गौतम बुद्ध की जीवन बदलने वाली अनोखी 10 कहानियां Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 

गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) जिनका बचपन का नाम राजकुमार सिद्धार्थ था वह बचपन से ही एक राजकूमार थे और उनके पास जीवन के हर सुख का आनंद था पर वह अक्सर व्यक्ती के जन्म और मृत्य से अचंभित रहते थे कि यह सब क्यों होता है। और इसका मकशद क्या है इस प्रकार वह अपने इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए अपने महल और बीवी एक बच्चे को छोड़ कर त्याग की राह पर चले गए थे। उनकी जिंदगी पर आधारित कई Gautam Buddha Stories In Hindi भाषा में उपलब्ध हैं। उनके जीवन की कुछ अनोखी कहानियां Gautam Buddha Stories In Hindi ऐसी हैं जोकि किसी के भी जीवन को बदल सकती हैं इसलिए हम आपसे साझा करेंगे Gautam Buddha Motivational Story In Hindi भाषा में।

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धैर्य और सफ़लता Gautam Buddha Story In Hindi

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 

एक बार महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ दूर नगर में प्रवचन देने के लिए जा रहे थे रास्ता जंगलों एवं खेतों से होकर उस नगर तक जाता था गौतम बुद्ध और उनके शिष्य एक खेत के पास से गुजर रहे थे।

तब सभी शिष्यों ने ध्यान दिया कि एक खेत में बहुत सारे गड्ढे खुदे हुए हैं परंतु वह हैरान थे कि आखिरकार कोई व्यक्ति खेत में इतने सारे गड्ढे क्यों खोदेगा प्रत्येक गड्ढे का आकार बहुत बड़ा था।

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सभी शिष्य आपस में बातें कर रहे थे परंतु किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं था परंतु गौतम बुद्ध के प्रिय शिष्य आनंद ने बहस करने से अच्छा गौतम बुद्ध से इस बारे में पूछना ज्यादा अच्छा समझा।

आनंद गौतम बुद्ध के पास गय और उनसे पूछा कि गुरुजी बताइए कि आखिरकार किसी व्यक्ति ने अपने खेत में इतने सारे गड्ढे क्यों बनाय हैं।

महात्मा बुद्ध ने खेत की तरफ़ देखा और मुस्कुराए तब उन्होंने सभी को रुकने का आदेश दिया महात्मा बुद्ध ने खेत की तरफ हाथ करते हुए बताया कि उस खेत का किसान अपने खेत में कुआं बनाना चाहता था।

जिसके लिए वह गड्ढा खोद रहा था परंतु उसे पानी नही मिला कुछ दिनों तक मेहनत करने के बाद उसका धैर्य टूट जाता था और उसे लगने लगता था कि यहां पर पानी नहीं है।

इसलिए वह दूसरी जगह पर फिर से गड्ढा खोदता था परंतु उसमें धैर्य की कमी होने के कारण वह एक ही स्थान पर गहरी खुदाई नहीं करता था इसलिए उसने कई जगहों पर गड्ढे को दिय।

आखिरकार वह हार मान गया को यहां पानी नहीं है जबकि ऐसा नही है आस पास देखो खेतों में हरियाली है मतलब यदि गड्ढा गहरा किया जाता तो जरूर पानी मिलता।

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उसे किसी भी गड्ढे से पानी की प्राप्ति नहीं हुई क्योंकि उसमें धैर्य की कमी थी यह बात जानने के बाद शिष्यों को समझ में आ गया कि जीवन में धैर्य का होना कितना ज़रूरी है।

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष

इस Gautam Buddha Story In Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में धैर्य और निरंतरता बहुत ज्यादा जरुरी है अगर हम हर प्रयास को अधूरा छोड़ देंगे, तो सफलता प्राप्त नहीं होगी और एक समय ऐसा आएगा जब हम खुद पर पछतावा करेंगे इसलिए निरंतर प्रयास करें।

सबसे कीमती तोहफ़ा क्या है Gautam Buddha Story In Hindi

एक बार महात्मा बुद्ध पाटलिपुत्र प्रवचन देने के लिए गए लोगों ने उनका बहुत सम्मान किया एवं बहुत धूमधाम से स्वागत किया राजा बिंबिसार ने महात्मा बुद्ध को सर झुकाकर प्रणाम किया एवं उनको कीमती तोहफे दिए सभी को पता था कि महात्मा बुद्ध नगर में आने वाले हैं।

