसी अनोख

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Student Motivation Story In Hindi FAQ

स्टूडेंट के लिए मोटिवेशन क्या है?

विद्यार्थियों को अपने परिवार की हालत एवं मां-बाप की बढ़ती उम्र को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई करनी चाहिए यही उनके लिए सबसे बड़ा मोटिवेशन है क्योंकि यदि वह अच्छा प्रदर्शन नहीं करेंगे तो इसे उनके मां-बाप की आस्थाओं को ठेस पहुंचेगी।

और अगर वह पढ़ लिखकर कामयाब व्यक्ति नहीं बने तो इसका नुकसान बढ़ती उम्र के साथ उन्हें भी होगा इसलिए कहते हैं शिक्षा ही कामयाबी का मूल मंत्र है।

स्टूडेंट के लिए बेस्ट मोटिवेशनल स्पीच कौन सी है?

जिंदगी के कोई हाथ नहीं होते, फिर भी वह कभी-कभी ऐसा थप्पड़ मारती है जो पूरी उम्र याद रहता है और उसे भुलाया नहीं जा सकता। हम गरीब पैदा हुए इसमें हमारी गलती नहीं है पर यदि हम गरीबी मर गए तो इसमें हमारी गलती है जीवन में कोई भी कार्य करना संभव नहीं है।

मनुष्य अंतरिक्ष में जाकर चांद पर कदम रख चुका है प्राचीन समय में यह बातें लोगों को पागलपन लगती थीं इसलिए हमेशा अपनी मेहनत पर ध्यान दें और कार्य करने के लिए कार्यरत रहें।

एक अच्छी सफलता की कहानी क्या है?

एक राजा जो की जंग हारने के बाद एक गुफा में छुप गया परंतु सैनिक उसे ढूंढ रहे थे वह अपनी मौत का इंतजार कर रहा था तभी वह अपने गले में पढ़े ताबीज़ को खोलता है और उसमे लिखा होता ” एक और प्रयास करना ही सफलता का राज है” वह गुफा से बाहर निकला और सैनिकों को मार दिया उसने अपने मित्र राजा के साथ मिलकर अपने राज्य को फिर से फतेह कर लिया।

स्टूडेंट को मोटिवेट कैसे करें?

स्टूडेंट को यह बात विस्तार से बताई जानी चाइए की यदि वह वर्तमान समय में अच्छी शिक्षा नहीं लेंगे और ध्यान से नहीं पढ़ेंगे तो आने वाले समय में उन्हे बहुत बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा क्योंकि बिना शिक्षा के जीवन जीना एक बहुत बड़ी चुनौती है।

अशिक्षित व्यक्ति को नौकरी नहीं मिलती है एवं ऐसा व्यक्ति खुद का बिजनेस भी नहीं संभाल पाएगा इसलिए शिक्षित होना जरूरी है यदि जीवन सुकून से जीना है तो वरना जीवन तो भिखारी भी जीता है।

स्टूडेंट मोटिवेशन क्या है?

“स्टूडेंट मोटिवेशन” वह अनोखे शब्द है जोकि विद्यार्थी को शिक्षा की ओर धकेलते है और जीवन में कामयाब व्यक्ति बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। स्टूडेंट मोटिवेशन के कई प्रकार होते हैं यह कहानी मूवीस नोवेल्स इत्यादि हो सकती हैं।

आज का सबसे अच्छा सुविचार क्या है?

आलस्य ही मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है यह व्यक्ति को कामयाब नहीं होने देता है यदि कोई व्यक्ति इस पर नियंत्रण पा ले तो वह एक अनोखा और सफल व्यक्ति बन सकता है और दुनिया उसको झुक कर सलाम करेगी।

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