Gautam Buddha Motivational Story In Hindi के बारे में
Gautam Buddha Motivational Story गौतम बुद्ध जिन्होंने अपने जीवन के प्रत्येक सुख को त्याग कर शांति की राह को चुना और बलिदान की मुहूर्त बने। उनके जीवन में कई प्रकार के किस्से हुए थे जिन्हें वर्तमान समय में Gautam Buddha Stories के नाम से जाना जाता है।
जोकि व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में ज्ञान बांटने का कार्य करती हैं और उन्हें Motivate भी करती हैं इसी प्रकार हम आपसे इस ब्लॉग पोस्ट में साझा करेंगे Gautam Buddha Motivational Story In Hindi भाषा में जिससे आप गौतम बुद्ध के ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं और उनके महत्वपूर्ण ज्ञान को समझ सकते हैं।
पूर्ण कश्यप का ज्ञान Gautam Buddha Motivational Story In Hindi
महात्मा बुद्ध का एक होनहार शिष्य था जिसका नाम पूर्ण कश्यप था। पूर्ण कश्यप सबसे होनहार विद्यार्थी में से एक था वह महात्मा बुद्ध को बहुत प्रिय था।
जिसका मुख्य कारण था की उसे ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी थीं। वह पूर्णतय ज्ञान को प्राप्त कर चुका था इसलिए महात्मा बुद्ध ने उसे अपने पास बुलाया और पूर्ण कश्यप से कहा कि अब तुम्हें मेरे साथ जगह-जगह घूमने की कोई आवश्यकता नहीं।
अब तुम खुद इस लायक बन चुके हो कि तुम ज्ञान को अकेले ही फैला सकते हो, इसलिए अब तुम्हें मेरी सहायता की जरूरत नहीं।
अब तुम अपने ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने का कार्य करो और तुमने मुझसे जो कुछ भी सीखा है वह लोगों को सीखाकर उनकी सहायता करो और उन्हें जीवन के अनोखे सच का ज्ञान प्रस्तुत करो।
पूर्ण कश्यप महात्मा बुद्ध को ही अपना सब कुछ मानता था इसलिए उसने महात्मा बुद्ध से कहा कि आप ही मुझे कोई दिशा बता दीजिए जिस दिशा में जाकर मैं लोगों को ज्ञान बाटू और उनकी सहायता कर सकूं।
महात्मा बुद्ध ने पूर्ण कश्यप से कहा कि अब तुम एक ज्ञानी बन चुके हो तुम्हें मेरी सलाह की जरूरत नहीं है तुम खुद ही दिशा चुन सकते हो और उसे दिशा में जाकर लोगों को ज्ञान बांट सकते हो।
पूर्ण कश्यप ने महात्मा बुद्ध से कहा ठीक है। मैं बिहार के सूखा नामक गांव में जाऊंगा जहां के लोग आदिवासियों की तरह जीवन जीते हैं और वह ज्ञान से अनजान हैं।
महात्मा बुद्ध ने पूर्ण कश्यप से कहा की उस स्थान पर जाना मानो मौत को गले लगाने जैसा है वह लोग जालिम और क्रूर हैं वह तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे।
इसलिए तुम उस स्थान मत जाओ तुम कहीं और चले जाओ, परंतु पूर्ण कश्यप ने कहा मुझे वही जाना है। क्योंकि वह ज्ञान से अनजान है और उन्हें बेहतर शिक्षा की जरूरत है ताकि वह मानवता को समझ सके।
महात्मा बुद्ध ने पूर्ण कश्यप से बहस करना ठीक नहीं समझा परंतु महात्मा बुद्ध जानते थे कि उस गांव के लोग महात्माओं को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं वह उनकी हत्या कर देते हैं और उन पर अत्याचार करते हैं।