इसलिए प्रजा उनके लिए तोहफे लाई थी सभी उन्हे तोहफे दिखाते और प्रणाम करके चले जाते महात्मा बुद्ध अपना एक हाथ उठाते जिससे वह इशारा करते थे कि मैने आपका तोहफा स्वीकार कर लिया है।

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ऐसा कुछ घंटों तक होता रहा सभी लोगों ने एक बात पर ध्यान दिया कि महात्मा बुद्ध सिर्फ अपना एक हाथ उठाकर प्रत्येक व्यक्ति का तोहफा स्वीकार कर रहे हैं जिससे वह इशारा करते थे की मैने आपका तोहफ़ा स्वीकार कर लिया है।

तभी एक महिला महात्मा बुद्ध के पास आई और उन्हें दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम किया और कहने लगी “हे महात्मा” जब मुझे पता चला कि आप हमारे नगर में आ रहे हैं तब मैने भी आपको तोहफा देने का सोचा।

परंतु मैं लाचार मजबूर एवं गरीब बुजुर्ग महिला हूं मेरे पास कुछ भी नहीं है आपके आने की खबर मिलने पर मेरे पास सिर्फ यह आधा खाया हुआ सेब ही था जिसे मैं खा रही थी मेरे लिए सबसे कीमती यही था इसलिए मैं आपके लिए यह ले आई।

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यदि आप मेरे इस तोहफे से परहेज न करें तो कृपया मेरा यह छोटा सा तोहफा कबूल कर लें जो कि आधा खाया हुआ सेब है तब महात्मा बुद्ध कुर्सी से उठे और उन्होंने महिला का आधा खाया हुआ सेब दोनों हाथों से स्वीकार किया।

यह देख सभी लोग हैरान हो गए कि हमने महंगे महंगे तोहफे दिए परंतु महात्मा ने तोहफा दोनों हाथों से नही लिया पर महिला के साथ इतनी हमदर्दी क्यों महात्मा बुद्ध ने महिला को प्रणाम भी किया यह बात राजा बिंबिसार को अच्छी नहीं लगी।

उसने महात्मा बुद्ध से इस विषय में पूछा तब महात्मा बुद्ध ने बताया कि तुम लोगों ने मुझे जो भी तोहफे दिए हैं वह तुम्हारे धन का दसवां हिस्सा भी नहीं है क्योंकि तुम लोग दोबारा कमा सकते हो एवं तुम में से ज्यादातर व्यक्ति धनी है।

परंतु यह बुजुर्ग महिला जो लाचार है वह अपनी भूख को मिटाने के लिए यह सेब खा रही थी परंतु उसने मुझे तोहफा देने के लिए अपनी भूख पर नियंत्रण किया एवं,

अपने मुंह का भोजन मुझे देने का फैसला किया इससे बड़ा तोहफा कुछ भी नहीं हो सकता है इसलिए मैंने इस महिला का तोहफा दोनों हाथों से स्वीकार किया है।

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष

इस Gautam Buddha Story In Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चे उपहार की मूल्यवानता उसकी आर्थिक कीमत में नहीं, बल्कि उसमें समर्पित भावना और त्याग में होती है।

गौतम बुद्ध का अपमान Gautam Buddha Story In Hindi

गौतम बुद्ध कौशांबी नगर में कुछ समय से रुके हुए थे यह बात उस नगर की महारानी को पसंद नहीं थी क्योंकि वह जानती थी कि गौतम बुद्ध पहले एक राजकुमार थे और राजकुमार को भिक्षु बना देख महारानी को अच्छा नहीं लगता था।

इसलिए उसने गौतम बुद्ध को परेशान करने के लिए कुछ लोग लगा दिए जो कि गौतम बुद्ध का अपमान करते थे ताकी उनकी छवि खराब हो जाय और उन्हे उस नगर से जाना पढ़े।

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गौतम बुद्ध जिस स्थान पर प्रवचन दे रहे होते थे वह लोग वहीं जाकर गौतम बुद्ध में कमियां निकालने लगते एवं उनका अपमान करने लगते थे ऐसा कई दिनों से हो रहा था परंतु गौतम बुद्ध इन सभी बातों पर ध्यान नहीं देते थे।

गौतम बुद्ध का एक होनहार शिष्य था जिसका नाम था “आनंद” जिसे यह सब देख बहुत गुस्सा आता था वह गौतम बुद्ध का शिष्य था इसलिए हिंसा नहीं कर सकता था परंतु उसने गौतम बुद्ध को समझाने का प्रयास किया और कहा गुरुजी हमें इस स्थान से चले जाना चाहिए गौतम बुद्ध ने कहा।

