गौतम बुद्ध दुनियां के लिऐ त्याग और मानवता के लिय मूर्त हैं उन्होंने अनेक व्यक्तियों को जीवन के सच से रूबरू कराया उन्होनें अपने महल और राजपाठ के जीवन को त्याग के आत्मज्ञान प्राप्त किया था जिसके लिऐ उन्हे जाना जाता है। उन्होंने उस समय कई व्यक्तियों का जीवन सुधारा उन्हे सही राह दिखा के और वही किस्से आज के समय में Gautam Buddha Motivational Story के नाम से जाने जाते हैं। उनके जीवन की घटना को प्रस्तुत करते हम आपसे साझा करने वाले हैं Gautam Buddha Motivational Story जोकि आपके जीवन को बदलने का अनोखा ज्ञान रखती है।
Gautam Buddha Motivational Story
गौतम बुद्ध के आश्रम में एक नियम था की कोई विद्यार्थी यदि लम्बे समय से आश्रम में है और उसको काफ़ी ज्यादा ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी है तो उसे हर हफ़्ते एक गांव में भेजा जाता था जहां जाके वह लोगों को जीवन के सच्चे ज्ञान से रूबरू कराता था और इंसानियत का पाठ पढ़ाता था।
लगभग हर विद्यार्थी दूसरे गांवों में ज्ञान बाटने जा चुका था पर एक विद्यार्थी ऐसा था जोकि पिछले 6 सालों से आश्रम में ज्ञान प्राप्ति की पढ़ाई कर रहा था, पर गौतम बुद्ध उसे कभी भी गांव में नही भेजते थे ताकी वह किसी को शिक्षित कर सके।
समय बीतने के साथ साथ उसको समझ में आने लगा की शायद भगवन बुद्ध मुझे इस लायक नही समझते। लडके का नाम अमर था उसने कई बार कोशिश करी की भगवन बुद्ध से कारण पूछे की उसे क्यों किसी गांव में नही भेजा जाता।
एक बार उसने हिम्मत करी और भगवन बुद्ध के पास गया और कहा भगवन क्या मैने कोई गलती करी है क्या मैं एक अच्छा विद्यार्थी नही हूं शायद इसलिए आप मुझे जन सेवा का अवसर नही देते।
मै पिछले 6 सालों से इस आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहा हूं आप मुझे भी भेजते पर कुछ समय पहले ही आए नए विद्यार्थी भी जन सेवा के लिऐ जाते हैं।
भगवन मूझसे कोई गलती हुई हो तो मुझे क्षमा कर दें और सिर्फ़ एक बार जन सेवा का अवसर दें मैं खुद को साबित करना चाहता हूं।
भगवन बुद्ध के दिमाग में कुछ ख्याल चल रहा था थोडी देर बाद भगवन बुद्ध ने अमर को कहा की तुम नदी के पार वाले गांव में कल सुबह चले जाना और विक्षा मांग के लाना और मुझे बताना की तुमने क्या सीखा यही तुम्हारी परीक्षा है तब हमे पता चलेगा की तुमने 6 सालों में क्या सीखा है।
अमर सुबह नदी के पार वाले गांव में चला गया और वहां जाके विक्षा मांगनी शुरू कर दी और लोगों को ज्ञान देने का प्रयास किया।
अमर को देख लोगों को गुस्सा आने लगा और वह उसे गांव से भगाने लगे क्योंकि वह लोग नही चाहते थे की कोई उन्हे इस प्रकार का ज्ञान दे अमर ने विक्षा मांगी तो किसी ने नही दी और मारपीट करनी शुरू कर दी।
पर सिर्फ एक आदमी ने अमर को विक्षा दी वो भी जमीन पर फेक के इससे अमर को बहुत अपमानित महसूस हुआ और वह आश्रम वापस आ गया।
उसने भगवन बुद्ध से शिकायत करते हुऐ कहा की आपने मुझे कितने ज्यादा अजीब गांव में भेज दिया जिन्होंने मुझे बहुत मारा और मेरी कोई भी बात नही सुनी बुद्ध ने कहा ठीक है कल तुम किसी और गांव में जाना।
तभी अमर के वहां से जाने के बाद बुद्ध ने श्रवण को उसी गांव में जाने का आदेश दिया और कहां की कल तुम उसे गांव में जाओगे और वहां से विक्षा लेकर आओगे।
श्रवण ने कहा ठीक है भगवन श्रवण दूसरे दिन उस गांव में चले गए और वहां के लोगों से विक्षा मांगनी शुरू करी।
शाम हुई तो सभी श्रवण के लिए बेचैन थे क्योंकि वह अभी तक आश्रम में लौटे नही थे साथ ही अमर भी जानता था की श्रवण उसी गांव में गए हैं जहा के लोगों ने उसे मारा था। सभी चिंतित थे पर दूर से श्रवण आते दिखाई दिए तब सभी की टेंशन खत्म हुई।