परंतु पूर्ण कश्यप एक ज्ञानी बन चुके थे और महात्मा बुद्ध उन्हें रोक नहीं सकते थे। इसलिए महात्मा बुद्ध ने पूर्ण कश्यप से कहा कि तुम मेरे तीन सवालों का जवाब दो उसके बाद तुम उस गांव में ज्ञान बांटने के लिए जा सकते हो।
पूर्ण कश्यप ने कहा पूछिए मैं आपके तीनों सवालों का जवाब दूंगा। महात्मा बुद्ध ने कहा कि अगर उस गांव के लोगों ने तुम्हारा अपमान किया और तुम्हें गालियां देकर अपमानित किया तुम तो एक गुरु बन चुके हो तो क्या तुम्हें उन लोगों से अपमानित महसूस नही होगा और तुम्हें कैसा महसूस होगा।
पूर्ण कश्यप ने महात्मा बुद्ध से कहां कि मुझे बुरा नहीं लगेगा बल्कि मैं तो ईश्वर का धन्यवाद करूंगा कि उन्होंने सिर्फ मेरा अपमान किया मुझे नुकसान नहीं पहुंचाया।
महात्मा बुद्ध ने कहा अगर उन्होंने तुम्हें नुकसान पहुंचाया और तुम जख्मी हो गए तब तुम क्या करोगे। पूर्ण कश्यप ने महात्मा बुद्ध से कहा मैं तब भी ईश्वर का शुक्रिया अदा करूंगा कि उन लोगों ने मुझे जान से नहीं मारा सिर्फ मुझे नुकसान ही पहुंचा वह मुझे जान से भी मार सकते थे।
महात्मा बुद्ध ने कहा यदि उन लोगों ने तुम्हें जान से मार दिया तब तुम क्या सोचोगे पूर्ण कश्यप अपने कहा कि तब मैं उन लोगों का धन्यवाद करूंगा और सोचूंगा कि यदि मैं दुनिया में ज्यादा समय तक रहता तो मुझसे कोई बड़ा पाप भी हो सकता था।
धन्य है वह लोग जिन्होंने मुझे बड़े गुनाहों से बचा लिया और मुझे मृत्यु से मिला दिया जिससे मैं कई बड़े गुनाहों को करने से बच गया।
पूर्ण कश्यप के यह जवाब सुनने के बाद महात्मा बुद्ध कश्यप से कहा कि अब तुम्हें कोई भी ज्ञान फैलाने से नहीं रोक सकता और तुम्हारा कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता।
क्योंकि वह तुम्हें गालियां देकर अपमानित कर सकते हैं तुम्हे नुकसान पहुंचा सकते हैं यहां तक कि तुम्हारी जान भी ले सकते हैं वह तुम्हारे शरीर को नष्ट करेंगे वह तुम्हारी पवित्र आत्मा को नष्ट नहीं कर सकते।
यह सब सुनने के बाद महात्मा बुद्ध ने कहा जिस प्रकार तुमने मेरे सवालों का जवाब दिया यह पहचान है कि तुम ज्ञानी बन गए हो और तुम ज्ञान को तेजी से फैलाओगे और लोगों को शिक्षित करोगे।
जीवन में सारा खेल सुख और दुख का है जो व्यक्ति मन में सोच के रखता है कि उस व्यक्ति ने मुझे अपमानित किया उसने मेरा अपमान किया वह नफरत की तरफ़ बढता जाता है।
परंतु जो व्यक्ती अपनें मन को शांत रख के सिर्फ अपने मकसद के लिऐ कार्य करता है उसी को सफ़लता मिलती है और उसी का सभी सम्मान करते है।
दुनियां में कोई नर्क नही है, हमारे दूसरों के प्रती हिंसा के भाव ही हमे दुनियां के नर्क की ओर धकेलते जाते हैं जिससे हमारा जीवन बर्बाद हो जाता है।
दुनियां में कोई स्वर्ग भी भी है पर यदि कोई व्यक्ती सभी से प्रेम भाव से बोलता है तो यह दुनियां ही उसके लिऐ स्वर्ग बन जाती है।
क्योंकि उसने अपने मस्तिष्क से नकारात्मक विचारों को हटा दिया है जिसके बाद वह जीवन में सुकुन महसूस करता है। हिंसा के भाव रखने वाला व्यक्ती कभी सुखी नही रहता।
इन सभी बातों का परीणाम है की हमारी सोच पर ही हमारा जीवन निर्भर करता है यदी हम सकारात्मक सोचते हैं तो हमारे जीवन में कार्य भी सकारात्मक ही होते है।