गुरू जी हमे यहां से चले जाना चाहिए गौतम बुद्ध ने पूछा हम कहा जायेंगे शिष्य ने कहा कि हम ऐसे स्थान जाएंगे जहां ऐसे लोग ना हो तब गौतम बुद्ध ने कहा कि परंतु दुनिया ऐसे ही लोगों से भरी है।

इसलिए हमें धैर्य एवं सहनशीलता की बदौलत इनका सामना करना चाहिए ना कि इनसे मुंह चुरा कर भागना चाहिए यदि हम ऐसा करेंगे तो हम जिंदगी भर भागते रहेंगे गौतम बुद्ध की वाणी सच्ची हुई और महारानी को भी समझ में आ गया।

कि एक सिद्ध पुरुष का कितना भी अपमान किया जाए परंतु उसकी छवि नहीं बिगड़ सकती है क्योंकि महात्मा बुद्ध उस समय के महान ज्ञानियों में से एक थे।

यदि वह उस स्थान से चले गए होते तो उनका अपमान उस नगर में हमेशा के लिए रह जाता परंतु उन्होंने उस अपमान का सामना किया एवं खुद को सिद्ध पुरुष साबित किया और वह महान पुरुष कहलाए।

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें जीवन की समस्याओं का डटकर सामना करना चाहिए यदि हम मुसीबत से डर कर भागेंगे तो वह मुसीबत सदा हमारे पीछे पड़ी रहेगी जिस कारण हमें आदत हो जाएगी जीवन भर मुसीबत से भागने की इसलिए मुसीबत का डटकर सामना करें।

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महात्मा बुद्ध रोजाना आश्रम में अपने शिष्यों को प्रवचन दिया करते थे पर वह चौतरे पर बैठते थे एवं शिष्य नीचे बैठते थे ऐसा कई वर्षों से हो रहा था परंतु एक शिष्य ने आश्रम में यह बात फैला दी कि यदि महात्मा बुद्ध भेदभाव नहीं करते तो खुद ऊपर बैठते हैं एवं हमें नीचे क्यों बैठाते हैं।

महात्मा बुद्ध का एक श्रेष्ठ शिष्य था जिसका नाम “आनंद” था जब उसने इस विषय पर आश्रम में बातें सुनी तो उसने इस बात का जवाब महात्मा बुद्ध से पूछना जरूरी समझा वह महात्मा बुद्ध के पास गया और उनसे पूछा कि गुरुजी आप प्रवचन देते समय चौतरे पर बैठते हैं एवं हम नीचे बैठे हैं।

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इसका क्या कारण है कुछ शिष्यों को नीचे बैठना अपमानजनक लग रहा है क्योंकि आप ऊपर बैठते हैं यह सुन महात्मा बुद्ध बहुत हैरान हुए तब महात्मा बुद्ध आनंद को लेकर सभी शिष्यों के पास गए और उन्हें इकट्ठा किया।

तब महात्मा बुद्ध ने कहा कि क्या तुम में से किसी ने कभी झरने से पानी पिया है एक शिष्य ने कहा हां गुरू देव मैंने झरने से पानी पिया है।

महात्मा बुद्ध ने कहा तुमने पानी किस प्रकार पिया था शिष्य ने बताया कि झरने का पानी ऊपर से गिर रहा था एवं मैं नीचे था मैंने उस पी लिया तब महात्मा बुद्ध ने कहा कि यही सृष्टि का नियम है।

यदि धरने का पानी पीना है तो हमें नीचे खड़े होकर उसे पीना होगा इसी प्रकार शिक्षा है यदि हमें शिक्षा को प्राप्त करना है तो गुरु का सम्मान करते हुए उससे नीचे ही बैठना होगा ताकि आप शिक्षा को बेहतर तरीके से ग्रहण कर सके।

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यदि गुरु शिष्यों में शामिल हो जाय तो वह अपनी शिक्षा को बेहतर तरीके से प्रस्तुत नहीं कर पाएगा एवं नीचे बैठने से हम शिक्षा को बेहतर तरीके है ग्रहण कर सकते हैं एवं घमंड जो कि प्रत्येक व्यक्ति में होता है उससे भी मुक्ति पा सकते हैं।

तब सभी शिष्यों को एहसास हुआ कि वह महात्मा बुद्ध के शिष्य हैं परंतु उनके मन में घमंड आ गया था जो वह अपने गुरु की बराबरी करने की सोच रहे थे सभी ने महात्मा बुद्ध से क्षमा मांगी महात्मा बुद्ध महान व्यक्ति थे उन्होंने सभी को माफ कर दिया।

