गौतम बुद्ध जिन्होंने अपने जीवन के सभी सुखों को त्याग कर विक्षु का जीवन अपनाया हमे उनके जीवन से काफी कुछ सीखने को मिलता है गर ज्ञान प्राप्त करना हो तो हमे gautam buddha ki kahani पढ़नी चाहीए जिसने हमे Motivation, Inspiration मिलती है। इसलिए हमे Gautam Buddha story in hindi पढ़नी चाहिए जिससे हमे भी जीवन के अनोखे ज्ञान की प्राप्ति हो सके और हम सक्षम बन सकें। इस Gautam Buddha story in hindi में आपको अनोखे ज्ञान की प्राप्ति होगी और यह Gautam Buddha motivational story in hindi से आपकी सोचने की शक्ति में वृद्धि होगी।
आश्रम में अछूत व्यक्ती Gautam Buddha story in hindi
एक समय की बात है गौतम बुद्ध अक्सर शिष्यों को ज्ञान देने के लिए रोजाना प्रवचन दिया करते थे, इससे सभी शिष्य बहुत ही ज्यादा प्रसन्न रहते थे।
क्योंकि उन्हें अपने मस्तिष्क में उठने वाले सवालों के जवाब मिलते रहते थे जिससे उन्हें बहुत अच्छा लगता था, और इसी प्रकार उनकी आत्मज्ञान प्राप्त करने की शिक्षा पूरी होती जा रही थी।
प्रवचन को सुनने के लिए कोई सामान्य व्यक्ति भी आ सकता था चाहे वह नगर का हो या गांव का क्योंकि महात्मा बुद्ध का मुख्य कार्य ज्ञान को फैलाना था।
एक दिन गौतम बुद्ध सभी विद्यार्थियों को प्रवचन दे रहे थे और कुछ गांव वाले भी महात्मा बुद्ध के प्रवचन को बहुत ही ध्यान से सुन रहे थे।
तभी आश्रम के दरवाजे से एक व्यक्ति ने चिल्लाते हुए महात्मा बुद्ध से आश्रम में आने की अनुमति मांगी। महात्मा बुद्ध ने उस व्यक्ति की आवाज सुन ली थी पर फिर भी उसकी आवाज को अनसुना कर दिया।
गांव वालों को लगा की महात्मा बुद्ध ने शायद उस व्यक्ति की आवाज सुनी नहीं है, जब दरवाजे पर खड़ा व्यक्ति एक बार और चिल्लाया तब भी महात्मा बुद्ध ने उसे अनसुना कर दिया।
यह देखते हुए महात्मा बुद्ध का एक शिष्य खड़ा हुआ जो की बहुत ही होनहार था, उसने महात्मा बुद्ध से कहा भगवन दरवाजे पर खड़ा व्यक्ति आपसे अंदर आने की अनुमति मांग रहा है कृपया उसे अंदर आने की अनुमति दे दें।
परंतु महात्मा बुद्ध ने शिष्य की बात को भी अनसुना कर दिया यह देख शिष्य को बहुत बुरा लगा और उसने फिर से महात्मा बुद्ध से वही बात दोहराई कि उस व्यक्ति को अंदर आने दिया जाए।
महात्मा बुद्ध ने चुप्पी तोडी और कहा कि वह व्यक्ति आश्रम में नहीं आ सकता है वह “अछूत है” यह सुन सभी गांव वाले एवं शिष्य अचंभित हो गए।
क्योंकि गौतम बुद्ध प्रत्येक व्यक्ति को भेदभाव से छुटकारा पाना सिखाते थे और प्रत्येक व्यक्ति को सामान का दर्जा मिलना चाहिए यह उनके उपदेश के मुख्य पहलू हुआ करते थे।
उनके मुंह से ऐसी बात सुनकर सभी हैरान हो गया, तभी शिष्य ने गौतम बुद्ध से पूछा कि भगवन आप कब से छूत अछूत करने लगे।
आपने तो हमेशा सभी से सामान व्यवहार करने के उपदेश दिए हैं आपका यह स्वभाव हमारी चिंता का विषय बन गया है, कृपया हमें आपके मस्तिष्क में चल रहे विचारों से रूबरू कराएं।
