Gautam Buddha Motivational Story In Hindi: गौतम बुद्ध जिन्होंने ख़ुद के सुखों को त्याग कर दुनियां को आत्मज्ञान से रूबरू कराया और उन्हे जीवन के अहम लक्ष्य के बारे में बताया गौतम बुद्ध के सिद्धांतों पर एक बड़ा धर्म भी है जिसे बौद्ध धर्म कहा जाता है। गौतम बुद्ध के सिद्धांतों पर अनेक (Gautam Buddha Motivational Story In Hindi) कहानियां प्रचलित हैं जिनसे हमे Motivation मिलता है। Gautam Buddha Motivational Story In Hindi हमारे जीवन को बदलने में सक्षम हैं जिन्हे हमे पढ़ना चाहिए। Gautam Buddha story जोकि ज्ञान से भरपूर होती हैं हमे इनसे ज्ञान लेना चाहिए और दुसरो को शिक्षित करना चाहिए।
नियम का उल्लंघन Gautam Buddha Motivational Story In Hindi
जब महात्मा बुद्ध ने आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया था तो उन्होंने अपनी शिक्षा को ज्यादा से ज्यादा फैलाने का फैसला किया और ब्रह्मचर्य अपनाया। गौतम बुद्ध के जीतने भी शिष्य होते थे वह भी ब्रह्मचर्य जीवन जीते थे।
यही बुद्ध का नियम था किसी भी शिष्य को किसी भी महिला से किसी प्रकार का संबंध बनाने की अनुमति नहीं थी। एवं महिलाओं से बोलने पर भी पाबंदी थी ताकि किसी भी शिष्य का ब्रह्मचर्य ना टूटे एवं मन दूषित ना हो।
एक बार गौतम बुद्ध अपने एक होनहार शिष्य के साथ दूर के गांव में प्रवचन देने के लिए जा रहे थे वह दोनों जंगल में पैदल चल रहे थे इस दौरान महात्मा बुद्ध शिष्य को कई प्रकार की अनोखी बातें बता रहे थे जोकी ज्ञान से संबंधित थे।
महात्मा बुद्ध ने शिष्य से कहा कि हम आत्मज्ञान प्राप्त करने की राह पर हैं इसलिए हमें सदा ब्रह्मचर्य जीवन जीना चाहिए। जब जंगल पार हुआ गौतम बुद्ध एवं शिष्य के सामने एक नदी थी गौतम बुद्ध और शिष्य को तैरना आता था।
वह तैरकर नदी पार कर सकते थे इसलिए वह नदी में उतरे ताकी नदी पार करी जा सके। तभी दूर से एक महिला चिल्लाती हुई आई “रुको रुको” गौतम बुद्ध और शिष्य उसकी आवाज़ सुनकर रुक गए।
वह महिला उनके पास आकर बोली कृपया आप मुझे अपने कंधों पर बैठा कर नदी पार करा दे मैं तैर नहीं सकती हूं परंतु नदी के उस पार जाना मेरा अति आवश्यक है मैं आपकी आभारी रहूंगी।
गौतम बुद्ध ने बिना हिचकिचाहट के उस महिला को अपने कंधे पर बैठाया और नदी पार करने लगे यह सब देख शिष्य बहुत ज्यादा आश्चर्यचकित हुआ।
जब शिष्य और महात्मा बुद्ध ने नदी पार कर ली उसके बाद शिष्य और बुद्ध जब तक उस गांव नही पहुंच गए तब तक बोले नही। परंतु शिष्य का मन विचलित था वह बुद्ध से इस घटना का जवाब जानना चाहता था।
जब बुद्ध और शिष्य उस गांव में रात को सोने वाले थे तब शिष्य ने रात्रि के वक्त गौतम बुद्ध से कहा भगवन आपने कहा था हमे किसी स्त्री से कोई मतलब नही रखना चाहिए और भ्रमचर्य जीवन जीना चाहिए।
पर आज आपने एक महिला को अपने कंधे पर बैठा के नदी पार कराई क्या यह हमारे उसूलों के खिलाफ नही है। महात्मा बुद्ध ने हस्ते हुए जबाव दिया की मैने एक जरूरतमंद लाचार महिला की मदद की है जिसे हमारी सहायता की आवश्कता थी।