Gautam Buddha Story In Hindi का निष्कर्ष

इस Gautam Buddha Story In Hindi से हमें सीख मिलती है कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए और कामयाब होने के लिए विनम्रता और गुरु का सम्मान आवश्यक है, घमंड और बराबरी की भावना शिक्षा के मार्ग में बाधा बन सकती है जोकि सफलता में बाधा है।

अहंकार से छुटकारा Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 

एक विक्षु शिष्य अपने व्यवहार के कारण लोगों की नजरों में गिरने लगा था, क्योंकि वाह अहंकार में डूबा रहता था और इसी कारण वह परेशान रहता था। वह विक्षु अपने गुरू महात्मा बुद्ध के पास गया।

गुरू ने कहा अहंकार चमकते बादलों में काले बादलों को तरह है जोकि हमारे हसीन और सुंदर जीवन में काला साया कर देता है। पर विक्षु को गुरू की बात पूरी समझ में नही आई तब गुरू ने एक कहानी सुनाई और

गौतम बुद्ध ने कहा एक किसान एक घने जंगल से गुजर रहा था तभी उसे एक सांप दिखा जिसे देख वह इतनी ज्यादा तेज भागा की वह उसी स्थान पर एक पत्थर पर गिर गया।

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किसान ने बाद में ध्यान से देखा तो पता चला की वह कोई सांप नही था वह एक लडकी थी जोकि सांप जैसी दिख रही थी।

पर किसान को समझ आ गया की उसके डर ने जोकि। उसके दिमाग़ में है उसी ने उसे नुक्सान पहुंचा दिया, तब गुरु ने कहा इसी प्रकार अहंकार जब तक हमारे दिमाग से खत्म नही होगा वह तब तक हमे किसी न किसी प्रकार से नुक्सान पहुचाता ही रहेगा।

इसलिए एक अच्छा व्यक्ती बनने के के लिए अहंकार का खत्म होना बहुत जरुरी है अर्थात वह हमारे जीवन में कई कष्टों को बुलाने का आमंत्रण हो सकता है।

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi का निष्कर्ष 

इस Gautam Buddha Motivational Story In Hindi से हमे यह सीखने को मिलता है की मस्तिष्क में बैठा अहंकार और डर हमे कई मुसीबतों में डाल सकता है इसलिए मस्तिष्क पर नियन्त्रण होना अति आवश्यक है तभी एक सफल व्यक्ती बना जा सकता है।

असफलता का भय Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 

एक बहुत ज्ञानी विक्षु सभी को ज्ञान की बातें बताते थे, एक बार उन्हे एक नौजवान लड़का मिला उसने कहा महात्मा मै कामयाब होना चाहता हूं पर असफलता का भय मुझे जीने नही देता।

विक्षु ने कहा ठीक है मैं जवाब दूंगा पर तुम्हे मेरे साथ कहीं चलना पड़ेगा लड़का मान गया। विक्षु लडके को एक गुफा के पास ले गए और अंदर जाके गुफा दिखाने लगे थोडी देर बाद विक्षु चुपके से गुफा के बाहर आ गए।

और बाहर से पत्थर लगा के गुफा बंद कर दी। लडके ने महसूस किया की विक्षु गुफा में नही है इसलिए वह घबरा गया और दरवाजे की तरफ़ भागा पर गुफा का मूह बंद हो चुका था।

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काफी देर बाद उसको भूख और प्यास लगने लगी वह तड़पने लगा थोडी देर शांत बैठा तभी उसे एक चमकती रोशनी दिखी वह उसकी तरफ भागा वह एक छोटा रास्ता था गुफा से निकलने का।

तभी उसे विक्षु उसी जगह पर दिखा जिसने लडके को अपना हाथ दिया और वह गुफा के उपर आ गया। लडके ने गुस्सा किया पर विक्षु ने लडके को पानी दिया और कुछ खाने को दिया।

तब विक्षु ने कहा यही तुम्हारे सवाल का जवाब है की असफलता का भय क्यों कामयाब नही होने देता, विक्षु ने कहा तुम गुफा से निकलना चाहते थे क्योंकि तुम्हे अपने लोगों से प्यार है तुम उनसे मिलना चाहते थे और तुम्हे भोजन की आदत है उसके लिए तुम निकलना चाहते थे।

पर तुम निकल इसलिए पाए हो क्योंकि वहां गुफा में तुम्हारे पास ऐसा कोई नही था जो कहता चलो दूसरा रास्ता ढूंढते है वह रास्ता तो बहुत उपर है। या कोई ऐसा नहीं था जिसने तुमसे कहा हो की तुमसे नही हो सकता इसलिए तुम उस गुफा से बाहर निकले सके।