और यदि हम नकारात्मक सोचते हैं तो हमारे जीवन में काफी चीज़ें नकारात्मक देखने को मिलती है। इसलिए सदा सकारात्मक विचारों के करीब रहना चाहिए जिससे जीवन को बेहतर तरीके से जिया जा सके।
भविष्य में होने वाली घटना को वर्तमान समय में सोच लेना भी एक चिंता का विषय है इसलिए सदा वर्तमान में जीना चाहिए और भविष्य के बारे में ज्यादा सोचना किसी बीमारी से काम नहीं है।
इसलिए सदा सकारात्मक विचारों में रहे नकारात्मकता मानव जीवन की सबसे बड़ी बीमारियों में से एक है जिसका कोई इलाज नहीं है।
Gautam Buddha Motivational Story In Hindi का निष्कर्ष
इस Gautam Buddha Motivational Story In Hindi से हमें यह सीखने को मिलता है की यदि हम भविष्य में होने वाली घटनाओं को वर्तमान समय में सोच लेते हैं तो इसे हमारे जीवन में उथल पुथल होने लगती है जिससे हमें कई बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे हमारा वर्तमान खराब होता है।
बेहतर जीवन जीने के लिऐ व्यक्ति को सदा सकारात्मक रहना चाहिए सकारात्मक विचारों से जीवन सकारात्मक होता है एवं नकारात्मक विचारों में डूबे रहने से जीवन नकारात्मकता में डूब जाता है जिससे एक सामान्य जीवन बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
असली दुःख क्या है?Gautam Buddha Motivational Story In Hindi
महात्मा बुद्ध जोकि बहुत बड़े ज्ञानी थे वह अपने ज्ञान को फैलाने के लिए विभिन्न स्थानों पर जाया करते थे वह अक्सर एक गांव में हर साल प्रवचन के लिए जाया करते थे।
उस गांव का एक व्यापारी उनकी देखभाल की हर साल जिम्मेदारी लेता था और उनके भोजन का इंतजाम करता था वह दिल का बहुत ही नर्म इंसान था और वह महात्मा बुद्ध को अपना गुरु मानता था।
वह महात्मा बुद्ध के द्वारा बताए गए उपदेशों पर ही चलता था। जब समय आया कि महात्मा बुद्ध को उस गांव में प्रवचन देने के लिए जाना था तब महात्मा बुद्ध अपने शिष्य के साथ उस गांव के ओर चल पड़े।
कुछ दिनों तक पैदल चलने के बाद महात्मा बुद्ध उस गांव में पहुंच गए। और गांव वालों ने महात्मा बुद्ध का धूमधाम से स्वागत किया। शाम हुई तो व्यापारी ने महात्मा बुद्ध के खाने पीने का इंतजाम अपने घर पर किया और उनका बहुत खुशी से स्वागत किया।
महात्मा बुद्ध हर साल उस व्यापारी के घर पर ही रुका करते थे इसलिए वह व्यापारी को अच्छी तरीके से जानने लगे थे। इस बार व्यापारी कुछ उदास सा नजर आ रहा था रात्रि के भोजन के समय महात्मा बुद्ध ने व्यापारी की पत्नी से पूछा।
कि तुम्हारे पति को क्या हुआ है व्यापारी की बीवी ने बताया कि उन्हें 5 हजार स्वर्ण मुद्राओं का घाटा हो गया है जिस कारण वह काफी ज्यादा उदास रहने लगे हैं। महात्मा बुद्ध ने कहा वह एक बड़ा व्यापारी है।
इसमें इतना दुखी होने की जरूरत नहीं है यह जीवन है सुख दुख लगे रहते हैं। व्यापारी की बीवी ने महात्मा बुद्ध से कहा कि मैं भी उन्हें यही बात काफी समय से समझा रही हूं पर वह मानने को तैयार नहीं है।
जब खाना लगाया गया और वह महात्मा बुद्ध के साथ बैठकर खाना खाने लगा तब महात्मा बुद्ध ने उससे पूछा कि तुम मुझे उदास नजर आते हो इसका क्या कारण है ?