गांव वाले भी शिष्य को महात्मा बुद्ध से जवाब करते देख रहे थे तभी गांव के कुछ व्यक्तियों ने भी कहा हम भी जानना चाहते हैं कि आप कब से छूत अछूत मानने लगे कृपया अपने विचारों को हमसे स्पष्ट करें।
गौतम बुद्ध ने कहा कि बाहर गेट पर खड़ा व्यक्ति अपने घर में लड़ाई करके आया है, और उसने अपने माता-पिता का अपमान भी किया है।
वह क्रोधित है क्रोधित मन का व्यक्ति “अछूत होता है” क्योंकि क्रोध व्यक्ति के अच्छे गुणों को खत्म कर देता है इसलिए क्रोधित मन के अछूत व्यक्ती को प्रवचन सुनने का कोई हक नहीं है।
क्रोध को कोई और नहीं बल्कि खुद इंसान ही नियंत्रित कर सकता है, क्रोध करने वाला व्यक्ति अछूत की श्रेणी में आता है क्योंकि वह क्रोध के दौरान अपमानजनक शब्दों का उपयोग करता है एवं दूसरों के लिए अपनी हीन भावनाओं को स्पष्ट करता है।
जिससे उस व्यक्ति के अंदर की अच्छाइयां खत्म हो जाती हैं और वह दुष्ट हो जाता है यदि कोई मन को नियंत्रित करके क्रोध पर काबू पा लेता है तब वह व्यक्ति पवित्र माना जाएगा।
गेट पर खड़ा वह व्यक्ति गौतम बुद्ध की यह सारी बातें सुन रहा था और उसे अफसोस हुआ कि वह क्रोध में आकर अहिंसा का पाठ भूल गया जिसे वह कई दिनों से महात्मा बुद्ध से सीख रहा था।
दरवाजे पर खड़े व्यक्ति को शिष्य एवं गांव वाले देखने लगे जिससे कि उसे अपमान महसूस होने लगा क्योंकि महात्मा बुद्ध ने उसके क्रोध के कारण उसे आश्रम में नहीं घुसने दिया।
महात्मा बुद्ध ने सभी से कहा कि प्रत्येक व्यक्ति पवित्र होता है हमें कभी जाति धर्म के नाम पर भेदभाव छूत अछूत नहीं करना चाहिए परंतु वह व्यक्ति “अछूत” होता है जिसने अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं पाया और वह क्रोध में आकर असामान्य शब्दों का उपयोग करके क्रोधित बन गया।
वह व्यक्ति आपने क्रोध के कारण आश्रम में काफी ज्यादा अपमानित हो चुका था इसलिए वह महात्मा बुद्ध के कदमों में जा गिरा और उसने महात्मा बुद्ध से क्षमा मांगी कि वह अहिंसा के रास्ते को भूल गया और हिंसा कर बैठा।
महात्मा बुद्ध ने उसे उठाया और कहा मुझे उम्मीद है कि क्रोध दोबारा तुम पर हावी ना हो सकेगा उस व्यक्ति ने महात्मा बुद्ध के सामने सर झुकाते हुए कहा कि मैं खुद में से हमेशा के लिए हिंसा खत्म करके एक अच्छा इंसान बनूंगा।
Gautam Buddha story in hindi का निष्कर्ष
इस Gautam Buddha story in hindi से हमें यह सीख मिलती है कि हमें क्रोध नहीं करना चाहिए क्रोध करने वाला व्यक्ति किसी अछूत व्यक्ति से कम नहीं होता है। क्रोध करने के बाद व्यक्ति को सिर्फ पछतावा ही होता है जिसका कोई निवारण नहीं होता इसलिए सदा प्रेम भाव से रहना चाहिए, क्रोध करने वाले व्यक्ति को कोई भी पसंद नहीं करता है एवं अक्सर क्रोधित व्यक्ति को अकेला छोड़ दिया जाता है।