लड़का समझ गया की अगर व्यक्ती की सफ़लता सच में जरुरी हे तो उसे कोई नही रोक सकता और ऐसे व्यक्तियों से दूर रहना चाहिए जोकि हिम्मत को तोड़ने का काम किया करते हैं वह सफ़लता की राह में बडी मुसीबत हैं।

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi का निष्कर्ष 

इस कहानी से हमे यह सीखने को मिलता है की यदि जीवन को कामयाबी की सच में जरुरत है तो हमे दूसरे लोगों की बातों में नही आना चाहिए एवं हिम्मत तोड़ने वाले व्यक्तियों से बचना चाहिए और हमेशा अपनी मेहनत पर भरोसा करना चाहिए कठिन परिश्रम और दृढ संकल्प ही सफ़लता की कुंजी है।

लोग क्या कहेंगे Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 

एक राजा की आदत थी की वह अपनें राज्य ने भेष बदल कर घूमता था ताकी जनता की असली दुखों के समझ सके, एक बार उस राजा को रोड पे पड़ा एक व्यक्ती दिखाई दिया।

वह और उसका मंत्री व्यक्ति के पास गए तो पता चला की वह मर चुका है, और उसका मृत्य शरीर वहां पड़ा है राजा ने कई लोगों से मदद मांगी पर सभी ने उस व्यक्ती का चेहरा देखने के बाद उसके मृत्यु शरीर को छूने से मना कर दिया।

राजा तभी एक व्यक्ती आया और बोला भाई साहब यह व्यक्ती इस नगर का सबसे बड़ा पापी व्यक्ती था, इसलिए कोई इसे छूना नही चाहता अगर आप इसके शरीर के इसके घर पहुंचाना चाहते हैं तो आप चले जाइए।

राजा और मंत्री वहां से उसका सव लेकर उसके घर गए तो व्यक्ति की पत्नी रोने लगी।

तभी राजा ने कहा लोग बोल रहे थे की आपके पति दुष्ठकर्मी थे इसलिए कोइ इनके शरीर को नही छू रहा था, व्यक्ति की पत्नी ने बताया मेरे पति रोज रात को शराब के अड्डे पे जाके शराब खरीद लेते थे और उस शराब को लाके नाली मे फेक देते थे।

जिससे कई लोग शराब नही पी पाते थे ओर इस प्रकार कई लोग उस रात पाप करने से बच जाते थे।इसी प्रकार मेरे पति रोज रात को जिस्मानी रिश्ते बनाने बाली औरतों को रात भर का पूरा पैसा दे देते थे और उन्हे दरवाजा बंद करने को बोल देते थे।

और घर आके इश्वर को कहते थे की आज उन्होंने फिर से कई लोगों को पाप करने से बचा लिया। पर लोग समझते थे की वह दुष्ठकर्मी हैं इसी लिए उन्हे कोई छूना नही चाहता है।

पर उसी वक्त राजा ने कहा मैं इस साम्राज्य का राजा हूं और कल मेरे मंत्री और मैं आपके पति को कंधा देंगे और सारे राज्य को बताएं की आपके पति महान इंसान थे।

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi का निष्कर्ष 

इस कहानी से हमे यह सीखने को मिलता है कि हम जीवन में कुछ अच्छे काम करना चाहते हैं जोकि हमे पसंद होते है पर हम सोचते रहते हैं की लोग क्या कहेंगे इसलिए हम वह कार्य नही करते। हमे लोगों के सोचने से कोई फ़र्क नही पढ़ना चाहिए और अच्छे कर्म करने से डरना नहीं चाहिए।

कर्म का फल Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 

एक बूढ़ी औरत रोज खाना बनाते समय एक बडी रोती बनाती थी जिसे वह अपने घर के बाहर चौतरे पर रख देती थी रोज एक विक्षु आके उस रोटी को ले जाता था पर उसने कभी महिला को धन्यवाद नही किया और वह कहता था।

“आप जो बुरा करते हैं वह आपके साथ रहता है और आप जो अच्छा करते हैं वह आपके पास लौट कर आटा है” यह रोज रोज सुनके महिला परेशान हो चुकी थी।

वह सोचती था की वह मेरी रोटी भी ले जाता है और कभी धन्यवाद भी नहीं कहता। एक दिन महिला के दिमाग में कुछ आया और उसने बड़ी रोटी में जहर मिला दिया और उसे बाहर चौतरे पर रखने वाली ही थी।

की उसे ख्याल आया की वह यह क्या पाप करने का रही है उसने इश्वर से क्षमा मांगी और अपने हिस्से में से उस विक्षु के लिए रोटी लाके रखी।