बुद्ध ने श्रवण से पूछा की तुम इतने ज्यादा लेट कैसे हो गए हो तब श्रवण ने बताया की भगवन वहां के लोग दिल के अच्छे थे पर उनमें थोडा सा अहंकार था पर उनमें से एक व्यक्ती ने मुझे विक्षा दी पर उसने मुझे विक्षा फेक के दी पर मुझे बुरा नही लगा भगवन।
उसी व्यक्ती की बेटी बहुत ज्यादा बीमार थी जोकि घर के आंगन में लाचार लेती दिखाई दे रही थी मैने जब उस व्यक्ति से उसकी बेटी की हालत का कारण पूछा तो उस व्यक्ति ने बताया कि उसकी बेटी एक बीमारी से पीड़ित है उसका उपाय उस गांव में कोई भी नहीं जानता था।
पर मैं उसका उपाय जानता था क्योंकि मैंने इस आश्रम में आपके द्वारा अनेक प्रकार का ज्ञान प्राप्त किया है इसलिए मैंने उस व्यक्ति से अनुमति मांगी थी क्या मैं उसकी बेटी के लिए एक आयुर्वेदिक दवा तैयार कर सकता हूं।
जिससे उसकी बेटी ठीक हो जाएगी यह सुनकर वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और उसने मुझे अनुमति दे दी कि मैं उसकी बेटी का इलाज कर सकता हूं। उसकी बेटी का इलाज करने के लिए मैं दूर की एक पहाड़ी पर गया जहां पर मुझे एक जड़ी बूटी मिली जिससे उस व्यक्ति की बेटी का इलाज हो सकता था।
मैने गांव जाकर वह जड़ी बूटी का अर्क बनाकर उसकी बेटी को पिलाया जिससे वह थोड़ी सी ठीक हुई और बोलने लगी।
परंतु उस गांव के लोगों को जब पता चला कि मैं अभी भी उसी गांव में हूं और वहां से गया नहीं तो उन्होंने मुझे मारने के लिए बाहर भीड़ इकट्ठी कर ली क्योंकि उन्हे ज्ञान की बातें और मोंक पसंद नहीं है।
पर जब उस व्यक्ति ने बाहर जाकर बताया कि ममैंने उसकी बेटी का इलाज किया है तो गांव वालों ने मुझे माफी मांगी और कहा आप भले इंसान हैं हमसे ही गलती हो गई कि हम आपको समझ नहीं पाए।
मैने उन लोगों से कहा कि मेरी भी गलती है मैं आपको बात सही तरीके से समझा नहीं पाया इसके लिए मैं आपसे क्षमा मांगता हूं। श्रवण ने कहा भगवान इस लंबी प्रक्रिया के दौरान मुझे अधिक समय लग गया जिस प्रकार मैं इतना ज्यादा लेट हो गया।
परंतु भगवन उस गांव के लोग बहुत ही ज्यादा अच्छे हैं मैने उनके मन को महसूस किया और उनसे प्रेम बर्ताव किया। उन्होंने बार-बार मुझे गांव से निकाला पर मैंने फिर भी उसी गांव के व्यक्ति की मदद की उसकी बेटी की तबीयत ठीक करके।
इस प्रकार उन्होंने मेरी ज्ञान की बातें भी सुनी और मेरा सम्मान भी किया, बुद्ध ने श्रवण से कहा जाओ तुम अब आराम करो।
सभी विद्यार्थी अपने-अपने मठ में जाने लगे परंतु बुद्ध ने अमर को रोका और कहा कि देखो मैं तुम्हें यही समझना चाहता था तुम्हारे अहंकार ने सिर्फ उन लोगों का अहंकार देखा जबकि यदि तुम अपने अहंकार को भूल जाते तो तुम उनकी समस्या को भी समझ पाते और उनके मन के दुख को भी समझ पाते।
इसलिए मैं तुम्हें किसी गांव में नहीं भेजता था क्योंकि मुझे पता है आज तक तुम अपने अंदर के अहंकार को खत्म नहीं कर पाए हो जीवन में सफल होने के लिए अहंकार का खत्म होना अति आवश्यक है, सफलता पाने का मूल मंत्र है कि अहंकार को भूल जाओ और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए मेहनत करते रहो।
Gautam Buddha Motivational Story का निष्कर्ष क्या है
यदि हमे किसी व्यक्ती के अंदर के दर्द और दुख को समझना है तो हमे पहले अपने अहंकार का चश्मा उतारना होगा क्योंकि अहंकार का चश्मा पहनने बाले लोग पसंद नही किए जाते और अगर आपको भी किसी को अपनी बात समझानी है तो दूसरों से कहें कृपया अपने अहंकार का चश्मा उतार के बात करें मैं आपके जैसा ही सामान्य व्यक्ती हूं यकीन करें प्रत्येक व्यक्ती अपने जीवन में दुखी है इसलिए यदि आपको किसी का हमदर्द बनना है तो उसके दर्द को समझने का प्रयास करें वह आपको इतना सम्मान देगा जीतना आपने सोचा नही होगा।
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