व्यापारी ने धीमी आवाज में कहा भगवन मैं दुखी हूं क्योंकि मुझे 5000 स्वर्ण मुद्राओं का घाटा हो गया है। मैने व्यापार किया मुझे आशा थी कि मुझे 10000 स्वर्ण मुद्राएं मिलेगी परंतु वस्तुओं से भरी नाव का आधा सामान नदी में गिर गया।
जिससे मुझे 5000 स्वर्ण मुद्राओं का घाटा लगा। जोकि मेरे लिए काफी ज्यादा बड़ा है इसलिए मुझे काफी कष्ट का सामना करना पड़ रहा है।
महात्मा बुद्ध ने कहा कोई बात नहीं तुम निराश क्यों होते हो तुम एक अच्छे व्यापारी हो आने वाले समय में तुम वह मुनाफा दोबारा कमा लोगे परंतु निराश होकर तुम अपने वर्तमान समय को खराब कर रहे हो।
अतीत में डूबे रहने से वर्तमान खराब होता है और यह आदत हमारे जीवन को खराब कर देती है व्यापारी ज्यादा दुखी था इसलिए उसको महात्मा बुद्ध की बातें पूर्ण तरीके से समझ में नहीं आ रही थी।
महात्मा बुद्ध ने कहा कि तुम अपने दुखों से बाहर निकल आओ तुमने उस चीज से आशा लगाई थी जो कि कभी थी ही नहीं तुम्हें ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए कि तुम्हें बड़ा घाटा नहीं हुआ तुम्हारा सारा माल नदी में नहीं डूबा वरना सारा सामान नदी में डूब सकता था।
व्यापारी ने कहां पर भगवन मुझे घाटा लगा है जिससे मेरे व्यापार पर फर्क पड़ा है महात्मा बुद्ध ने उसे कहा की उम्मीद मानव जीवन का सबसे बड़ा दुख है हमें किसी से उम्मीद नहीं रखनी चाहिए उम्मीद रखने से सिर्फ हमारे हाथ निराशा ही लगती है।
जोकि हमारे दुख का कारण बनती है यदि तुमने न सोचा होता कि मुझे 10000 स्वर्ण मुद्राओं का मुनाफा होगा तो तुम 5000 स्वर्ण मुद्राओं में ही खुश होते। व्यापारी ने महात्मा बुद्ध की बातों को सुनकर कहां की आप ठीक कहते हो,
परंतु महात्मा बुद्ध जानते थे कि वह व्यापारी पूर्ण तरीके से सहमत नहीं हुआ है। भोजन करने के बाद व्यापारी और महात्मा बुद्ध सो गए।
सुबह महात्मा बुद्ध ने व्यापारी को उठाया और कहा चलो सुबह हो गई है टहलने चलते हैं महात्मा बुध व्यापारी को लेकर टहलने के लिए निकल पड़े गांव से दूर जंगल में जाने के बाद महात्मा बुद्ध ने ध्यान करना शुरू किया।
व्यापारी ने भी ध्यान किया गांव में वापस आते समय महात्मा बुद्ध का पैर एक पत्थर से टकरा गया जिससे महात्मा बुद्ध का पैर लहू लोहान हो गया जिससे महात्मा बुद्ध का काफी खून निकल गया।
परंतु जरा सुकून मिलने पर माता बुद्ध ने आसमान की तरफ हाथ उठाते हुए ईश्वर का शुक्रिया अदा किया की हे इश्वर तेरा धन्यवाद है की मैं सुरक्षित हूं।
यह सब देखने के बाद व्यापारी ने महात्मा बुद्ध से कहा कि भगवन आपका पैर खून से लहू लोहान हो गया है आप फिर भी ईश्वर का धन्यवाद कर रहे हैं मुझे आप इसकी वजह बता सकते हैं।
महात्मा बुद्ध ने कहा कि मैं ईश्वर का इसलिए धन्यवाद कर रहा हूं क्योंकि मेरा पैर सिर्फ जख्मी हुआ है वह टूटा नहीं है यदि वह टूट जाता है तो मुझे बहुत ज्यादा दिक्कत हो जाती।