विक्षु आया और रोटी लेके जाने लगा जाते वक्त उसने वही बात कही “आप जो बुरा करते हैं वह आपके साथ रहता है और आप जो अच्छा करते हैं वह आपके पास लौट कर आटा है”।

महिला यह सुन घर के अंदर चली गई महिला का इक बेटा था जोकि परदेश गया था कई महीनो से वह लापता था जिसे याद करके वह रोने लगी।

शाम का समय हुआ महिला के घर की कुंडी किसी के बजाई जब महिला ने दरबाजा खोला तो महिला का बेटा सामने खड़ा था महिले उसे देख रोने लगी और उससे पूछा बेटा तू कहा था।

उसने बताया मां शहर में मेरा सारा सामान चोरी हो गया और मुझे वहां से आना पड़ा पर बीच सफर में मेरे पैसे छीन लिए गए और मेरे पास घर आने के भी पैसे नही बचे।

इसलिए मैं मुश्किल से भूखा प्यासा आया पर अगर आज मुझे एक भिखारी रोटी नही देता तो मैं नही बचता क्योंकि मैं रोड पे बेहोश पड़ा था क्योंकि मैने कई दिनों से खाना नही खाया था।

विक्षु का हुलिया पूछने पर महिला समझ गई की यह वही विक्षु है जोकि रोटी लेके जाता है। महिला यह सोच के रोने लगती है की यदी वह विक्षु को आज जहर वाली रोटी दे देती तो वह अपने बेटे को कभी नही देख पाती क्योंकि वह विक्षु वही रोटी उसके बेटे को दे देता है।

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi का निष्कर्ष 

इस कहानी से हमे यह सीखने को मिलता है कि “आप जो बुरा करते हैं वह आपके साथ रहता है और आप जो अच्छा करते हैं वह आपके पास लौट कर आटा है”।

शरीर का आलस Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 

एक बार महात्मा बुद्ध और उनके शिष्य एक गांव में प्रवचन के लिए जा रहे थे तभी बीच रास्ते में एक शिष्य ने कहा कि भगवन हम बहुत ज्यादा थक गए हैं क्या हम सभी किसी स्थान पर रुक कर विश्राम कर सकते हैं।

गौतम बुद्ध ने कहा ठीक है तभी उन्हे पास के खेत में काम करता एक किसान दिखाई दिया जिसके पास महात्मा बुद्ध गय और उसके बाग में विश्राम करने की अनुमति मांगी।

किसान ने गौतम बुद्ध को पहचान लिया और प्रणाम करते हुए कहा कि यह तो मेरा भाग्य है कि आप हमारे यहां पधारे महात्मा बुद्ध के कई बार मना करने पर भी किसान नहीं माना और महात्मा बुद्ध और शिष्यों के लिए कई प्रकार के फल और जलपान की व्यवस्था करी।

किसान अपना खेत जोतने दोबारा चला गया महात्मा बुद्ध और उनके शिष्य किसान और उसके पोते को देख रहे थे जोकी खेत को जोतने में व्यस्त है।

परंतु किसान का पोता थक गया और वह आराम करने पेड़ की छाया के नीचे चला गया परंतु उसकी आंख लग गई और वह सो गया जब वह सो कर उठा तब तक किसान सारा खेत जोत चुका था।

यह देख एक शिष्य ने गौतम बुद्ध से पूछा भगवन वह किसान काफी ज्यादा बूढ़ा है फिर भी उसने सारा खेत अकेले जोत दिया वह थका नहीं परंतु इसका पोता थोड़ी सी मेहनत करने में ही थक गया।

शिष्य ने कहा भगवन किसान की ऊर्जा का राज क्या है, गौतम बुद्ध ने जवाब देते हुए कहा कि किसान के पोते के मन में आराम करने का ख्याल चल रहा था।

इसलिए वह खेत को जोत नहीं पाया परंतु किसान के मन में सिर्फ खेत जोतने का ख्याल था इसलिए उसको अपनी थकान महसूस ही नही हुई। इसलिए उसने सारा खेत अकेले ही जोत दिया क्योंकि उसको सिर्फ किसी भी प्रकार से खेत जोतना था।

जिसके लिऐ वह अपना सुख भूल गया गौतम बुद्ध ने कहा यदि कोई व्यक्ति अपने मकसद को पूरी जान लगा कर पाने का प्रयास करता है और अपने मकसद से प्रेम करता है ऐसे व्यक्ती को आलस कभी कामयाब होने से नही रोक सकता।