क्रोध मानव जीवन में काले बादलों की तरह है यदि क्रोध को हटा दिया जाए तो आपका जीवन नीले आसमान की तरह रंगीन एवं चमकता हुआ सुंदर दिखने लगेगा।
इश्वर का नियम Gautam Buddha story in hindi
एक बार गौतम बुद्ध बिहार के जेतवन में रुके हुए थे उन्होंने वहीं पर कुछ समय रुक कर शिक्षा बाटने का निर्णय लिया था। गौतम बुद्ध का एक शिष्य चक्षुपाल भी उसी आश्रम में गौतम बुद्ध के साथ रहने लगा जोकि कुछ समय पहले ही आया था।
चक्षुपाल नेत्रहीन था और बहुत शांत स्वभाव का था वह अपने सभी काम खुद ही कर लेता था उसके इस अनुभव को देख सभी हैरान रहते थी।
गौतम बुद्ध चक्षुपाल को अक्सर दूसरों से ज्यादा नजरों के सामने रखते थे इसकी मुख्य वजह थी की वह नेत्रहीन था। एक बार जब कुछ शिष्यों ने चक्षुपाल के मठ के गेट पर कुछ मरे हुए छोटे कीड़ों को देखा तो उन्हे अच्छा नही लगा।
उन्होंने गौतम बुद्ध से इस बात की शिकायत करी और कहा कि एक विक्षु कभी किसी की हत्या नही करता इसलिए आपको चक्षुपाल को किसी प्रकार का दंड देना होगा।
महात्मा बुद्ध ने कहा की चक्षुपाल नेत्रहीन हैं इसलिए उन्होंने यह जानबूझ कर नही किया होगा इसलिए उनका दोष नही है।
शिष्यों ने पूछा की भगवन चक्षुपाल ने पिछले जन्म में ऐसा क्या गुनाह किया था की वह नेत्रहीन है? गौतम बुद्ध ने पहले तो शिष्यों के सवाल को टालने का प्रयास किया पर फिर उन्हे बताना ही पड़ा।
महात्मा बुद्ध ने बताया कि चक्षुपाल पिछले जन्म में नेत्र चिकित्सक थे और वह सबकी भलाई के लिए इलाज किया करते थे।
पर एक महिला जोकि नेत्रहीन थी वह किसी भी प्रकार से ठीक होना चाहती थी, इसलिए उसने चक्षुपाल से कहा की यदि आप मेरी आंखें ठीक कर दें तो मै और मेरे बच्चे एवम मेरा पति हम सभी अपके दास बन जायेंगे और आपकी सेवा करेंगे।
चक्षुपाल एक बेहतर चिकित्सक था इसलिए उनसे बहुत इलाज करने के बाद महिला को ठीक कर दिया। पर दास बनने के डर के कारण महिला ने काफी समय तक चक्षुपाल से यह कहा की वह अभी भी नेत्रहीन है।
पर चक्षुपाल जानता था की वह झूठ बोल रही है काफी समय तक महिला ने ऐसा ही किया चक्षुपाल ने क्रोध में आकर महिला को ऐसी दवाई दे दी जिससे वह दोबारा नेत्रहीन हो गई।
महिला ने चक्षुपाल से बहुत क्षमा मांगी पर चक्षुपाल को दया न आई, चक्षुपाल की क्रूरता देखते हुऐ इश्वर ने उसे अगले जन्म में नेत्रहीन बना दिया जिसके बारे मे चक्षुपाल नही जानता है।
गौतम बुद्ध से यह सब जानने के बाद शिष्यों को चक्षुपाल के जीवन पर दया आने लगीं और वह गौतम बुद्ध से क्षमा मांग कर चले गए।
Gautam Buddha story in hindi का निष्कर्ष
इस Gautam Buddha story in hindi से हमे यह सीखने को मिलता है कि यही हम क्रूर है तो इश्वर हमे इसका दंड जरुर देगा इश्वर किसी को भी अपने इंसाफ से वंचित नही रखता है इसलिए नर्म भाव के कोमल मन के व्यक्ती बने और सदा सभी से प्रेम भाव से बोलें।
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