हमे सिर्फ इतना ही सोचना चाहिए अगर हम इससे ज्यादा उस महिला के बारे में सोचते हैं तब भ्रमचर्य का उलंघन होगा।
क्योंकि मानसिक विचार का पवित्र होना ही भ्रमचर्य है यदि हम महिलाओ से बचने का प्रयास करेगें तो ऐसा मुमकिन नही है क्योंकि श्रृष्टि में बहुत महिलाएं हैं हमे अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण पाना सीखना चाहिए।
और यही आत्मज्ञान है इसलिए मैने उस महिला की किसी हिचकिचाहट के मदद करी क्योंकि मुझे आत्मज्ञान मिल चुका है तुम्हे अभी प्राप्त करना है इसलिए तुम्हे यह विचलित करने वाले ख्याल आ रहे हैं।
शिष्य को आखिरकार समझ में आया कि ब्रह्मचर्य के उसूल जरूरी नहीं है बल्कि आत्मा का पवित्र होना अति आवश्यक है जब आत्मा पवित्र होगी तभी उसूलों का सही रूप से पालन किया जा सकता है।
और मस्तिष्क सकारात्मक तरीके से सोचेगा जिस प्रकार महात्मा बुद्ध ने सिर्फ उस महिला की मदद करने का विचार बनाया और उसकी मदद करी परंतु खुद उसने उस महिला के बारे में अनेक प्रकार के विचार बनाएं और अपने ही विचारों में उलझकर रह गया।
Gautam Buddha Motivational Story In Hindi का निष्कर्ष
इस Gautam Buddha Motivational Story In Hindi से हमे यह सीख मिलती है कि बेहतर जीवन जीने के लिऐ उसूल बनाना जरुरी नही है बल्की आत्म का पवित्र होना जरुरी हे।
स्वर्ग जाने का तरीका Gautam Buddha Motivational Story In Hindi
एक नगर में सोमनाथ नाम के धनी व्यक्ती का देहांत हो गया वह बहुत अमीर था उसका बेटा जोकि उसका वारिश था, जिसका नाम प्रयाग था। सोमनाथ का बेटा प्रयाग चाहता था की उसके पिता को स्वर्ग मिले जिसके लिऐ उसने कई महागुरुओं से मुलाकात की।
महागुरुओं ने कहा आपके पिता को स्वर्ग मिलेगा, परंतु प्रयाग को सबूत चाहिए था की उसके पिता को स्वर्ग ही मिलेगा सबूत देना किसी भी ज्ञानी के बस में नहीं था क्योंकि वह प्रयाग से धन कमाना चाहते थे जिसके लिए वह उसे झूठी तसल्ली दे रहे थे।
प्रयाग यह बात भली-भांति जानता था कि सभी को उसका धन चाहिए इसलिए वह किसी प्रकार से उसको झूठी तसल्ली देना चाहते हैं। प्रयाग ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहा था जोकी गारंटी दे सके की प्रयाग के पिता को स्वर्ग मिलेगा।
जिसके लिए वह अपनी सारी संपत्ति खर्च करने को तैयार था प्रयाग कई दिनों तक ऐसे ज्ञानी को ढूंढता रहा परंतु उसे कोई भी नहीं मिला। एक व्यक्ति ने उसे बताया कि महात्मा बुद्ध जोकी इस समय के सबसे बड़े ज्ञानी हैं वह पास के नगर में ठहरे हैं तुम्हें उनके पास जाना चाहिए।
प्रयाग ने भी महात्मा बुद्ध के बहुत किस्से सुने थे इसलिए वह बिना समय गवाए तुरंत ही महात्मा बुद्ध से मिलने पहुंच गया। जब वह महात्मा बुद्ध के पास पहुंचा तो महात्मा बुद्ध के पैरों में गिर गया और प्रणाम किया।
प्रयाग ने महात्मा बुद्ध को अपनी सारी पीड़ा बताई l प्रयाग अपने पिता को लेकर काफी ज्यादा भावुक हो चुका था यह बात महात्मा बुद्ध भी भली भांति समझ चुके थे। इसलिए उन्होंने प्रज्ञा को अपने तरीके से यह बात समझाने का विचार बनाया।