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi का निष्कर्ष 

इस Gautam Buddha Motivational Story In Hindi से हमें यह सीख मिलती है कि आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है जो व्यक्ति इस पर नियंत्रण कर लेता है वही व्यक्ती सफल होता है एवं कामयाबी को हासिल करता है इसलिए ज्यादा से ज्यादा कोशिश करें कि आलस्य पर नियंत्रण पा सकें।

सही समय का इंतज़ार Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

एक समय की बात है महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कहीं दूर प्रवचन देने के लिए जा रहे थे गर्मी का मौसम था और गर्म हवा चल रही थी जिससे सफर करना मुश्किल हो रहा था।

परंतु उन्हे यह सफ़र तय करना ही था क्योंकि प्रवचन देने जाना बहुत जरूरी था। महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ पैदल ही सफर कर रहे थे काफी दूर तक पैदल चलने के बाद महात्मा बुद्ध को एक सुंदर बाग दिखाई दिया।

जिसके बाद महात्मा बुद्ध ने सभी को इस बाग में आराम करने का आदेश दिया। वह गर्मी में सफर करके आए थे इसलिए सभी को प्यास लगी थी परंतु उस बाग में पानी नहीं था और सभी शिष्य प्यास के कारण बेचैन हो रहे थे।

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महात्मा बुद्ध ने सभी की परेशानी को देखते हुए एक शिष्य को कहा कि तुम उस बड़े पत्थर पर खड़े हो जाओ और मुझे बताना कि किस तरफ से ठंडी हवा आ रही है।

उस शिष्य ने ऐसा ही किया वह उस बड़े पत्थर पर गया और जाकर खड़ा हो गया वह समझ गया की ठंडी हवा किस दिशा से आ रही है। वह महात्मा बुद्ध के पास गया और उसने बताया कि गुरु जी ठंडी हवा पश्चिम दिशा से आ रही है।

महात्मा बुद्ध ने उसको आदेश दिया कि जरूर उस दिशा में थोड़ी दूरी पर या तो कोई नहर है या फिर तालाब है तुम वहां जाकर सभी के लिए पानी लेकर आओ।

वह होनहार विद्यार्थियों में से एक था और चालाक भी था इसलिए महात्मा बुद्ध ने उसी को चुना। उसने महात्मा बुद्ध के आदेश का पालन करते हुए पानी की तलाश में सफर शुरू किया।

काफी देर तक पैदल चलने के बाद वह एक तालाब के पास पहुंचा जहां उसे पानी मिला और महात्मा बुद्ध की सूझबूझ की सूझबूझ से बहुत खुश हुआ।

वह पानी भरने ही वाला था तभी उसे तालाब मैं कुछ जानवर नहाते दिखाई दिए वह सोचने लगा यह पानी तो दूषित है इसमें जानवर नहाते हैं। क्योंकि तालाब की मिट्टी पानी में तैर रही है।

वह यह सोच ही रहा था कि तभी कुछ जानवर जिनके पैरों में बहुत ज्यादा कीचड़ लगी थी वह उस तालाब में घुस गय और नहाने लगे जिससे तालाब की बहुत सारी मिट्टी पानी में आकर मिल गई।

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अब वह पानी किसी भी प्रकार से पीने लायक नहीं बचा था उस शिष्य को जानवरों पर बहुत क्रोध आया और वह क्रोधित मन लिए वहां से चला गया। और महात्मा बुद्ध के पास पहुंचा उसने महात्मा बुद्ध से जानवरों की शिकायत करते हुए कहा।

कि गुरुजी वह पानी पीने लायक नहीं है क्योंकि उसमे बहुत सारे जानवर नहाते हैं और जिस कारण उस पानी में मिट्टी के बहुत सारे कण हैं इसलिए वह पीने लायक नहीं है।

यह सुनते ही सारे शिष्य प्यास से और भी ज्यादा व्याकुल होने लगे उन्होंने महात्मा बुद्ध से कहना शुरू किया कि यदि गुरु जी हम यहां पर और रुके तो हमारी मृत्यु अवश्य हो जाएगी।

इसलिए हमें चलते रहना चाहिए समस्या होगी परंतु क्या पता हमें आगे जल मिल जाए। महात्मा बुद्ध ने सभी को शांत करते हुए कहां की तुम बैठ जाओ पानी उसी तालाब से आएगा और स्वच्छ पानी आएगा बस तुम मेरे आदेश का पालन करो और थोड़ी देर तक इंतजार करो जब तक मैं कोई आदेश ना दूं।