इसलिए हमें जो ईश्वर ने दिया है और जो चीज हमारे पास वर्तमान समय में है हमें उसका धन्यवाद करते रहना चाहिए। महात्मा बुद्ध ने कहा इसी प्रकार तुम्हें भी ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि उसने तुम्हें पूरी तरह बर्बाद नहीं होने दिया।
यह बात व्यापारी अच्छी तरह समझ गया और उसने ईश्वर का धन्यवाद किया कि ईश्वर ने उसे पूरी तरह बर्बाद नहीं होने दिया।
हमें जीवन में बड़ी उम्मीदें और आशाएं नहीं रखनी चाहिए उम्मीदें अक्सर दुख का कारण बनती है ईश्वर ने हमें जो दिया है हमें सदा उसका धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि काफी लोग ऐसे भी हैं जिनके पास यह चीज भी नहीं होती है।
इसलिए हमें उस ईश्वर का धन्यवाद करते रहना चाहिए जिसने हमें यह दिया और एक बेहतर जीवन जीने का अवसर दिया।
यदि कोई सोचता है कि मैं गरीब हूं तो उसे उस दिव्यांग को जाकर देखना चाहिए जोकी लाचार है जो अपने जीवन में चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता है और फिर खुद को देखना कि आपके सभी अंग दुरुस्त है फिर भी आप ईश्वर को कोश्ते हैं कि आप गरीब हैं परंतु जीवन में कुछ बड़ा करने का प्रयास नहीं करते हैं।
Gautam Buddha Motivational Story In Hindi का निष्कर्ष
इस Gautam Buddha Motivational Story In Hindi से हमे यह सीखने को मिलता है कि किसी से उम्मीद रखना मानव जीवन का सबसे बडा दुःख है क्योंकि अक्सर उम्मीदें पूरी न होने पर हमारे जीवन में निराशा का बादल छा जाता है इसलिए जो कुछ भी हमे इश्वर ने दिया है हमे उसके लिए इश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए।
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Gautam Buddha Motivational Story In Hindi FAQ
Q.बुद्ध ने क्यों कहा कि ईश्वर नहीं है?
Ans. बुद्ध समझ गए थे की लोग आत्मा का परमात्मा से मेल करवाने के लिऐ पाखंड करने लगें है और इस प्रकार लोग अंधविश्वास में पड़ते जा रहे थे इसलिए गौतम बुद्ध ने कहा की इश्वर नही है।
Q.गौतम बुद्ध का मुख्य संदेश क्या है?
Ans. गौतम बुद्ध का सबसे मुख्य संदेश था की गुस्से से इंसान को सजा नही मिलती बल्की गुस्से के कारण सजा मिलती है।
Q.भगवान बुद्ध किसका ध्यान करते थे?
Ans. गौतम बुद्ध इश्वर का ध्यान किया करते थे और वह लोगों को कहते थे की इश्वर का मतलब है सभी प्रेम भाव से रहें और हिंसा न करें यही इश्वर की इच्छा है इसलिए उनके साथ के लोग भी ईश्वर का ध्यान किया करते थे।
Q.बुद्ध ने हिंदू धर्म को क्यों खारिज किया?
Ans.गौतम बुद्ध बहुदेव, मूर्तिपूजन, स्वर्ग नर्क को नही मानते थे हिंदू धर्म को खारिज करने का एक मुख्य कारण यह भी था की वह इस बात के खिलाफ थे कि वेद ईश्वरीय हैं।
Q.गौतम बुद्ध किसका अवतार है?
Ans. गौतम बुद्ध को हिंदू धर्म के मुताबिक भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है परंतु गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में कभी भी नही कहा की वह ईश्वर का अवतार हैं।