उन्होंने प्रयाग से कहा की कल सुबह तुम पास की नदी पर एक बड़ा सा मिट्टी का बर्तन लेके आना जिसका आकार बहुत बड़ा होना चाहिए जिसमें मक्खन एवं कुछ पत्थर पढ़े होने चाहिए।
प्रयाग को यह बात बहुत अजीब लगी की महात्मा बुद्ध उससे यह सब क्यों मंगवा रहे हैं महात्मा बुद्ध ने कहा यही वह तरीका है जब मैं गारंटी दे सकूंगा कि तुम्हारे पिता स्वर्ग ही जाएंगे।
प्रयाग अपने पिता सोमनाथ से बहुत प्रेम किया करता था इसलिए उसने नगर में सबसे बड़ा मिट्टी का बर्तन ढूंढा जिसे वह उठा भी नहीं पा रहा था। परंतु अपने पिता के प्रेम के कारण उसने उस बर्तन को मुश्किल से उठाया और अगले दिन उसमें मक्खन और कुछ पत्थर भरकर नदी किनारे रख दिया।
तभी महात्मा बुद्ध नदी किनारे आए और उन्होंने प्रयाग से कहा कि इस बर्तन को अपने कंधे पर उठाओ और इस नदी में जब तक चलते रहो जब तक पानी का स्तर तुम्हारे चेहरे तक ना आ जाए।
उस बर्तन को उठाकर नदी में उतरना काफी ज्यादा मुश्किल कार्य था परंतु प्रयाग अपने पिता से प्रेम किया करता था वह अपने पिता के प्रेम के लिए कुछ भी कर सकता था।
इसलिए उसने बर्तन को उठाया और नदी में उतरने लगा जब पानी का स्तर प्रयाग के सर तक आ गया तब महात्मा बुद्ध ने उसे दूर से आवाज दी की उस बर्तन को नदी की सतह पर छोड़कर फोड़ दो।
प्रयाग ने उस बर्तन को नदी की सतह पर फेंक कर तोड़ दिया और नदी के किनारे आ गया महात्मा बुद्ध ने उससे कहा तुम कुछ मत बोलना बस मेरी एक बात सुनो।
यदि पत्थर ऊपर आए होंगे एवं मक्खन नदी के नीचे चला गया होगा तो तुम्हारे पिता को स्वर्ग मिलेगा वरना तुम्हारे पिता को स्वर्ग नहीं मिलेगा अब तुम बताओ कि क्या पत्थर ऊपर आए थे या मक्खन ऊपर आया था।
प्रयाग बहुत हैरान हुआ क्योंकि मक्खन ऊपर आया था और पत्थर नदी के नीचे चले गए थे जिससे प्रज्ञा को बहुत दुख हुआ कि उसके पिता स्वर्ग नहीं जाएंगे।
परंतु उसकी मनो दसा देखते हुए महात्मा बुद्ध ने उसे समझाया कि मक्खन की प्रकृति होती है कि वह सदा पानी के ऊपर ही तैरेगा एवं पत्थर की प्रकृति होती है कि वह सदा पानी के नीचे ही रहेगा।
इसी प्रकार अगर तुम्हारे पिता मक्खन की तरह कोमल एवं अच्छे व्यक्ति थे तो वह जरूर स्वर्ग जाएंगे यदि वह पत्थर की तरह गुरुर एवं अच्छे व्यक्ति नहीं थे तो वह पत्थर की तरह नीचे जाएंगे।
अर्थात अच्छा व्यक्ति सदा स्वर्ग जाता है एवं दुष्ट व्यक्ति नर्क जाता है प्रयाग को महात्मा बुद्ध की बात अच्छी तरह समझ में आ गई और उसने महात्मा बुद्ध को धन्यवाद कहा और प्रणाम करके चला गया।
महात्मा बुद्ध ने भी प्रयाग के सवाल का अनोखे तरीके से जवाब दिया जिसने प्रयाग को संतुष्ट कर दिया।
Gautam Buddha Motivational Story In Hindi का निष्कर्ष
इस Gautam Buddha Motivational Story In Hindi से हमे यह सीख मिलती है की कोमल मन के व्यक्ती को स्वर्ग मिलता है हमे जीवन में सदा अच्छे कार्य करने चाहिए मृत्यु जीवन का वह सच है जिसे मनुष्य भूलकर जीवन जीता है परंतु मृत्यु वह सच है जिसे कभी झुटलाया नही जा सकता।
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