कुछ देर हुई महात्मा बुद्ध ने उस शिष्य के साथ एक और शिष्य को भेजा और कहां अब जाओ वह पानी स्वच्छ है अब तुम पानी लेकर आओ। वह दोनों थे की ऐसा कैसे हो सकता है।

वह उस तालाब पर पहुंचे वह महात्मा बुद्ध की बोली बातों को याद करने लगे क्योंकि पानी सच में साफ हो चुका था उस तालाब में कोई भी जानवर नहीं नहा रहा था और मिट्टी के सभी कारण तालाब की सतह पर बैठ चुके थे।

जिस कारण स्वच्छ पानी ऊपर नजर आ रहा था जिसे दोनों शिष्यों ने भर लिया और आकर सभी को पिलाया। जिसके बाद उन्होंने महात्मा बुद्ध से पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि वह पानी स्वच्छ हो गया वह दूषित पानी था।

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महात्मा बुद्ध ने शिष्यों को उपदेश देते हुए कहा कि वह पानी दूषित नहीं था इश्वर ने प्रत्येक जाति के प्राणी के लिए सामान्य पानी बनाया है जिसे सब उपयोग करते हैं परंतु हमें अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए।

वह जानवर उस स्थान से नहा के चले गए जिसके बाद मिट्टी के कण तालाब में बैठ गया और वह पानी स्वच्छ हो गया और तुम उसे भर लाय।

यदि हम इंतजार ना करते और सफर पर दोबारा निकल जाते तो इससे बीच रास्ते में ही प्यास के कारण हमे बडी समस्या हो सकती थी जिसका हमारे पास कोई निवारण नहीं होता। इसलिए सही समय का इंतजार करना एक बेहतर मनुष्य की पहचान है।

महात्मा बुद्ध ने सभी शिष्यों को कहा की मुश्किल वक्त में भी हमें कभी मानसिक नियंत्रण नहीं खोना चाहिए सोच समझ कर फैसले लेने चाहिए वरना हमें इसका नुकसान बहुत बड़ा देखने को मिल सकता है जिसका शायद हमारे पास निवारण भी ना हो।

सभी शिष्य समझ गए की महात्मा बुद्ध उन्हें क्या बताना चाहते हैं। महात्मा बुद्ध ने सही समय का इंतजार करना सीखा रहे थे जिसमें वह सफल रहे और शिष्यों को इस प्रकार जीवन की एक अहम सीख सीखने को मिली।

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi का निष्कर्ष

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि एक बेहतर मनुष्य अक्सर एक अच्छे पल का इंतजार करता है यदि वह जल्दी करता है तो इससे कई बार नुकसान भी होता है इसलिए हमेशा ही समय का इंतजार करना चाहिए।

पर जब मौका मिले तो मौके को बिल्कुल भी ना छोड़े समय का पहिया चलता है वह किसी के लिए नहीं रुकता है यदि आप एक क्षण भी लेट हो जाते हैं तो यह आपके जीवन पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।

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Gautam Buddha Motivational Story In Hindi FAQ

Q.बुद्ध ने क्यों कहा कि ईश्वर नहीं है?

Ans. गौतम बुद्ध समझ गए थे की लोग आत्मा का परमात्मा से मेल करवाने के लिऐ पाखंड करने लगें है और इस प्रकार लोग अंधविश्वास में पड़ते जा रहे थे इसलिए गौतम बुद्ध ने कहा की इश्वर नही है।

Q.गौतम बुद्ध का मुख्य संदेश क्या है?

Ans. गौतम बुद्ध का सबसे मुख्य संदेश था की गुस्से से इंसान को सजा नही मिलती बल्की गुस्से के कारण सजा मिलती है।

Q.भगवान बुद्ध किसका ध्यान करते थे?

Ans. गौतम बुद्ध इश्वर का ध्यान किया करते थे और वह लोगों को कहते थे की इश्वर का मतलब है सभी प्रेम भाव से रहें और हिंसा न करें यही इश्वर की इच्छा है इसलिए उनके साथ के लोग भी ईश्वर का ध्यान किया करते थे।

Q.बुद्ध ने हिंदू धर्म को क्यों खारिज किया?

Ans.गौतम बुद्ध बहुदेव, मूर्तिपूजन, स्वर्ग नर्क को नही मानते थे हिंदू धर्म को खारिज करने का एक मुख्य कारण यह भी था की वह इस बात के खिलाफ थे कि वेद ईश्वरीय हैं।

Q.गौतम बुद्ध किसका अवतार है?

Ans. गौतम बुद्ध को हिंदू धर्म के मुताबिक भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है परंतु गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में कभी भी नही कहा की वह ईश्वर का अवतार हैं।

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